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Lokesh Pal
January 29, 2025 05:15
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हाल ही में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत उल्लंघन का हवाला देते हुए एक जोड़े की शादी को रद्द कर दिया, जिसमें पुरुष की उम्र 12 वर्ष और महिला की उम्र 9 वर्ष थी।
भारतीय कानूनी प्रावधानों को लैंगिक समानता और बेहतर मातृ स्वास्थ्य व वैवाहिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने के बजाय उन क्षेत्रों में ध्यान देना चाहिए जो मूल आवश्यकताओं व मुद्दों को तर्कसंगत बनाने में सहायक हों। उदाहरण के लिए, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक यौन शिक्षा तक पहुंच बढ़ाकर इन्हें बेहतर ढंग से प्राप्त किया जा सकता है।
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