प्रश्न की मुख्य माँग
- तृतीय परमाणु युग के उदय के साथ बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और सैन्य आधुनिकीकरण के बीच परमाणु निवारण, निरस्त्रीकरण और अप्रसार के बदलते हुए वैश्विक मानदंडों पर टिप्पणी कीजिए।
|
उत्तर
‘तृतीय परमाणु युग’ वर्तमान वैश्विक युग को संदर्भित करता है, जो नई प्रौद्योगिकियों, बहुध्रुवीय प्रतिद्वंद्विता और क्षेत्रीय संघर्षों की विशेषता वाले परमाणु प्रतिस्पर्धा के पुनरुत्थान से भरा हुआ है। शीत युद्ध के द्विध्रुवीय गतिरोध के विपरीत, इस चरण में जटिल प्रतिवारण गतिशीलता, कमजोर निरस्त्रीकरण प्रयास और परमाणु अप्रसार व्यवस्थाओं के लिए चुनौतियाँ शामिल हैं , जैसा कि हाल ही में इजराइल-ईरान तनाव और विश्व भर में हो रहे सैन्य संघर्षों में देखा गया है।
परमाणु युग के चरण
- प्रथम परमाणु युग (वर्ष 1945-1991): इस युग में USA-USSR द्विध्रुवीय प्रतिद्वंद्विता का बोलबाला था, जिसमें सामरिक स्थिरता बनाए रखने के लिए पारस्परिक विनाश (MAD) और बड़े परमाणु शस्त्रागार पर जोर दिया गया था ।
- द्वितीय परमाणु युग (1991 के बाद): यह युग महाशक्तियों से आगे बढ़कर भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे क्षेत्रीय राष्ट्रों तक परमाणु प्रसार द्वारा भरा हुआ था, जिसमें शस्त्रागार कम हो गए, लेकिन क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया।
- तृतीय परमाणु युग (वर्तमान युग): बहुध्रुवीय परमाणु प्रतिस्पर्धा, तीव्र तकनीकी प्रगति, शस्त्र नियंत्रण संधियों का क्षरण, तथा पारंपरिक निवारण मॉडलों को चुनौती देने वाले जटिल क्षेत्रीय संघर्ष इसकी विशेषता है ।
तृतीय परमाणु युग की विशेषताएँ
- बहुध्रुवीयता: विविध सिद्धांतों और क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता वाले अनेक परमाणु राज्य द्विध्रुवीय प्रभुत्व का स्थान ले लेते हैं।
- उन्नत प्रौद्योगिकियाँ: हाइपरसोनिक मिसाइलें, साइबर युद्ध और स्वायत्त प्रणालियाँ निवारण को जटिल बनाती हैं।
- शस्त्र नियंत्रण में कमी: INF जैसी प्रमुख संधियों का टूटना तथा न्यू स्टार्ट पर अनिश्चितता से निरस्त्रीकरण कमजोर हो रहा है।
- हाइब्रिड युद्ध: पारंपरिक, परमाणु, साइबर और गुप्त अभियानों के सम्मिश्रण से अप्रत्याशितता बढ़ जाती है।
- क्षेत्रीय संघर्ष: इजरायल-ईरान तनाव जैसे संघर्ष वैश्विक महाशक्ति प्रतिद्वंद्विता से परे परमाणु जोखिम को बढ़ाते हैं।
|
तृतीय परमाणु युग का उदय: निवारण, निरस्त्रीकरण और अप्रसार में बदलते मानदंड
परमाणु प्रतिवारण
- MAD का क्षरण: पूर्व-आक्रमणकारी हमले पारस्परिक सुनिश्चित विनाश के तर्क को चुनौती देते हैं।
- उदाहरण के लिए, जून में अराक रिएक्टर पर इजरायल के हमले का उद्देश्य हथियारीकरण से पहले ईरान की परमाणु क्षमता को कम करना था।
- पनडुब्बी आधारित ट्रायड: समुद्र से प्रक्षेपित प्रणालियाँ विश्वसनीय द्वितीय-आक्रमण आश्वासन प्रदान करती हैं।
- उदाहरण के लिए, भारत का INS अरिघात और आगामी INS अरिधमन समुद्री प्रतिरोध क्षमताओं को मजबूत करते हैं।
