Q. “भारत-थाईलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलना भारत की एक्ट ईस्ट नीति में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।” इस विकास के रणनीतिक और क्षेत्रीय निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।(15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • व्याख्या कीजिए कि किस प्रकार भारत-थाईलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाना, भारत की एक्ट ईस्ट नीति में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है।
  • इस विकास के रणनीतिक निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।
  • इस विकास के क्षेत्रीय निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

भारतीय प्रधानमंत्री की हालिया यात्रा और भारत-थाईलैंड संबंधों का रणनीतिक साझेदारी बनना, एक्ट ईस्ट नीति में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है। भारत का यह कदम ASEAN के साथ जुड़ाव बढ़ाते हुए सुरक्षा, संपर्क और व्यापार में सहयोग को गहरा करने पर बल देता है। यह भारत के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते रणनीतिक इरादे को दर्शाता है और एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में थाईलैंड की भूमिका को मजबूत करता है।

भारत-थाईलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के रूप में मजबूत करना, भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव का संकेत है

  • बेहतर कनेक्टिविटी पहल: भारत-थाईलैंड की रणनीतिक साझेदारी, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी परियोजनाओं को गति देती है जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया तक निर्बाध जमीनी पहुँच बनाना है। 
    • उदाहरण के लिए: परियोजना का लगभग 70% कार्य पूरा हो चुका है, जिससे प्रमुख ASEAN कॉरिडोर में क्षेत्रीय व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
  • समुद्री सहयोग और नीली अर्थव्यवस्था: समन्वित नौसैनिक गतिविधियों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना, भारत के इंडो-पैसिफिक विजन को दर्शाता है। 
    • उदाहरण के लिए: द्विवार्षिक रूप से आयोजित भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती (इंडो-थाई कॉर्पेट) अंडमान सागर और पूर्वी हिंद महासागर में सुरक्षा और निगरानी सुनिश्चित करता है।
  • क्षेत्रीय व्यापार एकीकरण को बढ़ावा: दोनों देशों के बीच की साझेदारी के रणनीतिक उन्नयन का उद्देश्य FTA ढाँचे का लाभ उठाकर परंपरागत क्षेत्रों से परे द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाना है। 
    • उदाहरण के लिए: डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्थाओं में निवेश बढ़ाने के नए प्रयासों के साथ, वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 17.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
  • सांस्कृतिक और बौद्ध कूटनीति: साझा बौद्ध धरोहर में निहित सांस्कृतिक संबंधों को सॉफ्ट डिप्लोमेसी और विनिमय के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा रहा है। 
    • उदाहरण के लिए: थाईलैंड में भारत महोत्सव और बोधगया में थाई तीर्थयात्राएँ, सांस्कृतिक जुड़ाव और सॉफ्ट पावर के प्रभाव को गहरा करती हैं।
  • पर्यटन और पीपुल -टू-पीपुल संपर्क: वीजा सुविधा और पर्यटन पहल द्विपक्षीय सहयोग में एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारतीयों के लिए ई-पर्यटक वीजा व्यवस्था की थाईलैंड की घोषणा ने वार्षिक पर्यटक प्रवाह को बढ़ाया है, जिससे सामाजिक और आर्थिक संबंध मजबूत हुए हैं।

रणनीतिक साझेदारी के रणनीतिक निहितार्थ

  • इंडो-पैसिफिक रणनीतिक संरेखण: यह साझेदारी दोनों देशों को व्यापक इंडो-पैसिफिक ढाँचे के भीतर संरेखित करती है, जिससे मुक्त और खुले समुद्री स्थान को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: ASEAN केंद्रीयता की पुष्टि करने वाले संयुक्त वक्तव्य और UNCLOS सिद्धांतों के लिए समर्थन, साझा रणनीतिक प्राथमिकताओं को प्रदर्शित करता है।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत और थाईलैंड सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और रक्षा निर्यात का विस्तार कर रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए: मैत्री जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास अंतर-संचालन क्षमता में सुधार करते हैं और उभरती चुनौतियों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग का संकेत देते हैं।
  • आतंकवाद निरोध और खुफिया जानकारी साझा करना: द्विपक्षीय सहयोग में आतंकवाद निरोध, साइबर सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय अपराध नियंत्रण के लिए तंत्र शामिल हैं। 
    • उदाहरण के लिए: सुरक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन क्षेत्र में चरमपंथी खतरों पर रियलटाइम डेटा विनिमय को सक्षम बनाता है।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया तक रणनीतिक पहुँच: थाईलैंड, भारत के लिए ASEAN और उससे आगे अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक सेतु के रूप में कार्य करता है। 
    • उदाहरण के लिए: थाईलैंड का पूर्वी आर्थिक कॉरिडोर भारतीय फर्मों को वियतनाम, लाओस और कंबोडिया को जोड़ने वाली आपूर्ति श्रृंखलाओं तक पहुँच प्रदान करता है।
  • चीनी प्रभाव को संतुलित करना: भारत-थाईलैंड के बीच गहरा तालमेल, चीन की मुखरता के बीच दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुध्रुवीय संतुलन में योगदान देता है। 
    • उदाहरण के लिए: सहयोगी बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के BRI के विकल्प प्रदान करती हैं।

सामरिक साझेदारी के क्षेत्रीय निहितार्थ

  • ASEAN केंद्रीयता और एकीकरण: यह साझेदारी क्षेत्रीय मामलों में ASEAN एकता और केंद्रीयता के लिए भारत के समर्थन को पुष्ट करती है। 
    • उदाहरण के लिए: आसियान-भारत शिखर सम्मेलनों में भारत की भागीदारी और इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक के लिए सहायता इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • BIMSTEC सहयोग को बढ़ावा: थाईलैंड और भारत बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
  • बुनियादी ढाँचे और आपूर्ति श्रृंखला प्रत्यास्थता: संयुक्त बुनियादी ढाँचे के प्रयास क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं और आर्थिक प्रत्यास्थता को मजबूत करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे और रसद के संदर्भ में दोनों देशों के बीच का सहयोग, महामारी-युग के व्यवधानों के प्रति क्षेत्रीय प्रतिक्रियाओं को रेखांकित करता है।
  • पर्यटन और आर्थिक कॉरिडोर: पर्यटन, कनेक्टिविटी और सीमा पार कॉरिडोर समावेशी क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: अयोध्या-अयुत्या आध्यात्मिक सर्किट परियोजना धरोहर स्थलों को जोड़ती है, जिससे पर्यटन और सॉफ्ट पावर सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
  • आपदा प्रतिक्रिया और HADR: भारत-थाईलैंड सहयोग में आपदा राहत और मानवीय सहायता शामिल है। 
    • उदाहरण के लिए: ASEAN रक्षा मंत्रियों की मीटिंग-प्लस जैसे क्षेत्रीय HADR अभ्यासों में भागीदारी, समन्वित आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत करती है।

भारत-थाईलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाना एक्ट ईस्ट नीति के तहत भारत की क्षेत्रीय पहुँच में हुये परिवर्तन को दर्शाता है। रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करके, दोनों देश एक प्रत्यास्थ, बहुध्रुवीय हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान दे सकते हैं और दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति, संपर्क और साझा समृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं।

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