प्रश्न की मुख्य माँग
- समझाइए कि भारत की पेंशन प्रणाली अपर्याप्त और खंडित क्यों बनी हुई है, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कवरेज के संदर्भ में।
- बुजुर्गों के लिए दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक समावेशी ढाँचे का सुझाव दीजिए।
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उत्तर
भारत की पेंशन प्रणाली खंडित और अपर्याप्त बनी हुई है, जिसमें बड़े पैमाने पर अनौपचारिक कर्मचारी शामिल नहीं हैं। जबकि NPS और अटल पेंशन योजना (APY) जैसी योजनाएँ मौजूद हैं, लेकिन केवल 5.3 प्रतिशत आबादी ही इसके दायरे में आती है। 85 प्रतिशत कार्यबल के अनौपचारिक होने के कारण, दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति सुरक्षा अभी कल्पना मात्र ही बनी हुई है।
पेंशन प्रणाली अपर्याप्त एवं खंडित क्यों बनी हुई है
- कम समग्र कवरेज: औपचारिक पेंशन योजनाएँ केवल 12-13 प्रतिशत कार्यबल को कवर करती हैं, जिससे अधिकांश लोग वृद्धावस्था आय से वंचित रह जाते हैं।
- अनौपचारिक क्षेत्र तक सीमित पहुँच: जबकि अनौपचारिक श्रमिक लगभग 85 प्रतिशत रोजगार का हिस्सा हैं, केवल 14 प्रतिशत ही पेंशन योजनाओं में भाग लेते हैं।
- उदाहरण के लिए APY और PM-SYM केवल 51.2 मिलियन लोगों को कवर करती हैं, जो अनौपचारिक श्रमिकों का केवल 14 प्रतिशत है।
- योजना के डिजाइन में खामियाँ: निश्चित मासिक अंशदान अनौपचारिक काम में प्रचलित अनियमित आय के लिए उपयुक्त नहीं है।
- उदाहरण के लिए, PM-SYM और APY में कमियाँ हैं: APY में कम रुचि दिखाई गई और PM-SYM में बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल नहीं हुए।
- कम पेंशन लाभ: ये योजनाएँ मामूली पेंशन प्रदान करती हैं जो मुद्रास्फीति और बढ़ती जीवन लागतों का मुकाबला करने में विफल रहती हैं।
- उदाहरण के लिए, APY पेंशन ₹1,000-5,000 तक होती है, जबकि PM-SYM ₹3,000 मासिक प्रदान करता है, जो बुज़ुर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
- सेवानिवृत्ति जागरूकता की कमी: कम वित्तीय साक्षरता और परिवार के समर्थन पर निर्भरता, पेंशन प्राप्त करने में बाधा डालती है।
- उदाहरण: OMI फाउंडेशन ने संभावित वृद्धावस्था गरीबी पर प्रकाश डाला है, क्योंकि केवल 2 प्रतिशत अनौपचारिक श्रमिक ही NPS का उपयोग करते हैं।
- प्रशासनिक अक्षमताएँ: पेंशन वितरण प्रणालियाँ राज्यों में अतिभारित, विलंबित और विखंडित हैं।
- उदाहरण के लिए, केवल कुछ ही राज्य मासिक रूप से NSAP पेंशन वितरित करते हैं, जबकि अन्य इसे तिमाही या छमाही रूप में वितरित करते हैं।
- अपर्याप्त प्रोत्साहन: कम रिटर्न और कर लाभ का अभाव कम आय वाले श्रमिकों के लिए आकर्षण को कम करता है।
समावेशी दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति सुरक्षा के लिए रूपरेखा
- लचीला, आय से जुड़ा योगदान: वित्तीय योगदान को उतार-चढ़ाव वाली अनौपचारिक आय के अनुसार समायोजित किया जाना चाहिए।
- उदाहरण: जापान की अनिवार्य फ्लैट-रेट अंशदायी योजना में स्वरोजगार वाले और किसान भी शामिल हैं, जिससे व्यापक कवरेज सुनिश्चित होती है।
- सार्वभौमिक सामाजिक पेंशन: पर्याप्त बचत करने में असमर्थ लोगों के लिए गैर-अंशदायी पेंशन शुरू करनी चाहिए।
- उदाहरण: न्यूजीलैंड की सार्वभौमिक फ्लैट-रेट पेंशन 65 वर्ष से अधिक आयु के सभी निवासियों को 10 वर्ष की निवास शर्त के साथ सहायता प्रदान करती है।
- हाइब्रिड मॉडल: स्वैच्छिक अंशदायी योजनाओं को गारंटीकृत बुनियादी पेंशन के साथ जोड़ना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, सामाजिक हस्तांतरण और स्वैच्छिक APY/NPS-प्रकार की योजनाएँ व्यापक वृद्धावस्था सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं।
- डिजिटल और प्रशासनिक सुधार: बेहतर पहुँच और पारदर्शिता के लिए एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संवितरण को सुव्यवस्थित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए PFRDA और बैंक, देरी कम करने व एजेंटों पर निर्भरता को खत्म करने के लिए पेंशन पोर्टल को एकीकृत कर सकते हैं।
- वित्तीय साक्षरता अभियान: सेवानिवृत्ति बचत के महत्त्व और पेंशन तक डिजिटल पहुँच पर राष्ट्रीय अभियान चलाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, ‘म्यूचुअल फंड सही है’ जैसी राष्ट्रव्यापी पहल रेडियो, टीवी और डिजिटल मीडिया के माध्यम से पेंशन को बढ़ावा दे सकती है।
- राज्य-केंद्र एकीकरण: औपचारिक समन्वय के माध्यम से राज्यों में पेंशन नीतियों और भुगतान चक्रों को एकीकृत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, राज्यों और केंद्र के बीच समझौता ज्ञापन, जापान के समन्वित पेंशन प्रशासन की तरह मासिक संवितरण सुनिश्चित कर सकते हैं।
- ऑप्ट-आउट और डिफाल्ट नामांकन मॉडल: व्यक्तिगत पसंद को संरक्षित करते हुए डिफ़ॉल्ट रूप से नामांकन को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, अपने कर्मचारियों के लिए UK की ऑप्ट-आउट पेंशन योजना स्वयं ही भागीदारी को बढ़ावा देती है।
स्थायी पेंशन सुधार के लिए, भारत को बुनियादी सार्वभौमिक पेंशन और लचीली अंशदायी योजनाओं के साथ दो-स्तरीय प्रणाली का निर्माण करना चाहिए। वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना, डिजिटल वितरण में सुधार करना और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना यह सुनिश्चित कर सकता है कि अनौपचारिक श्रमिक भी सुरक्षित, सम्मानजनक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र सेवानिवृत्ति का आनंद लें।
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