संक्षेप में समाचार

चंद्रयान-2 ने चंद्रमा पर सूर्य के प्रभाव का अवलोकन किया

चंद्रयान-2 ने अपने CHACE-2 पेलोड का प्रयोग करते हुए, सूर्य से चंद्रमा पर पड़ने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (CME) का पहला प्रत्यक्ष अवलोकन रिकॉर्ड किया।

चंद्रयान-2  के बारे में 

  • 22 जुलाई, 2019 को प्रक्षेपित चंद्रयान-2 ऑर्बिटर आठ प्रायोगिक पेलोड ले गया था।
  • पेलोड: CHACE-2 (चंद्र का वायुमंडलीय संरचना एक्सप्लोरर-2) इसरो के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर लगा एक न्यूट्रल गैस मास स्पेक्ट्रोमीटर है, जो चंद्रमा के बहिर्मंडल का अध्ययन करता है।
    • इसने सौर CME के एक्सोस्फीयर की प्रतिक्रिया को मापा।

चंद्रयान-2 के अवलोकनों से चंद्र बाह्यमंडल गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम प्रभावों पर महत्त्वपूर्ण डेटा प्राप्त होता है, जो अत्याधुनिक चंद्र विज्ञान में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करता है और भविष्य में चंद्र अन्वेषण योजना में सहायता करता है।

जापान-भारत समुद्री अभ्यास (JAIMEX)- 2025

हाल ही में INS सह्याद्री ने JAIMEX-25 के समुद्री और बंदरगाह चरण में भाग लिया।

जापान-भारत समुद्री अभ्यास (JAIMEX) के बारे में

  • JAIMEX एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है, जिसकी स्थापना भारतीय नौसेना और JMSDF के बीच समन्वय, विश्वास और अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने के लिए की गई थी।
  • उत्पत्ति: पहला JIMEX जनवरी 2012 में जापान के तट पर आयोजित किया गया था।
    • यह भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक तथा वैश्विक साझेदारी के तहत वर्ष 2014 में शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग पर जोर देना था।

JAIMEX-25 के बारे में

  • स्थान और अवधि: समुद्री चरण 16-18 अक्टूबर, 2025 तक प्रशांत महासागर में आयोजित किया गया, जिसके बाद 21 अक्टूबर, 2025 को जापान के योकोसुका में बंदरगाह चरण आयोजित किया गया।
  • फोकस क्षेत्र
    • उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) और मिसाइल रक्षा अभ्यास।
    • संचालन समन्वय के लिए उड़ान संचालन और संचालित पुनःपूर्ति।
    • क्रास-डेक दौरे, सहयोगात्मक परिचालन योजना, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान और सौहार्द बढ़ाने के लिए एक संयुक्त योग सत्र।
  • प्रतिभागी
    • भारतीय नौसेना: INS सह्याद्रि (शिवालिक-क्लास स्टील्थ फ्रिगेट)।
    • JMSDF: जहाज असाही, ओउमी, और पनडुब्बी जिनरियू।
  • महत्त्व
    • दो प्रमुख हिंद-प्रशांत लोकतंत्रों के बीच रक्षा कूटनीति और परिचालन तालमेल को मजबूत करता है।
    • यह एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण को सुदृढ़ करता है।
    • मालाबार (नौसेना), वीर गार्जियन (वायुसेना) और धर्म गार्जियन (थल सेना) जैसे अन्य द्विपक्षीय अभ्यासों का पूरक है।

खेल में डोपिंग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन

हाल ही में भारत को खेलों में डोपिंग के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय अभिसमय के 10वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP10) के दौरान एशिया-प्रशांत समूह (Group IV) के ब्यूरो के उपाध्यक्ष के रूप में पुनः निर्वाचित किया गया। यह सम्मेलन यूनेस्को मुख्यालय, पेरिस (फ्राँस) में आयोजित हुआ।

10वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP10) के बारे में 

  • तिथि एवं उपलब्धि: यह सम्मेलन 20–22 अक्टूबर 2025 तक आयोजित हुआ, जिसने अभिसमय की 20वीं वर्षगाँठ को चिह्नित किया।
  • प्रतिभागिता: इसमें 190 से अधिक सदस्य देशों ने भाग लिया, साथ ही विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA), अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) और यूनेस्को के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
  • प्रमुख फोकस क्षेत्र: शासन संबंधी सुधारों को मजबूत करना, खेल में डोपिंग उन्मूलन कोष का वित्तपोषण करना तथा जीन परिवर्तन, पारंपरिक फार्माकोपिया और खेल में नैतिक मुद्दों जैसी उभरती चुनौतियों का समाधान करना।
  • नेतृत्व संरचना: अजरबैजान को अध्यक्ष चुना गया; अन्य क्षेत्रीय समूहों के लिए ब्राजील, जांबिया और सऊदी अरब को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • भारत का योगदान: अपनी डोपिंग रोधी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए इंटरैक्टिव प्रदर्शन प्रस्तुत किए गए तथा युवाओं में नैतिकता, अखंडता तथा निष्पक्ष खेल की भावना विकसित करने के लिए खेल के माध्यम से मूल्य शिक्षा (VETS) दृष्टिकोण के एकीकरण का प्रस्ताव रखा गया।

खेलों में डोपिंग के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय अभिसमय

  • स्वरूप:  यह यूनेस्को के अधीन एक बहुपक्षीय संधि है, जिसके तहत सदस्य देश राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डोपिंग की रोकथाम और उन्मूलन हेतु उपाय अपनाने पर सहमत होते हैं।
  • स्वीकृति:  इसे 19 अक्टूबर, 2005 को यूनेस्को की 33वीं महासभा के दौरान अपनाया गया।
  • प्रवर्तन:  1 फरवरी, 2007 को यह संधि प्रभावी हुई, जब 30 देशों ने प्रारंभिक रूप से इसका अनुमोदन किया।
  • वर्तमान स्थिति:  अब तक 192 देश इस संधि के पक्षकार हैं, जिससे यह यूनेस्को की दूसरी सबसे अधिक अनुमोदित की जाने वाली संधि बन गई है।
  • मुख्य उद्देश्य: विश्व स्तर पर डोपिंग विरोधी कानूनों, दिशा-निर्देशों, नियमों और विनियमों को समान और समन्वित  करना, ताकि सभी खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित और समान प्रतिस्पर्धी वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • कानूनी ढाँचा: राष्ट्रीय डोपिंग विरोधी उपायों को विश्व डोपिंग रोधी संहिता (WADA Code) के अनुरूप लाता है ताकि निष्पक्षता और एकरूपता सुनिश्चित हो सके।
    • वैश्विक सहयोग: सरकारों, खेल संगठनों और वैज्ञानिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
    • वित्त पोषण तंत्र:  डोपिंग रोधी कोष (Anti-Doping Fund) के माध्यम से प्रशिक्षण, शिक्षा और जन-जागरूकता कार्यक्रमों को समर्थन प्रदान करता है।
    • नैतिक पर्यवेक्षण:  जीन डोपिंग और पारंपरिक औषधि विज्ञान जैसे उभरते विषयों को संबोधित कर खेलों की नैतिकता और अखंडता की रक्षा करता है।
    • शासन सुधार: COP सत्रों के माध्यम से ब्यूरो और अनुमोदन समिति की स्थापना की जाती है, जो अनुपालन और वित्तीय प्रबंधन की निगरानी करती है।
  • महत्त्व: यह विश्वभर में खेल अखंडता, एथलीट संरक्षण और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है।

अंतरराष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस

23 अक्टूबर 2025 को, भारत ने ‘#23फॉर23’ नामक एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करके अंतरराष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस मनाया, जिसमें नागरिकों को हिम तेंदुए के संरक्षण के समर्थन में 23 मिनट की शारीरिक गतिविधि समर्पित करने के लिए आमंत्रित किया गया।

