Q. रुस-यूक्रेन संघर्ष ने यूक्रेन की सुरक्षा चिंताओं और यूरोप की सामरिक सीमाओं को रेखांकित किया है। चर्चा कीजिए कि कैसे यूरोपीय शक्तियाँ, अमेरिका की भागीदारी के साथ, चल रही शांति वार्ता में रूस की माँगों का प्रबंधन करते हुए यूक्रेन की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास कर रही हैं। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • यूक्रेन की सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करने में यूरोप की रणनीतिक सीमाओं पर चर्चा कीजिए।
  • बताइये कि यूरोप और अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा कर सकते हैं।

उत्तर

फरवरी 2022 से जारी यूक्रेन युद्ध ने यूरोप की अमेरिकी सहायता पर सैन्य निर्भरता और यूक्रेन को लंबे समय तक सहारा देने की सीमित क्षमता को उजागर किया है। अगस्त 2025 में आयोजित व्हाइट हाउस के बहुपक्षीय सम्मेलन (जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति, यूरोपीय नेता और यूक्रेन के राष्ट्रपति सम्मिलित हुए) ने यूक्रेन की सुरक्षा के प्रति यूरोप की प्रतिबद्धता तो दर्शाई, किंतु साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यदि अमेरिकी समर्थन कमजोर होता है, तो यूरोप की रणनीतिक सीमाएँ गंभीर रूप से सामने आ सकती हैं।

यूरोप की सामरिक सीमाएँ

  • अमेरिका पर सैन्य निर्भरता: यूरोप के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वह अमेरिकी हथियारों के बिना रूस के विरुद्ध यूक्रेन की रक्षा को स्वतंत्र रूप से बनाए रख सके। यह स्थिति यूरोप की सामरिक कमजोरी को स्पष्ट करती है। 
  • नाटो सदस्यता का विकल्प नहीं: यूरोप ने अमेरिका के इस निर्णय को स्वीकार कर लिया है कि यूक्रेन को NATO सदस्यता नहीं दी जाएगी। इससे कीव औपचारिक सुरक्षा से वंचित रह जाता है।
    • उदाहरण: अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट किया कि NATO में यूक्रेन का प्रवेश संभव नहीं है, जिससे यूरोपीय नेताओं को वैकल्पिक सुरक्षा गारंटी का विकल्प खोजना पड़ा।
  • आंतरिक क्षमता अंतराल: यूरोपीय सेनाएँ पहले से ही दबाव में हैं और अमेरिकी समर्थन के बिना अनिश्चित काल तक “फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस” नहीं बन सकतीं।
    • उदाहरण: अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि प्राथमिक जिम्मेदारी यूरोप को लेनी होगी, जिससे उसकी संसाधन-संबंधी संवेदनशीलता उजागर हुईं।
  • युद्धविराम रेखा पर रणनीतिक दुविधा: यूरोप इस दुविधा से जूझ रहा है कि कैसे यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखते हुए रूस की डोनबास और दक्षिणी क्षेत्रों की माँगों को संबोधित किया जाए।
    • उदाहरण: रूस के राष्ट्रपति ने पूरे डोनबास की माँग की, जबकि यूरोप और यूक्रेन ने क्षेत्रीय रियायतों को अस्वीकार कर दिया।
  • राजनीतिक विभाजन और सार्वजनिक असंतोष: लंबे समय तक चले युद्ध की लागत से उत्पन्न जन असंतोष के कारण यूरोपीय एकता के विखंडन का खतरा है।
  • विश्वसनीयता कमज़ोर होने का ख़तरा: यदि यूरोप विजय सुनिश्चित नहीं कर पाता, तो इससे क्षेत्र में उसकी प्रतिरोधक क्षमता और सामरिक विश्वसनीयता कमजोर हो जाएगी।
    • उदाहरण: यदि युद्ध “फ्रोज़न कॉन्फ्लिक्ट” में बदल जाता है, तो यह 2014 के मिन्स्क समझौते के बाद की सामरिक सीमाओं की पुनरावृत्ति होगी।

यूरोप और अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा आवश्यकताओं का किस प्रकार से समाधान कर रहे हैं

  • शांति के लिए बहुपक्षीय कूटनीति: यूरोप और अमेरिका ने रूस के साथ संयुक्त वार्ताओं की पुनः‌शुरुआत की है ताकि समझौता-आधारित समाधान खोजे जा सकें। यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि स्थायी शांति केवल सैन्य शक्ति से नहीं बल्कि बहुपक्षीय कूटनीतिक प्रयासों से संभव है।
    • उदाहरण के लिए: अलास्का में ट्रम्प-पुतिन की बैठक के बाद अगस्त 2025 में व्हाइट हाउस शिखर सम्मेलन में नई गति दिखाई दी।
  • अमेरिका समर्थित सुरक्षा गारंटी के लिए दबाव: यूरोपीय राष्ट्र लगातार इस पर बल दे रहे हैं कि अमेरिका यूक्रेन के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा ढाँचे में भागीदार बने। यद्यपि नाटो सदस्यता अभी संभव नहीं, परन्तु वैकल्पिक सुरक्षा आश्वासन यूक्रेन के मनोबल और स्थिरता को मजबूती प्रदान कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: अमेरिकी राष्ट्रपति ने नाटो सदस्यता के अभाव में सुरक्षा गारंटी के लिए समर्थन का संकेत दिया।
  • यूरोपीय “आश्वासन बल”: यूरोपीय संघ ने यूक्रेन की रक्षा को स्थायी बनाने हेतु एक यूरोप के‌नेतृत्व वाली सैन्य उपस्थिति की परिकल्पना की है। यह बल केवल सांकेतिक नहीं बल्कि वास्तविक सुरक्षा कवच प्रदान करने का प्रयास है।
    • उदाहरण: यूरोपीय संघ ने यूक्रेन में एक आश्वासन बल तैनात करने पर काम शुरू कर दिया है।
  • समन्वित राजनीतिक संदेश: यूरोपीय नेताओं ने सामूहिक रूप से अमेरिका का दौरा कर यह प्रदर्शित किया कि यूरोप, यूक्रेन की सुरक्षा के प्रश्न पर विभाजित नहीं है। इससे रूस के प्रति एक सशक्त सामूहिक संदेश गया।
    • उदाहरण: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, फ्रांसीसी राष्ट्रपति, नाटो प्रमुख व्हाइट हाउस वार्ता में शामिल हुए।
  • रूस की माँगों को यूक्रेन की चिंताओं के साथ संतुलित करना: वार्ताएँ ऐसी रणनीति पर केंद्रित हैं जिसमें सीमाओं को अस्थायी रूप से स्थिर किया जाए, किन्तु दीर्घकालीन समाधान के विकल्प खुले रहें। इससे दोनों पक्षों के लिए समझौते की संभावना बनी रहती है।
  • कीव पर यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाने के लिए दबाव: यूरोप और अमेरिका, यूक्रेन को युद्धक्षेत्र की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह स्वीकार किया जा रहा है कि अधिकतम लाभ उठाने के साथ-साथ आंशिक समझौता आवश्यक होगा।
  • समझौते की ओर गति: संयुक्त प्रयास इस बात पर केन्द्रित हैं कि न तो यूक्रेन की सुरक्षा की उपेक्षा हो और न ही रूस की शिकायतों को पूर्णतः अनसुना किया जाए। इस प्रकार एक संतुलित और सतत शांति ढाँचे के‌ विकल्प की तलाश की जा रही है।

निष्कर्ष

यूक्रेन युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यूरोप की सामरिक संरचना अभी भी अमेरिका पर अत्यधिक निर्भर है, जिसके कारण वह कीव की स्वतंत्र रूप से सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं है। फिर भी, बहुपक्षीय कूटनीति, आश्वासन बलों की योजना तथा अमेरिका-समर्थित सुरक्षा गारंटी पर बल देकर यूरोप यह प्रयास कर रहा है कि यूक्रेन की रक्षा और रूस की माँगों के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके। वर्तमान में शांति की दिशा में जो प्रगति हुई है, वह एक महत्वपूर्ण अवसर है—यदि यह असफल होती है तो अस्थिरता लम्बी अवधि तक खिंच सकती है, परन्तु यदि सफल होती है तो यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था का पुनर्गठन सम्भव है।

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