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जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में पहाड़ी समुदाय को शामिल करने का प्रावधान

Lokesh Pal February 08, 2024 06:35 115 0

संदर्भ

हाल ही में लोकसभा में पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes)  सूची में शामिल के लिए ‘संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023’ पारित किया गया। 

संबंधित तथ्य

  • गद्दा ब्राह्मण, पद्दारी जनजाति और कोली समुदाय जैसे अन्य समुदायों को भी जम्मू और कश्मीर की अनुसूचित जनजाति सूची में जोड़ा गया है।
  • लोकसभा ने वाल्मिकी समुदाय और उसके समान समुदाय को केंद्रशासित प्रदेश की अनुसूचित जातियों की सूची में जोड़ने के लिए एक और विधेयक भी पारित किया है। 

अनुसूचित जनजाति के संदर्भ में

    • भारत के संविधान के अनुच्छेद-366 (25) में यह निर्धारित किया गया है कि अनुसूचित जनजातियों का अर्थ ऐसी जनजातियों या उन जनजातीय समुदायों से है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद-342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
      • अनुच्छेद-342: यह राष्ट्रपति के आदेश को पारित करके अनुसूचित जनजातियों की पहचान करने और सूचीबद्ध करने की एक प्रक्रिया निर्धारित करता है, जिसके माध्यम से प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के लिए अनुसूचित जनजातियों की एक सूची अधिसूचित की जाती है और यह केवल उस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के अधिकार क्षेत्र के भीतर मान्य होती है।
  • संवैधानिक प्रावधान
    • संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूची: संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूची में क्रमशः “अनुसूचित क्षेत्र” और “जनजातीय क्षेत्र” घोषित ऐसे क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित विशेष प्रावधान हैं।
      • अनुच्छेद-244(1): पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान चार पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अलावा किसी भी राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन तथा नियंत्रण पर लागू होंगे।
      • अनुच्छेद-244(2): उपरोक्त चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में आदिवासी बहुल क्षेत्रों को छठी अनुसूची के तहत प्रशासित किए जाने का प्रावधान है।
    • अनुच्छेद-15(4): अन्य पिछड़े वर्गों (जिसमें अनुसूचित जनजाति भी शामिल है) की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान।
    • अनुच्छेद-29: अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा। (जिसमें अनुसूचित जनजाति भी शामिल हैं)

भारत में अनुसूचित जनजातियाँ

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुच्छेद-342 के तहत 705 जातीय समूह अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध हैं।
  • 10 करोड़ से अधिक भारतीयों को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिनमें से 1.04 करोड़ शहरी क्षेत्रों में रहते हैं जो जनसंख्या का 8.6% और ग्रामीण आबादी का 11.3% हैं।

किसी समुदाय की  अनुसूचित जनजाति स्थिति स्थापित करने के लिए मानदंड

भारत के रजिस्ट्रार जनरल, लोकुर समिति (वर्ष 1965) द्वारा दी गई कुछ विशेषताओं के आधार पर एक समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया जाता हैं।

  • मुख्य धारा के समुदाय के साथ संपर्क में झिझक।
  • नृजातीय और आदिम गुणात्मक विशेषताएँ।
  • विशिष्ट संस्कृति।
  • भौगोलिक अलगाव।
  • पिछड़ापन।
  • अनुच्छेद-350: विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण का अधिकार।
  • अनुच्छेद-350: मातृभाषा में शिक्षा।
  • अनुच्छेद-243D: पंचायतों में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
  • अनुच्छेद-330: लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
  • अनुच्छेद-332: राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
  • कानूनी सुरक्षा
    • नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955: भेदभाव को रोकना और अस्पृश्यता के प्रचार तथा आचरण के लिए दंड निर्धारित करना।
    • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ अत्याचार को रोकना तथा विशेष अदालतों के माध्यम से त्वरित सुनवाई प्रदान करने एवं पीड़ितों को राहत व पुनर्वास प्रदान करना।
    • पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम 1996: पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग-IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करना।
    • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006: वन अधिकारों और वन भूमि पर कब्जे को वन में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पारंपरिक वन निवासियों को मान्यता देना एवं संबंधित अधिकार प्रदान करना।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति  सूची में जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया

  • शामिल करने की प्रक्रिया: राज्य या केंद्रशासित प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति सूची से किसी विशेष समुदाय को जोड़ने या बाहर करने की माँग करते हुए एक प्रस्ताव तैयार करती है।
  • फिर इसे संबंधित राज्य सरकार से केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा जाता है।
  • जनजातीय मामलों का मंत्रालय अपने विचार-विमर्श के माध्यम से प्रस्ताव की जाँच करता है और इसे भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) को भेजता है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes-NCST):

    • स्थापना: इसकी स्थापना ‘संविधान (89वें संशोधन) अधिनियम, 2003’ के माध्यम से अनुच्छेद-338 में संशोधन करके और संविधान में एक नया अनुच्छेद-338A जोड़कर की गई थी।
  • कार्य
    • संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति के लिए प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित मामलों की जाँच और निगरानी करना एवं ऐसे सुरक्षा उपायों के कामकाज का मूल्यांकन करना।
    • अनुसूचित जनजाति के अधिकारों और सुरक्षा से संबंधित विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना।
  • इसके बाद रजिस्ट्रार जनरल प्रस्ताव को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग या राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजता है।
  • कैबिनेट: प्रस्ताव को केंद्र सरकार को वापस भेजा जाता है जो अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के बाद इसे अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में पेश करती है।
  • विधेयक पेश किया गया: ‘संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950’ और ‘संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950’ में संशोधन करने के लिए संसद के दोनों सदनों में एक संशोधन विधेयक पेश किया गया है।

राष्ट्रपति की सहमति: विधेयक संसद द्वारा पारित किया जाता है तथा इसके पारित होने के बाद राष्ट्रपति कार्यालय से इसकी अधिसूचना जारी की जाती है जिसमें किसी समुदाय को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सूची में जोड़ने या हटाने के लिए अनुच्छेद-341 और 342 में निहित शक्तियों के तहत परिवर्तनों को निर्दिष्ट किया जाता है।

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