  • यह अभियान यूनेस्को और UNEP के सहयोग से स्नो लेपर्ड ट्रस्ट (Snow Leopard Trust) द्वारा संचालित वैश्विक आंदोलन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय पारितंत्र के संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना है।

अंतरराष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस के बारे में

  • घोषणा: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 12 दिसंबर, 2024 को इस दिवस को औपचारिक रूप से अपनाया गया।
  • उद्देश्य: मध्य एवं दक्षिण एशिया के पर्वतीय क्षेत्रों में हिम तेंदुओं तथा उनके आवासों के संरक्षण के लिए वैश्विक जागरूकता एवं कार्रवाई को प्रोत्साहित करना।
  • महत्त्व: हिम तेंदुए की सुरक्षा और संरक्षण सतत् विकास के लिए 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन में योगदान देता है, जिसमें SDG 6 (जल और स्वच्छता), SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) और SDG  15 (जैव विविधता) शामिल हैं।

हिम तेंदुआ (पैंथेरा उन्शिया) के बारे में

  • भौगोलिक विस्तार: यह 12 देशों (अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान) में पाया जाता है।
  • भारत में आवास स्थान: लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में पाया जाता है।
  • राजकीय पशु: हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के राजकीय पशु के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • अनुकूलन: अपने स्वभाव और छलावरण के कारण इसे ‘घोस्ट ऑफ माउन्टेन’ कहा जाता है, यह ठंडे, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी वातावरण में जीवित रहने के लिए अनुकूलित है।
  • व्यवहार: अन्य बिग कैट्स के विपरीत, यह दहाड़ता नहीं है, बल्कि गुर्राहट, फुफकार, म्याऊँ और एक विलक्षण ध्वनि (Chuff) के माध्यम से संवाद करता है। यह सांध्यकालीन (सुबह और शाम को सक्रिय) और एकान्त प्रकृति का जीव है।
  • संरक्षण स्थिति
    • IUCN: सुभेद्य (Vulnerable)
    • CITES: परिशिष्ट I (Appendix I)
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I

पारिस्थितिकी भूमिका 

  • शिकार प्रजातियों का संतुलन:  हिम तेंदुआ एक शीर्ष शिकारी होने के कारण आइबेक्स और ब्लू शीप  जैसी प्रजातियों की संख्या को नियंत्रित करता है, जिससे अत्यधिक चराई और मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।
  • जैव विविधता का संरक्षण: शाकाहारी जीवों के संतुलन को बनाए रखते हुए हिम तेंदुआ पौधों की विविधता को संरक्षित करता है, जिससे पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र स्थायी बना रहता है।
  • खाद्य शृंखला का आधार:  हिम तेंदुए द्वारा छोड़े गए शिकार के अवशेष गिद्धों, भेड़ियों और छोटे मांसाहारी जीवों के लिए खाद्य का स्रोत बनते हैं, जिससे खाद्य जाल को स्थिरता मिलती है।
  • संकेतक प्रजाति: हिम तेंदुए की जनसंख्या की स्थिति उच्च हिमालयी आवासों की पारिस्थितिकी स्वच्छता और स्थिरता का सूचक मानी जाती है।

भारत में हिम तेंदुए की स्थिति 

  • आबादी:  स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट इन इंडिया (SPAI) कार्यक्रम के अनुसार, भारत में लगभग 718 हिम तेंदुए पाए जाते हैं।
  • राज्यवार वितरण: लद्दाख (477), उत्तराखंड (124), हिमाचल प्रदेश (51), अरुणाचल प्रदेश (36), और सिक्किम (21)।
  • प्रमुख प्रजाति:  हिम तेंदुए को हिमालयी उच्च-ऊँचाई वाले पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु प्रमुख या प्रतीक प्रजाति के रूप में नामित किया गया है।

