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दृष्टिकोण:
परिचय: भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश और रोजगार क्षमता के संकट के विरोधाभास पर प्रकाश डालें। मुख्य भाग: रोजगार योग्यता की दरों में गिरावट के कारणों पर चर्चा करें, रोजगार योग्यता की अनदेखी के प्रभाव पर प्रकाश डालिए। रोजगार सृजन के संभावित स्रोतों पर चर्चा करें और प्रासंगिक डेटा तथा उदाहरण अवश्य प्रदान करें। निष्कर्ष: भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालें। |
उत्तर –
भारत की अक्सर उसके जनसांख्यिकीय लाभांश के लिए सराहना की जाती है, जिसमें बड़े और युवा कार्यबल संबंधी चर्चा होता है, जो आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है। हालाँकि, इस क्षमता के बावजूद, भारत को रोजगार की एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ता है, जिसका अर्थ है, अपने कार्यबल की सार्थक और उत्पादक भूमिकाओं में नियोजित होने की क्षमता।
रोज़गार योग्यता की गिरती दरों को नज़रअंदाज़ करना:
रोज़गार योग्यता की अनदेखी का प्रभाव:
रोजगार कहां से आएंगे?
निष्कर्ष:
जबकि भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश वास्तव में एक संभावित लाभ है, रोजगार की गिरती दरों को नजरअंदाज करने से बेरोजगारी, कम उत्पादकता और खराब आर्थिक प्रदर्शन का संकट पैदा होगा। बेमेल कौशल को संबोधित करना, उद्यमिता को बढ़ावा देना, नई प्रौद्योगिकियों में निवेश करना और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है ताकि इन क्षेत्र नौकरियां पैदा की जा सकें, जिनकी भारत को सख्त जरूरत है। भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों को शामिल करते हुए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।
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