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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 100 वर्ष

Lokesh Pal December 31, 2024 04:38 82 0

संदर्भ

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी वर्ष 2025 (26 दिसंबर, 1925) में अपना शताब्दी वर्ष मना रही है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भारतीय मजदूर वर्ग की राजनीतिक पार्टी है।
  • यह मजदूरों, किसानों, सामान्य श्रमिकों, बुद्धिजीवियों और समाजवाद तथा साम्यवाद के प्रति समर्पित अन्य लोगों का एक स्वैच्छिक संगठन है।

साम्यवाद 

  • साम्यवाद एक राजनीतिक तथा आर्थिक विचारधारा है, जो उदार लोकतंत्र और पूँजीवाद के विरोध से संबंधित है।
  • उदाहरण के लिए
    • चीन, क्यूबा, ​​लाओस, उत्तर कोरिया और वियतनाम में साम्यवाद सरकार का आधिकारिक स्वरूप है।
  • इसके बजाय यह एक वर्गविहीन प्रणाली का समर्थन करता है, जिसमें उत्पादन के साधनों पर सामुदायिक स्वामित्व होता है तथा निजी संपत्ति या तो अस्तित्व में नहीं होती अथवा बहुत सीमित होती है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India- CPI) का गठन 26 दिसंबर, 1925 को कानपुर में पहले दलीय सम्मेलन में हुआ था।
  • S. V. घाटे  CPI के पहले महासचिव थे।
  • एम. एन. रॉय और अबनी मुखर्जी जैसे नेताओं ने कॉमिन्टर्न की दूसरी कांग्रेस के बाद ताशकंद में CPI की स्थापना की।

 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का योगदान: स्वतंत्रता पूर्व

  • स्वतंत्रता संग्राम
    • कानपुर बोल्शेविक षड्यंत्र मामला
      • यह वर्ष 1924 में ब्रिटिश सरकार द्वारा शुरू किया गया एक विवादास्पद अदालती मामला था, जिसमें एम. एन. रॉय, मुजफ्फर अहमद, एस. ए. डांगे, शौकत उस्मानी और नलिनी गुप्ता सहित कई नए कम्युनिस्ट लोगों को निशाना बनाया गया था।
      • उन पर हिंसक क्रांति के माध्यम से भारत में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।

    • पूर्ण स्वराज की माँग 
      • स्वतंत्रता आंदोलन में कम्युनिस्टों का एक प्रमुख योगदान पूर्ण स्वराज के लिए उनकी प्रारंभिक और दृढ़ माँग थी, जिसे बाद में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस ने भी अपनाया।
    • संविधान सभा की माँग 
      • कम्युनिस्टों ने एक संविधान सभा के गठन की माँग की, जो जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करेगी।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या CPI (M) भारत में एक कम्युनिस्ट राजनीतिक पार्टी है।
  • केंद्रीय समिति CPI (M) की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
  • CPI (M) का गठन 7 नवंबर, 1964 को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India- CPI) में विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था।
  • कम्युनिस्ट पार्टी किसानों, आदिवासियों, दलितों, श्रमिकों और अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर जन आंदोलनों की मुख्य धुरी रही है।
  • CPI (M) का झंडा लाल रंग का है और बीच में एक हथौड़ा और सफेद रंग में एक दराती बनी हुई है।

    • उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी नई राजनीतिक व्यवस्था लोगों की संप्रभुता पर आधारित होनी चाहिए, जो बाद में प्रस्तावना में ‘हम, भारत के लोग’ के आह्वान में परिलक्षित हुई।
    • संविधान सभा की बहसों पर कम्युनिस्टों का प्रभाव: भूमि सुधार, श्रमिकों के अधिकारों तथा पिछड़े वर्गों की सुरक्षा पर संविधान सभा की बहसों में कम्युनिस्टों का प्रभाव देखा जा सकता है।
      • उदाहरण: तेलंगाना विद्रोह, निजाम के हैदराबाद राज्य में एक प्रमुख किसान विद्रोह, भूमि सुधार और सामाजिक न्याय के प्रति CPI की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
  • श्रम अधिकारों की अगुवाई: ब्रिटिश शासन और औद्योगिक विवाद अधिनियम के दौरान भी श्रमिक संघ बनाने का अधिकार हासिल करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी जिम्मेदार थी।
  • भारतीय संविधान में साम्यवादी आदर्श
    •  सामाजिक न्याय और समानता का विजन: प्रस्तावना न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे आदर्शों को दर्शाती है, जो समावेशी और लोकतांत्रिक भारत के लिए कम्युनिस्टों द्वारा समर्थित हैं।
    • मौलिक अधिकारों पर प्रभाव: मौलिक अधिकारों, सामाजिक न्याय के प्रावधानों तथा आर्थिक समानता के ढाँचे को शामिल करने का श्रेय कम्युनिस्ट नेतृत्व द्वारा प्रचारित विचारों को जाता है।

स्वतंत्रता के बाद

  • प्रमुख विपक्षी दल: राष्ट्रीय स्तर पर, वर्ष 1951, वर्ष 1957 तथा वर्ष 1962 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ और तत्कालीन प्रमुख कांग्रेस पार्टी की तुलना में इसे अपेक्षाकृत कम सीटें मिलीं।
    • हर बार CPI के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी बनना ही पर्याप्त था।
  • गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन: वर्ष 1957 में CPI ने केरल में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हराया तथा स्वतंत्र भारत में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई।
  • शासन: UPA-I शासन के दौरान वन अधिकार अधिनियम, सूचना का अधिकार अधिनियम और अन्य अधिनियमों को लाने में कम्युनिस्ट संघर्षों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

चुनौतियाँ

  • विभाजन: वर्ष 1964 में सोवियत संघ तथा 1950 के दशक में चीनी कम्युनिस्टों के बीच विभाजन के कारण वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गए थे।
    • भारत और चीन के बीच वर्ष 1962 के सीमा संघर्ष की प्रतिक्रिया में पार्टी सदस्यों के एक बड़े गुट ने CPI से अलग होकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), या CPI (M) का गठन किया।
  • चुनावी गिरावट: वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में, CPI दो सीटें जीतने में सफल रही तथा CPI (M) 4 सीटों पर सिमट गई, जो वर्ष 1967 में पहली बार उम्मीदवार उतारने के बाद से सबसे कम है।
    • वामपंथी समर्थन में गिरावट वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भी जारी रही, जहाँ CPI केवल एक सीट जीत सकी और CPI (M) नौ सीटों पर सिमट गई।

निष्कर्ष

CPI ने संवैधानिक सुरक्षा उपायों को कमजोर करने के प्रयासों का लगातार और दृढ़ता से विरोध किया है तथा देश में सामाजिक और आर्थिक न्याय के महत्त्व पर जोर दिया है, जो अभी भी काफी असमानताओं का सामना कर रहा है। सांप्रदायिक फासीवाद और शोषक पूँजीवाद के खतरों के विरुद्ध भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे की रक्षा के लिए यह निरंतर संघर्ष महत्त्वपूर्ण है।

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