मुख्य आवास:  हेमिस राष्ट्रीय उद्यान, लद्दाख  जिसे विश्व की ‘स्नो लेपर्ड कैपिटल’ कहा जाता है, हिम तेंदुए का प्रमुख आवास क्षेत्र है।

जोड़े साहिब

भारतीय प्रधानमंत्री ने लोगों से आह्वान किया कि वे दिल्ली से तख्त श्री पटना साहिब तक होने वाली ‘गुरु चरण यात्रा’ के दौरान पवित्र ‘जोड़े साहिब’ (Jore Sahib) के दर्शन करें।

जोड़े साहिब के बारे में 

  • जोड़े साहिबगुरु गोविंद सिंह जी एवं माता साहिब कौर जी से संबंधित पवित्र पादुकाओं को कहा जाता है, जिन्हें सिख परंपरा में पवित्र अवशेष के रूप में अत्यंत श्रद्धा से पूजा जाता है।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: ये पवित्र अवशेष लगभग तीन शताब्दियों से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के परिवार द्वारा संरक्षित किए गए हैं, जो आध्यात्मिक और ऐतिहासिक निरंतरता का प्रतीक हैं।
    •  हाल ही में इन पवित्र जोड़ों को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) को सौंपा गया है, ताकि इन्हें तख्त श्री पटना साहिब में स्थापित किया जा सके।
  • भौतिक विवरण: ये अवशेष गुरु गोबिंद सिंह जी के दाहिने पैर के लिए 11” × 3½” और माता साहिब कौर जी के बाएँ पैर के लिए 9” × 3” के हैं।
  • गुरु चरण यात्रा मार्ग:  यह यात्रा 23 अक्टूबर, 2025 को गुरुद्वारा मोती बाग (दिल्ली) से प्रारंभ हुई। यह फरीदाबाद, आगरा, लखनऊ, वाराणसी से होते हुए 1 नवंबर, 2025 को तख्त श्री पटना साहिब पहुँचेगी।

यह यात्रा गुरु गोविंद सिंह जी एवं माता साहिब कौर जी की आदर्शों और शिक्षाओं से आध्यात्मिक जुड़ाव को सुदृढ़ करने के लिए आयोजित की गई है।  इसका उद्देश्य भक्ति, एकता और सिख विरासत को बढ़ावा देना है।

पायलट व्हेल

हाल ही में न्यूजीलैंड के नॉर्थ आइलैंड के उत्तरी भाग के पास अवस्थित ट्वाइलाइट तट [पैंगा रेहिया (Paenga Rehia)] पर 29 पायलट व्हेल (Pilot Whales) फँसी हुई पाई गईं, जिनमें से अधिकतर  की मृत्यु हो गई थी।

बड़े पैमाने पर फँसे होने के संभावित कारण

  • नेविगेशनल त्रुटियाँ: उथली, ढलानदार तटरेखाओं के कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है, जो इकोलोकेशन को प्रभावित करती हैं।
  • सामाजिक जुड़ाव: समूह की मजबूत एकजुटता स्वस्थ व्हेलों को भटकावग्रस्त सदस्यों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करती है।
  • भू-चुंबकीय विक्षोभ:  पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन प्रवासी समूहों को भ्रमित करते हैं।
  • शिकारी से बचाव:  किलर व्हेल (Orcas) के भागने के व्यवहार के कारण उनके झुंड किनारे की ओर आ जाते हैं।
  • मानवजनित कारण: जल के अंदर शोर, सोनार, और जहाजों की आवाजाही व्हेल के संचार और दिशा-निर्धारण को बाधित करती है।

