प्रश्न की मुख्य माँग
- शासन के साधन से लेकर DPI में वैश्विक नेतृत्व के मंच तक भारत के डिजिटल परिवर्तन का विकास
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उत्तर
वर्ष 2015 में शुरू की गई डिजिटल इंडिया पहल से प्रेरित भारत का डिजिटल परिवर्तन, आधार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से शासन को उन्नत करने के लिए सरकार द्वारा संचालित प्रयास के रूप में शुरू हुआ। आज, यह मजबूत डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) वैश्विक नेतृत्व के लिए एक मंच के रूप में विकसित हो गया है, जिसमें भारत विकासशील देशों को अपने प्रौद्योगिकी समाधान और सर्वोत्तम प्रथाओं का निर्यात कर रहा है, डिजिटल समावेशन को बढ़ावा दे रहा है और दुनिया भर में नवाचार को बढ़ावा दे रहा है।
शासन के लिए एक साधन से वैश्विक नेतृत्व के लिए एक मंच तक DPI का विकास
- वैश्विक मॉडल के रूप में इंडिया स्टैक: आधार, UPI और डिजीलॉकर जैसी मॉड्यूलर लेयर्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा रहा है।
- उदाहरण: फिलीपींस, श्रीलंका और मोरक्को जैसे देश इंडिया स्टैक को दोहराने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
- DPI निर्यातक के रूप में भारत: भारत अब डिजिटल क्षमता निर्माण के माध्यम से विकासशील देशों को DPI सहायता प्रदान करता है।
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- उदाहरण: भारत विदेश मंत्रालय की इंडियास्टैकग्लोबल पहल के माध्यम से समाधान के साथ ग्लोबल साउथ का समर्थन करता है।
- डिजिटल पब्लिक गुड्स अलायंस (DPGA): भारत सतत् विकास लक्ष्य कार्यान्वयन के लिए वैश्विक प्लेटफॉर्मों पर ओपन-सोर्स तकनीक का योगदान देता है।
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- उदाहरण: CoWIN और DIKSHA को वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए खुले तकनीकी समाधान के रूप में पेश किया गया।
- DPI पर G-20 नेतृत्व: भारत की G-20 अध्यक्षता ने वैश्विक DPI रिपोजिटरी को सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए प्रेरित किया।
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- उदाहरण: वर्ष 2023 में वैश्विक DPI शिखर सम्मेलन ने भारत को खुले डिजिटल प्रणालियों में अग्रणी के रूप में स्थापित किया।
- IMF और विश्व बैंक का समर्थन: वैश्विक संस्थाएँ अब निम्न आय वाले देशों में अनुकरण के लिए भारत की DPI का अध्ययन कर रही हैं।
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- उदाहरण: IMF पेपर (2023) ने भारत की DPI की प्रशंसा “समावेशी नवाचार के लिए एक मॉडल” के रूप में की।
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI): वर्ष 2016 में शुरू किया गया UPI कई बैंकों और प्लेटफॉर्म पर निर्बाध धन हस्तांतरण प्रदान करता है।
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- उदाहरण: UPI अब सात देशों – UAE, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्राँस और मॉरीशस में अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के लिए स्वीकार किया जाता है, जो भारत के बढ़ते वैश्विक डिजिटल भुगतान प्रभाव को दर्शाता है।
- आधार (विश्व की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक आईडी प्रणाली): वर्ष 2009 में शुरू किए गए आधार ने 1.38 बिलियन से अधिक विशिष्ट आईडी जारी किए हैं, जिससे कुशल प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और धोखाधड़ी में कमी आई है।
- उदाहरण: फिलीपींस जैसे देशों ने भारत के ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म, MOSIP का उपयोग करके इसी तरह की बायोमेट्रिक आईडी प्रणाली को अपनाया है, जिससे 95 मिलियन से अधिक नागरिकों को लाभ हुआ है।
- डिजिलॉकर (डिजिटल डॉक्यूमेंट रिपोजिटरी): डिजिलॉकर ने 675 मिलियन से अधिक डिजिटल दस्तावेज जारी किए हैं, जिससे कागज रहित शासन और आसान दस्तावेज पहुँच को बढ़ावा मिला है।
- उदाहरण: श्रीलंका अपने व्यापक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) विकास के हिस्से के रूप में भारत की डिजिलॉकर प्रणाली को अपनाने की योजना बना रहा है।
- RuPay कार्ड: RuPay कार्ड (एक्सपैंडिंग ग्लोबल पेमेंट्स रीच) कई देशों में स्वीकार किए जाते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय डिजिटल भुगतान विधियों को बढ़ावा देते हैं।
- उदाहरण: सिंगापुर, मालदीव और भूटान जैसे देशों में RuPay कार्ड को बिना को-ब्रांडिंग के स्वीकार किया जाता है, जिससे भारतीय यात्रियों और निवासियों के लिए निर्बाध लेन-देन की सुविधा मिलती है।
- ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC): ONDC का लक्ष्य भारत में ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए 30 मिलियन विक्रेताओं और 10 मिलियन व्यापारियों को शामिल करना है। अन्य देश समावेशी डिजिटल कॉमर्स विकास को बढ़ावा देने के लिए ONDC के खुले ढाँचे का अध्ययन कर रहे हैं।
वर्ष 2027-28 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को आगे बढ़ा रहा है, जिससे देश डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित हो रहा है। यह दृष्टिकोण सतत् विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नवाचार, व्यापक पहुँच तथा जिम्मेदार प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता देता है।
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