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बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और PVTGs के लिए पीएम-जनमन पैकेज

Lokesh Pal November 16, 2024 04:52 45 0

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री बिहार के जमुई जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की 150वीं जयंती के अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया।

  • प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री-जनमन पैकेज (PM-JANMAN Package) के तहत निर्मित लगभग 11,000 घरों के वर्चुअल ‘गृह प्रवेश’ में भी भाग लिया और उपर्युक्त योजनाओं के तहत लगभग 50 मोबाइल चिकित्सा इकाइयों का शुभारंभ किया।

बिरसा मुंडा (Birsa Munda) के बारे में

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि 

  • जन्म: उनका जन्म वर्ष 1875 में खूँटी के मुंडारी रियासत (Mundari princely State of Khunti) के उलिहातु (Ulihatu) गाँव में हुआ था और वे ऐसे समय में पले-बढ़े जब मुंडा लोग ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और हिंदू जमींदारों द्वारा बढ़ते शोषण और विस्थापन का सामना कर रहे थे।
    • उनकी जयंती 15 नवंबर को मनाई जाती है, जिसे ‘बिरसा मुंडा जयंती’ (Birsa Munda Jayanti) के रूप में मनाया जाता है।
  • एक मुंडा नेता: बिरसा मुंडा एक आदिवासी नेता और धार्मिक सुधारक थे, जो छोटानागपुर के मुंडा जनजाति से थे, जो वर्तमान झारखंड और ओडिशा का एक क्षेत्र है।
  • बिरसाइत धर्म की स्थापना की (Founded the faith of Birsait): जीववाद और स्वदेशी मान्यताओं (Blend of animism and indigenous beliefs) का मिश्रण, जो एक ही ईश्वर की पूजा पर जोर देता है।
  • उन्हें ‘धरती आबा’ (Dharti Aba) या पृथ्वी का पिता उपनाम दिया गया।
  • विरासत
    • वर्ष 2000 में उनकी जयंती पर झारखंड राज्य का निर्माण किया गया। 
    • वर्ष 2021 में केंद्र सरकार द्वारा बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ घोषित किया गया।

महत्त्वपूर्ण आंदोलन

  • मुंडावाद (Mundaism): 19वीं सदी के अंत में बिरसा मुंडा ने एक नए धार्मिक आंदोलन की स्थापना की, जिसे “मुंडावाद” (Mundaism) के नाम से जाना जाता है।
  • उद्देश्य: पारंपरिक मुंडा रीति-रिवाजों और मान्यताओं को पुनर्जीवित करना तथा मुंडा लोगों को उनके उत्पीड़कों के खिलाफ एकजुट करना।
  • फोकस किया गया: बिरसा की शिक्षाओं में आत्मनिर्भरता, सामाजिक न्याय और उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध के महत्त्व पर जोर दिया गया।
  • उपदेश: उन्होंने उपदेश दिया कि मुंडा लोगों को अपने पारंपरिक मूल्यों पर वापस लौटना चाहिए और ब्रिटिश उपनिवेशवाद एवं मिशनरियों दोनों के प्रभाव को अस्वीकार करना चाहिए।
  • महान विद्रोह आंदोलन (The Great Tumult Movement): बिरसा का आंदोलन, उलगुलान या महान विद्रोह, बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) के छोटानागपुर क्षेत्र में शुरू हुआ।
    • इसने मुंडा और उराँव (Oraon) आदिवासियों को जबरन मजदूरी, मिशनरी गतिविधियों और औपनिवेशिक भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संगठित किया। 
  • मृत्यु: अंग्रेजों ने वर्ष 1895 में बिरसा को गिरफ्तार किया और वर्ष 1900 में जेल में उनकी मृत्यु हो गई।
    • उनकी मृत्यु के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और वे अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी सक्रियता के लिए शहीद हो गए।
  • मुंडा विद्रोह का प्रभाव वर्ष 1908 में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (Chotanagpur Tenancy Act) के लागू होने के रूप में सामने आया।
    • इसने आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी स्वामियों को हस्तांतरित करने पर प्रतिबंध लगा दिया और आदिवासी समुदाय के भूमि, जल और जंगल पर प्रथागत अधिकारों को मान्यता दी।
    • इस अधिनियम ने ‘मुंडारी खुँटकट्टीदार’ (Mundari Khunt Katti Dar) काश्तकारी श्रेणी भी शुरू की, जिसके तहत मुंडाओं में से भूमि के मूल निवासियों को मान्यता दी गई।

प्रधानमंत्री-जनमन पैकेज (PM-JANMAN Package) के बारे में

  • प्रधानमंत्री-जनमन पैकेज (PM-JANMAN Package) की शुरुआत नवंबर 2023 में प्रधानमंत्री द्वारा झारखंड के खूँटी जिले में की गई थी।
  • देश भर के 200 जिलों में 22,000 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs) तक पहुँचने का लक्ष्य है। 
  • प्रारंभिक चरण में 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 500 ब्लॉक और 15,000 PVTGs बस्तियों को कवर करने वाले 100 जिलों को लक्षित किया गया है।
    • भारत में अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 10.45 करोड़ है, जिसमें 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 75 समुदायों को PVTGs के रूप में पहचाना गया है।
  • अभियान का उद्देश्य एवं दायरा 
    • उद्देश्य: PVTG परिवारों को व्यक्तिगत अधिकारों से परिपूर्ण करना तथा उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर बस्तियों में बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना।
    • अन्य योजनाओं तक पहुँचने के लिए बुनियादी आवश्यकताओं के रूप में आधार कार्ड, सामुदायिक प्रमाण-पत्र और जनधन खाते प्रदान करना।
    • दूरी, सड़क संपर्क की कमी और डिजिटल पहुँच के कारण वंचित PVTG परिवारों को लक्षित करना।
    • PVTG समुदायों तक पहुँचने के लिए हाट बाजार, CSC, ग्राम पंचायत आदि जैसे विभिन्न स्थानों का उपयोग करना।

विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTG)

  • भारत में आदिवासी समूहों में सबसे कमजोर के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • विशेषताओं में आदिम लक्षण, भौगोलिक अलगाव, कम साक्षरता, नकारात्मक जनसंख्या वृद्धि, शिकार पर निर्भरता और पूर्व-कृषि स्तर की तकनीक शामिल हैं।
  • जीविका के लिए गैर-लकड़ी वन उपज (Non Timber Forest Produce- NTFP) पर निर्भर हैं और अक्सर अपने आहार के कारण विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होते हैं।

मूल और स्थिति

  • वर्ष 1973 में, ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (Primitive Tribal Groups- PTGs) के लिए एक अलग श्रेणी स्थापित की।
  • वर्ष 1975 में, 52 जनजातीय समूहों को PTGs के रूप में पहचाना गया; बाद में, वर्ष 1993 में 23 और समूहों को जोड़ा गया, जिन्हें अंततः वर्ष 2006 में PVTG नाम दिया गया।
  • लगभग 2.8 मिलियन PVTG 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 75 जनजातियों से संबंधित हैं।
  • महत्त्वपूर्ण PVTG आबादी वाले राज्य हैं: ओडिशा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित)।
  • ओडिशा का सौरा समुदाय (Saura Community) सबसे बड़ा PVTG है, जिसकी संख्या 5,35,000 है। पंजाब और हरियाणा में कोई PVTG नहीं पाया गया है।

पहचान के लिए मानदंड 

  • प्रौद्योगिकी के पूर्व-कृषि स्तर। 
  • निम्न स्तर साक्षरता।
  • आर्थिक पिछड़ापन। 
  • एक घटती या स्थिर आबादी।

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