Q. भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) ने किस हद तक विनिर्माण में वास्तविक घरेलू आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है? खिलौना उद्योग के संदर्भ में आलोचनात्मक रूप से जाँच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) ने खिलौना उद्योग के संदर्भ में विनिर्माण में घरेलू आत्मनिर्भरता को किस सीमा तक बढ़ावा दिया।
  • घरेलू आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) की चुनौतियाँ और सीमाएँ।
  • आगे की राह।

उत्तर

भारत का विनिर्माण क्षेत्र लंबे समय से कम प्रतिस्पर्द्धा और संरचनात्मक अक्षमताओं से जूझ रहा है। इसे संबोधित करने के लिए, सरकार ने कम गुणवत्ता वाले आयात को कम करने और घरेलू आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) जैसे गैर-टैरिफ उपायों की ओर रुख किया है, विशेषकर खिलौना उद्योग जैसे क्षेत्रों में।

गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) ने विनिर्माण में घरेलू आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया

  • आयात में कमी: QCO ने कम गुणवत्ता वाले खिलौनों के आयात में तेजी से कमी की, जिससे घरेलू उत्पादकों के लिए बाजार का अवसर उत्पन्न हुआ। 
    • उदाहरण: वर्ष 2020 से 2023 के बीच खिलौनों के आयात में लगभग 90% की गिरावट आई
  • टैरिफ में वृद्धि: QCO के साथ-साथ उच्च टैरिफ ने आयातित खिलौनों को महंगा बना दिया, जिससे स्थानीय विकल्पों को बढ़ावा मिला। 
    • उदाहरण: खिलौनों के आयात पर टैरिफ वर्ष 2019 में 20% से बढ़कर 2024 में 70% हो गया।
  • बाजार औपचारिकीकरण: QCO ने अनौपचारिक खिलौना निर्माताओं को गुणवत्ता मानदंडों का अनुपालन करने के लिए संचालन को औपचारिक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे संगठित क्षेत्र मजबूत हुआ। 
    • उदाहरण: मार्च 2023 तक, खिलौना निर्माण इकाइयों को 1,097 BIS लाइसेंस दिए गए, जिनमें से 97% लाइसेंस सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को जारी किए गए।
  • नवाचार प्रोत्साहन: कठोर गुणवत्ता मानदंडों ने निर्माताओं को मानकों को पूरा करने के लिए उत्पाद डिजाइन और सामग्री में नवाचार करने हेतु प्रेरित किया। 
    • उदाहरण: भारतीय फर्मों ने QCO आवश्यकताओं के अनुरूप नई पर्यावरण अनुकूल और सुरक्षित खिलौना सामग्री विकसित की।
  • उपभोक्ता सुरक्षा में वृद्धि: QCO ने सुनिश्चित किया कि केवल BIS प्रमाणित खिलौने ही बाजार में प्रवेश करें, जिससे उत्पाद मानकों में सुधार हुआ।
    हालाँकि QCO ने औपचारिकता और गुणवत्ता में सुधार को गति दी है, कई संरचनात्मक और परिचालन चुनौतियाँ उनके प्रभाव को सीमित करना जारी रखती हैं।

घरेलू आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में QCO की चुनौतियाँ और सीमाएँ

  • घटकों का आयात बढ़ रहा है: तैयार माल के बजाय खिलौनों के घटकों का आयात करने की प्रवृत्ति वास्तविक विनिर्माण आत्मनिर्भरता को कमजोर करती है। 
    • उदाहरण के लिए: घटकों का आयात बढ़ गया है, इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के पुर्जे बड़े पैमाने पर असेंबली के लिए आयात किए जाते हैं।
  • उच्च अनुपालन लागत: घरेलू निर्माताओं, विशेष रूप से MSMEs को BIS प्रमाणन के लिए उच्च अनुपालन लागत का सामना करना पड़ता है,  जिससे उनकी वृद्धि सीमित हो जाती है। 
    • उदाहरण: BIS प्रमाणीकरण नवीनीकरण की लागत 50,000 से 1 लाख रुपये तक है, जिससे छोटी फर्मों पर बोझ पड़ता है।
  • संरक्षणवाद अकुशलताओं को छुपाता है: QCO ने संरक्षणवादी उपायों के रूप में कार्य किया तथा घरेलू अकुशलताओं को संबोधित करने के बजाय उन्हें छुपाया।
  • आयात विचलन: वियतनाम जैसे देशों में आयात विचलन में तेजी से वृद्धि हुई, जिससे समग्र आयात निर्भरता पर सीमित प्रभाव दिखा। 
    • उदाहरण: QCO कार्यान्वयन के बाद वियतनाम से खिलौनों का आयात 1300% बढ़ गया।
  • आपूर्ति-माँग असंतुलन: आपूर्ति माँग से पीछे रह गई, जिससे कीमतें बढ़ गईं और भारत की बड़ी युवा आबादी के लिए पहुँच सीमित हो गई। 
    • उदाहरण: वर्ष 2022-23 में खिलौनों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 21 अंकों की वृद्धि हुई।

आगे की राह

  • क्षमता निर्माण: आयात प्रतिबंधों के बजाय घरेलू विनिर्माण क्षमता और तकनीकी क्षमताओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • उदाहरण: निवेश को बढ़ावा देने, वैश्विक गुणवत्ता मानकों में सुधार करने और आयात निर्भरता में कटौती करने के लिए खिलौना विनिर्माण हेतु एक समर्पित PLI योजना शुरू करनी चाहिए‌।
  • अनुसंधान एवं विकास निवेश: खिलौना क्षेत्र में उत्पाद की गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ाने के लिए
    अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए।

    • उदाहरण: प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (TUFS) जैसी सरकारी योजनाएँ नवाचार में सहायता कर सकती हैं।
  • स्केलिंग और गुणवत्ता: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए वैश्विक मानकों को पूरा करते हुए निर्माताओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • वैश्विक मूल्य शृंखला एकीकरण: प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार के लिए भारतीय खिलौना विनिर्माण को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करना चाहिए। 
    • उदाहरण: फनस्कूल इंडिया अमेरिका और यूरोप सहित 30 से अधिक देशों को निर्यात करता है।
  • संरचनात्मक सुधार: लॉजिस्टिक्स, वितरण अक्षमता और कौशल अंतराल जैसे संरचनात्मक मुद्दों को संबोधित करना चाहिए‌।
    • उदाहरण: PM गति शक्ति खिलौना क्लस्टरों को समर्थन देने के लिए गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब में सुधार कर रही है ।

भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) ने घरेलू खिलौना निर्माण को बढ़ावा देकर और उत्पाद मानकों में सुधार करके वोकल फॉर लोकल पहल को मजबूत किया है। सही सुधारों के साथ, भारतीय निर्माता अपनी पहुँच का विस्तार कर सकते हैं, जिससे यह सिद्ध होगा कि स्थानीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय खिलौना उद्योग में वैश्विक हो सकते हैं।

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