प्रश्न की मुख्य माँग
- नैनोटेक्नोलॉजी की अवधारणा और दायरा।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग।
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उत्तर
भूमिका
नैनोटेक्नोलॉजी उस विज्ञान को संदर्भित करती है, जिसमें पदार्थ को परमाणु और आणविक स्तर पर नियंत्रित किया जाता है, जो सामान्यतः 1 से 100 नैनोमीटर की सीमा के भीतर होती है। इसकी विशिष्ट विशेषताएँ, जैसे बढ़ी हुई अभिक्रियाशीलता, सतही क्षेत्रफल और सटीकता, इसे विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर स्वास्थ्य सेवाओं में, एक परिवर्तनकारी उपकरण बनाती हैं। निदान से लेकर उपचार तक, नैनोटेक्नोलॉजी चिकित्सा सेवाओं की आपूर्ति और प्रभावशीलता में क्रांति ला रही है।
नैनोटेक्नोलॉजी की अवधारणा और दायरा
- परमाणु और आणविक स्तर पर नियंत्रण: नैनोटेक्नोलॉजी वैज्ञानिकों को व्यक्तिगत परमाणुओं या अणुओं को नियंत्रित कर सामग्री डिजाइन करने में सक्षम बनाती है।
- उदाहरण: कार्बन नैनोट्यूब और ग्राफीन नैनोस्तर पर असाधारण मजबूती और चालकता प्रदर्शित करते हैं।
- अंतर्विषयक प्रकृति: यह भौतिकी, रसायनशास्त्र, जीव विज्ञान और अभियांत्रिकी से सीख लेकर विविध अनुप्रयोग संभव बनाती है।
- उदाहरण: नैनोबायोटेक्नोलॉजी आणविक जीव विज्ञान को नैनोटेक्नोलॉजी से मिलाकर उन्नत औषधि डिजाइन करती है।
- नैनोस्तर पर विशिष्ट गुण: नैनोकणों का सतह-से-आयतन अनुपात अधिक होता है, अभिक्रियाशीलता बढ़ती है और क्वांटम प्रभाव प्रकट होते हैं।
- उदाहरण: स्वर्ण नैनोकण पीले के बजाय लाल दिखाई देते हैं और इमेजिंग में उपयोग होते हैं।
- नैनो-सामग्रियों के प्रकार: इसमें नैनोवायर, नैनोकैप्सूल, क्वांटम डॉट्स, डेंड्राइमर्स और लाइपोसोम शामिल हैं।
- उदाहरण: लाइपोसोम कैंसररोधी दवाओं को सीधे ट्यूमर स्थलों तक पहुँचाने में प्रयुक्त होते हैं।
- वैश्विक अनुसंधान एवं नीति में नैनोटेक्नोलॉजी: भारत में नैनो मिशन (वर्ष 2007) जैसी पहलें अनुसंधान और वाणिज्यीकरण को प्रोत्साहित करती हैं।
- उदाहरण: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) पूरे भारत में अनुसंधान केंद्रों को वित्तपोषित करता है।
- नैनोटॉक्सिसिटी और विनियमन की चुनौतियाँ: छोटे आकार के कारण नैनोकण जैविक अवरोधों को पार कर अंगों में जमा हो सकते हैं।
- उदाहरण: WHO और OECD ने जिम्मेदार नैनोविकास पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनोटेक्नोलॉजी के अनुप्रयोग
- लक्षित औषधि आपूर्ति: नैनो-वाहक दवाओं को विशिष्ट रोग स्थलों पर छोड़ते हैं, जिससे प्रभावशीलता बढ़ती है और दुष्प्रभाव घटते हैं।
- उदाहरण: डॉक्सिल – कैंसर उपचार में प्रयुक्त डॉक्सोरूबिसिन का एक लाइपोसोमल रूप।
- प्रारंभिक और सटीक निदान: नैनोकण इमेजिंग तकनीकों (MRI, CT, PET स्कैन) को बेहतर बनाते हैं और बायोसेंसर बायोमार्कर का पता लगाते हैं।
- उदाहरण: क्वांटम डॉट्स कैंसर कोशिकाओं का प्रारंभिक पता लगाने हेतु फ्लोरोसेंट टैगिंग में प्रयुक्त होते हैं।
- नैनो-सक्षम प्रत्यारोपण और ऊतक अभियांत्रिकी: नैनो-सामग्री चिकित्सा प्रत्यारोपण की जैव-संगतता और कार्यक्षमता को बेहतर बनाती हैं।
- उदाहरण: हृदय शल्यक्रियाओं में नैनो-लेपित स्टेंट रक्त के थक्के बनने की संभावना को कम करते हैं।
- सूक्ष्मजीवरोधी और घाव भरने के अनुप्रयोग: रजत नैनोकणों में प्रबल सूक्ष्मजीव रोधी गुण होते हैं।
- उदाहरण: नैनो-सिल्वर पट्टियाँ जलने वाले रोगियों में संक्रमण रोकने हेतु प्रयोग की जाती हैं।
- टीका आपूर्ति और mRNA प्रौद्योगिकी: लिपिड नैनोकण mRNA टीकों में आनुवंशिक सामग्री की आपूर्ति में मदद करते हैं।
- उदाहरण: फाइजर-बायोएनटेक COVID-19 टीके में स्थिरता हेतु लिपिड नैनोकणों का उपयोग हुआ।
- कैंसर चिकित्सा और हाइपरथर्मिया उपचार: चुम्बकीय नैनोकण ट्यूमर को लक्षित कर उन्हें स्थानीय रूप से गर्म करते हैं बिना आस-पास के ऊतकों को क्षति पहुँचाए।
- उदाहरण: मस्तिष्क कैंसर उपचार हेतु जर्मनी में नैनो-थर्म चिकित्सा को अनुमोदित किया गया है।
निष्कर्ष
नैनोटेक्नोलॉजी ने स्वास्थ्य सेवा में रोगों की शीघ्र पहचान से लेकर व्यक्तिगत चिकित्सा तक, नए आयाम खोले हैं। हालाँकि, नैतिक चिंताओं, लागत और दीर्घकालिक जैव-संगतता के लिए सावधानीपूर्वक विनियमन की आवश्यकता है। एक समग्र नीतिगत ढाँचा और सार्वजनिक-निजी सहयोग यह सुनिश्चित कर सकता है कि नैनो तकनीक समावेशी और सुलभ स्वास्थ्य उन्नति के एक साधन के रूप में कार्य करे।
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