- उन्नत मिसाइल खतरे: हाइपरसोनिक और मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) मिसाइलें प्रतिवारण शक्ति को काफी हद तक बढ़ाती हैं।
- उदाहरण के लिए, भारत की अग्नि-प्राइम MIRV और शौर्य हाइपरसोनिक मिसाइल सामरिक निवारक जटिलता को बढ़ाती हैं।
- भूराजनीति में हाइब्रिड वृद्धि: गुप्त ड्रोन हमले परमाणु और पारंपरिक युद्ध के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देते हैं।
- उदाहरण: जून 2025 में मोसाद द्वारा ईरानी मिसाइल अवसंरचना पर ड्रोन से हमला, तनाव के एक नए रूप का संकेत है।
निरस्त्रीकरण
- संधि थकान और विफलताएँ: प्रमुख हथियार-नियंत्रण संरचनायें नष्ट हो रही है।
- उदाहरण के लिए, INF संधि (2019) का समाप्त होना और New START से संबंधित अनिश्चितता कमज़ोर होते निरस्त्रीकरण मानदंडों को दर्शाती है।
- पूर्व-आक्रमण संधियों को कमजोर करते हैं: परमाणु सुविधाओं पर सैन्य हमले खतरनाक मिसाल कायम करते हैं।
- उदाहरण के लिए, नातान्ज़ , बुशहर और अराक रिएक्टरों पर इज़राइल के हमले वैश्विक निरस्त्रीकरण अपेक्षाओं का उल्लंघन करते हैं।
- क्षेत्रीय संकट तनाव: इजरायल-ईरान के बीच चल रही शत्रुता, क्षेत्रीय असुरक्षा को बढ़ाती है और निरस्त्रीकरण प्रयासों में बाधा डालती है।
- महाशक्तियों की सैन्य बढ़त: महाशक्तियाँ निरस्त्रीकरण प्रतिबद्धताओं की तुलना में तेजी से शस्त्रागार आधुनिकीकरण को प्राथमिकता देती हैं।
- उदाहरण के लिए, रूस और अमेरिका परमाणु कटौती करने के बजाय हाइपरसोनिक और दोहरे उपयोग वाली प्रणालियाँ तैनात करते हैं।
अप्रसार
- सीमांत राज्य जोखिम: ईरान का यूरेनियम संवर्धन परमाणु अप्रसार संधियों में विश्वास को कमज़ोर करता है।
- उदाहरण के लिए, IAEA ने लगभग 200 किलोग्राम 60% संवर्धित यूरेनियम की रिपोर्ट दी है, जो ख़तरनाक रूप से हथियार-ग्रेड सामग्री के करीब है।
- संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) का पतन: बहुपक्षीय समझौतों की विफलता परमाणु अप्रसार मानदंडों को नष्ट कर देती है।
- उदाहरण के लिए, वर्ष 2015 के ईरान समझौते से अमेरिका के पीछे हटने से ईरान की परमाणु प्रगति में तेज़ी आई।
- मध्य पूर्व में प्रसार का दबाव: ईरान की परमाणु प्रगति क्षेत्रीय देशों को परमाणु विकल्पों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
- उदाहरण के लिए, सऊदी अरब और मिस्र कथित तौर पर ईरान के हथियार बनाने की स्थिति में परमाणु कार्यक्रम पर विचार कर रहे हैं।
- सत्यापन में व्यवधान: संघर्षों से अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण व्यवस्थाएं कमजोर होती हैं।
- उदाहरण के लिए, ईरानी परमाणु स्थलों तक IAEA की सीमित पहुँच बढ़ती अप्रसार चुनौतियों को उजागर करती है।
तृतीय परमाणु युग, निवारक अस्पष्टता, हथियार नियंत्रण में कमी और संवेदनशील अप्रसार व्यवस्थाओं सहित अस्थिरता उत्पन्न करने वाली प्रवृत्तियों को दर्शाता है, जो इज़राइल-ईरान संघर्ष और उन्नत सैन्य आधुनिकीकरण से और भी बदतर हो गई है। वैश्विक संधियों, संकट संचार और IAEA सत्यापन को मज़बूत करना इन बढ़ते रणनीतिक जोखिमों के प्रबंधन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments