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Q. भारत की ईवी नीति में हाल के परिवर्तन क्या हैं, जैसे आयात शुल्क में छूट या घरेलू विनिर्माण में कंपनियों का निवेश? विदेशी निवेश आकर्षित करने और घरेलू ईवी उत्पादन को बढ़ावा देने पर उनके संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिए । (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • भूमिका: एक सतत परिवहन समाधान के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की तरफ वैश्विक परिवर्तन और हालिया नीति अद्यतन(policy updates) के माध्यम से अपने ईवी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालें।
  • मुख्य भाग:
    • 2024 के अंतरिम बजट की प्रमुख पहलों की रूपरेखा तैयार करें, जिसमें ईवी विनिर्माण के लिए समर्थन, चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार और ई-बस के अनुप्रयोग के लिए प्रोत्साहन शामिल हैं।
    • भारत को ईवी नवाचार का केंद्र बनाने के सरकार के लक्ष्य को रेखांकित करते हुए विदेशी निवेश को आकर्षित करने और घरेलू ईवी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इन नीतियों की क्षमता पर चर्चा करें।
  • निष्कर्ष: ईवी क्षेत्र में स्थिरता और आर्थिक विकास की दिशा में रणनीतिक कदम पर जोर देते हुए भारत के ईवी परिदृश्य पर इन परिवर्तनों के अपेक्षित सकारात्मक प्रभाव का सारांश प्रस्तुत करें।

 

भूमिका:

हाल के दिनों में, भारत ने घरेलू और विदेशी दोनों हितधारकों के लिए नीतिगत बदलावों और प्रोत्साहनों की एक श्रृंखला द्वारा उत्प्रेरित एक मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। । 2024-25 के अंतरिम बजट में भारत में ईवी क्रांति को गति देने के लिए के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई है, जो वैश्विक पर्यावरणीय उद्देश्यों के अनुरूप परिवहन के स्वच्छ एवं अधिक सतत तरीकों को बढ़ावा देने और 2070 तक कार्बन-तटस्थ भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

मुख्य भाग:

प्रमुख नीति परिवर्तन और निवेश

  • विनिर्माण और अवसंरचना समर्थन: सरकार ने ईवी और उनके घटकों के लिए विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया है, जिसमें चार्जिंग अवसंरचना का महत्वपूर्ण पहलू भी शामिल है। इसमें न केवल ईवी का भौतिक विनिर्माण शामिल है, बल्कि उन घटकों तक भी विस्तार होता है जो उनके संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसे बैटरी, विशेष रूप से लिथियम-आयन सेल।
  • चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार: ईवी अपनाने में अपर्याप्त चार्जिंग अवसंरचना के कारण उत्पन्न होने वाली महत्वपूर्ण बाधा को पहचानते हुए सरकार ने चार्जिंग स्टेशनों की संख्या का विस्तार करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने का वादा किया है। इस कदम का उद्देश्य ईवी के साथ लंबी दूरी की यात्रा से संबंधित चिंताओं को कम करना है, जिससे अधिक उपभोक्ताओं को पारंपरिक से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
  • ई-बस अनुप्रयोग के लिए समर्थन: इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सार्वजनिक परिवहन पर उल्लेखनीय ध्यान केंद्रित किया गया है। यह दृष्टिकोण न केवल स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है बल्कि घनी आबादी वाले शहरी केंद्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के व्यापक लक्ष्य को भी संबोधित करता है।
  • ई-बसों के लिए सुरक्षित भुगतान तंत्र: ई-बसों के लिए सुरक्षित भुगतान तंत्र की शुरूआत से सार्वजनिक स्वीकृति की प्रमुख बाधाओं में से एक को दूर करने की उम्मीद है, जिससे इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में व्यापक परिवर्तन का मार्ग सुगम हो जाएगा।

विदेशी निवेश और घरेलू उत्पादन पर प्रभाव

  • इन नीतिगत परिवर्तनों और निवेशों के संचयी प्रभाव से ईवी क्षेत्र में विदेशी निवेश के गंतव्य के रूप में भारत के आकर्षण में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • ईवी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक व्यापक समर्थन प्रणाली स्थापित करके, सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए एक स्पष्ट प्रतिबद्धता का संकेत दे रही है।
  • परिणामस्वरूप यह, भारतीय बाजार में प्रवेश करने या विस्तार करने के इच्छुक विदेशी निवेशकों के लिए एक स्थिर वातावरण प्रदान करता है।
  • इसके साथ ही, घरेलू विनिर्माण और आधारभूत संरचना के विकास पर पर ध्यान देने स्वदेशी ईवी उत्पादन के विकास को गति मिलने की संभावना है।
  • इस दोहरे दृष्टिकोण का उद्देश्य न केवल घरेलू मांग को पूरा करना है बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर ईवी विनिर्माण के लिए एक संभावित केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
  • एक मजबूत चार्जिंग अवसंरचना को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने से उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों के लिए एक प्रमुख परिचालन चिंता कम हो जाती है, जिससे देश में ईवी की समग्र व्यवहार्यता में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष:

भारत की ईवी नीति में हाल के परिवर्तन और घरेलू विनिर्माण और अवसंरचना में रणनीतिक निवेश देश के ऑटोमोटिव क्षेत्र को वैश्विक स्थिरता रुझानों के साथ संरेखित करने के व्यापक प्रयास का संकेत देते हैं। इन पहलों से महत्वपूर्ण विदेशी निवेश आकर्षित होने, नवाचार को बढ़ावा मिलने और भारत में आत्मनिर्भर ईवी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है। देश के आगे बढ़ने के साथ, इन नीतियों का निरंतर विकास भारत के दीर्घकालिक पर्यावरण और आर्थिक लक्ष्यों के अनुरूप हरित और अधिक सतत परिवहन नेटवर्क प्राप्त करने की दिशा में गति बनाए रखने में महत्वपूर्ण होगा।

 

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