पायलट व्हेल के बारे में

  • वैज्ञानिक नाम:  ग्लोबिसेफाला मैक्रोरहिन्चस/जी. मेलस (Globicephala macrorhynchus / G. melas)
  • पहचान: गोल, उभरे हुए सिर और मुड़े हुए पृष्ठीय पंख  के कारण आसानी से पहचानी जाती हैं।
  • आकार:  वयस्क नर की लंबाई 7 मीटर तक और वजन 2 टन से अधिक होता है।
  • व्यवहार
    • सामूहिक रूप से रहने वाली प्रजाति।
    • नर व्हेल जीवनभर अपने मातृ समूह (Maternal Pod) के साथ रहते हैं।
  • अनुकूलन: उत्कृष्ट गहरे गोताखोर होते हैं, स्क्विड और छोटी मछलियों का शिकार करने के लिए 1,000 मीटर तक गोता लगा सकते हैं।
  • आवास: उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण गहरे समुद्री जल क्षेत्रों में विश्वभर में पाई जाती हैं।
  • आहार:  मुख्यतः स्क्विड (Squid) और छोटी मछलियाँ
  • संरक्षण स्थिति
    • IUCN: कम चिंताजनक।
    • CITES: परिशिष्ट II में सूचीबद्ध (नियंत्रित व्यापार)।

शौर्य वन

हाल ही में रक्षा मंत्री ने जैसलमेर (राजस्थान) में ‘शौर्य वन’ (Shaurya Van) का उद्घाटन किया।

शौर्य वन के बारे में 

  • शौर्य वन जैसलमेर के थार मरुस्थल में स्थित एक ‘कैक्टस-कम-बॉटनिकल गार्डन’ है, जो भारतीय सशस्त्र बलों के शौर्य और बलिदान को समर्पित है।
  • मुख्य विशेषताएँ 
    • यहाँ भारतीय सैनिकों की वीरता को दर्शाने वाला लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है।
    • यह स्थल वर्ष 1971 भारत-पाक युद्ध संग्रहालय के परिसर में स्थित है, जो इतिहास और सैन्य श्रद्धांजलि को जोड़ता है।
    • इसका उद्देश्य जनसाधारण को भारतीय सेना की उपलब्धियों से अवगत कराना और देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करना है।
  • महत्त्व 
    • यह स्थल भारतीय सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान का प्रतीक है।
    • यह सैन्य सेवा के प्रति सम्मान और जन-जागरूकता को बढ़ाता है।
  • जैसलमेर क्षेत्र में पर्यटन और विरासत शिक्षा को बढ़ावा देता है।

INS विक्रांत

प्रधानमंत्री ने INS विक्रांत (INS Vikrant) पर भारतीय नौसेना कर्मियों के साथ दीपावली मनाई।

INS विक्रांत के बारे में

  • परिचय: INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत है, जो भारत की नौसैनिक शक्ति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सामरिक क्षमता को बढ़ाता है।
  • इतिहास: यह पोत का नामकरण पूर्व के INS विक्रांत (वर्ष 1961–1997) के नाम पर रखा गया है, जिसने वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • पहला विक्रांत मूलतः वर्ष 1943 में रॉयल नेवी के लिए HMS हर्कुलस के रूप में बनाया गया था; द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था।
  • विनिर्माण: कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा, जहाजरानी मंत्रालय के तहत निर्मित किया गया है।
  • कमीशन किया गया: एक दशक से अधिक समय के निर्माण और परिचालन तैयारी के बाद 2022 में इस वाहक को कमीशन किया गया।

मुख्य विशेषताएँ

  • आकार: इसकी लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर, ऊँचाई 59 मीटर है, इसका हैंगर दो ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल जितना बड़ा है।
  • क्षमता: 30 विमान (मिग-29K जेट, हेलीकॉप्टर) और लगभग 1,600 चालक दल के सदस्यों को ले जा सकता है।
  • सुविधाएँ: इसमें 16 बेड का हॉस्पिटल, 2,400 कंपार्टमेंट और 250 टैंकरों के लिए ईंधन है।
  • प्रणोदन और संचालन: यह चार गैस टरबाइन (88 MW) से चलता है, टॉप स्पीड 28 नॉट है, एयरक्राफ्ट लॉन्च के लिए STOBAR स्की-जंप सिस्टम का उपयोग करता है।

