Q. निम्नलिखित विषयों पर 30 शब्दों में संक्षिप्त नोट्स लिखें:
(i) संवैधानिक नैतिकता
(ii) हितों का टकराव
(iii) सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी
(iv) डिजिटलीकरण की चुनौतियाँ
(v) कर्तव्य के प्रति समर्पण

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • प्रस्तावना: सार्वजनिक सेवा के संबंध में प्रासंगिक परिचय ।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    1. शासन के विभिन्न कार्य क्षेत्रों का उचित उदाहरण प्रस्तुत करें ।
  • निष्कर्ष: सार्वजनिक सेवा में वर्तमान संदर्भ के साथ निष्कर्ष निकालें।

प्रस्तावना:

शासन और सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में, कुछ अवधारणाएँ और सिद्धांत नैतिक आचरण और समाज के उचित कामकाज को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्य विषयवस्तु:-

पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए इन अवधारणाओं को समझना महत्वपूर्ण है।

  1. संवैधानिक नैतिकता: संविधान में निहित सिद्धांतों और मूल्यों का पालन ही संवैधानिक नैतिकता है।
    उदाहरण के लिए, जब भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने संवैधानिक वैधता के रूप में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा, तो यह संवैधानिक नैतिकता के पालन का एक स्पष्ट उदाहरण था।
  2. हितों का टकराव: हितों का टकराव तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति या संगठन के प्रतिस्पर्धी हित या निष्ठाएँ होती हैं, जो उनके कार्यों या निर्णयों को प्रभावित कर सकता है।
    उदाहरण के लिए, यदि कोई सार्वजनिक अधिकारी किसी ऐसी कंपनी में शेयरों का मालिक है जो सरकारी अनुबंध चाहता है, तो उस अधिकारी के लिए उस अनुबंध से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेना हितों का टकराव होगा।
  3. सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी: सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी का तात्पर्य सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा नैतिक और नैतिक सिद्धांतों के पालन से है।
    उदाहरण के लिए जब कोई सार्वजनिक अधिकारी जनता के सामने अपनी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करता है, तो यह सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
  4. डिजिटलीकरण की चुनौतियाँ: डिजिटलीकरण की चुनौतियों में गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, पहुँच और समावेशिता के मुद्दे और डिजिटल साक्षरता तथा कौशल संबंधी मुद्दे शामिल हैं।
    उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान डिजिटल प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग से दूरस्थ क्षेत्रों में कार्य और सीखने के साथ, डेटा गोपनीयता और साइबर खतरों जैसी चिंताएं अधिक गंभीर हो गई हैं।
  5. कर्तव्य के प्रति समर्पण: कर्तव्य के प्रति समर्पण व्यक्तियों की अपने कार्यों और जिम्मेदारियों को बिना किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के अपनी सर्वोत्तम क्षमता से करने की प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी को संदर्भित करता है।
    उदाहरण के लिए जब डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपने स्वास्थ्य के जोखिमों के बावजूद महामारी के दौरान अथक परिश्रम करते रहते हैं तो यह कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा और समाज की सेवा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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