Q. "महिलाओं को निर्णयन प्रक्रिया से बाहर रखने से लैंगिक मुद्दों पर नीतिगत दृष्टिहीनता उत्पन्न होती है।" भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण कीजिए। इस संदर्भ में पारंपरिक पितृसत्तात्मक मानदंडों को चुनौती देने में न्यायिक हस्तक्षेप कितने प्रभावी रहे हैं? (15 अंक, 250 शब्द)
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