महत्त्व 

  • INS विक्रांत भारत की नौसैनिक आत्मनिर्भरता और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है, जो स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में एक मील का पत्थर है।

रकछम-चितकुल वन्यजीव अभयारण्य

हाल ही में हिमाचल प्रदेश के रकछम–चितकुल वन्यजीव अभयारण्य में एक अंतरराष्ट्रीय पक्षी अवलोकन कार्यक्रम (International Bird-Watching Programme) आयोजित किया गया।

रकछम–चितकुल वन्यजीव अभयारण्य के बारे में 

  • रकछम–चितकुल वन्यजीव अभयारण्य हिमाचल प्रदेश में एक संरक्षित क्षेत्र है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता और हिमालयी परिदृश्य के लिए जाना जाता है।
  • अवस्थिति: यह पश्चिमी हिमालय में 3,200-5,486 मीटर की ऊँचाई पर, 30.98 वर्ग किमी. में विस्तृत किन्नौर जिले में स्थित है।
  • भौगोलिक विशेषताएँ: यह अभयारण्य बर्फ से ढके पहाड़ों, हरी-भरी घाटियों और प्रवाहित नदियों से विस्तृत है तथा यहाँ ट्रैकिंग मार्ग भी हैं, जैसे कि लामखंगा दर्रा, जो किन्नौर को उत्तराखंड के गंगोत्री से जोड़ता है।
    • यह क्षेत्र हिमाचल के अन्य अभयारण्यों के विपरीत शुष्क क्षेत्र में स्थित है तथा यहाँ मानसून नहीं आता है।
  • वनस्पतियाँ: अभयारण्य में रोडोडेंड्रोन, ओक के पेड़, देवदार के पेड़ और विभिन्न प्रकार की औषधीय जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं।
  • जीव-जंतु: यह हिम तेंदुए, हिमालयी काले भालू, कस्तूरी मृग और अनेक पक्षी प्रजातियों का आवास है।
  • पारिस्थितिकी महत्त्व: यह अभयारण्य उच्च ऊँचाई वाले हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण, स्थानिक वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने तथा सतत् पारिस्थितिक पर्यटन को समर्थन देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अंतरराष्ट्रीय पक्षी-अवलोकन कार्यक्रम के बारे में

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को पक्षी-विज्ञान और पर्वतारोहण में प्रशिक्षित करना, जैव विविधता के बारे में जानकारी प्रदान करना और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना था।
  • भागीदारी: ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, इटली, नॉर्वे और दक्षिण अफ्रीका सहित 15 देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया और 35 से अधिक पक्षी प्रजातियों का अवलोकन किया।

अभ्यास  ओशन स्काई 2025 

भारतीय वायुसेना (IAF) ओशन स्काई 2025 (Ocean Sky 2025) में भाग ले रही है, जिसका आयोजन स्पेनिश वायुसेना द्वारा गांडो एयर बेस (Gando Air Base), कैनरी द्वीपसमूह में किया जा रहा है।

ओशन स्काई 2025 के बारे में

  • यह एक उच्च-स्तरीय बहुराष्ट्रीय वायु युद्ध अभ्यास है, जिसका उद्देश्य भाग लेने वाले देशों के बीच परस्पर सहयोग, वायु युद्ध कौशल और सामूहिक सहयोग को सुदृढ़ करना है।
  • प्रतिभागी देश: स्पेन, भारत, अमेरिका, फ्राँस तथा कई यूरोपीय सहयोगी राष्ट्र।
  • महत्त्व:  यह पहली बार है, जब कोई गैर-नाटो देश इस अभ्यास में भाग ले रहा है, जो भारत और स्पेन के बढ़ते रणनीतिक संबंधों को रेखांकित करता है।

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