संयुक्त राज्य अमेरिका ने इजराइल-हमास संघर्ष के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक लाए गए एक प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
अल्जीरिया द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव में इजराइल और हमास के बीच तत्काल मानवीय युद्धविराम का आह्वान किया गया था।
अल्जीरियाई-मसौदा संकल्प:
इसका उद्देश्य इजराइल और हमास के बीच संचालित तत्काल युद्ध को रोकना है।
परिषद के 13 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि ब्रिटेन मतदान में अनुपस्थित रहा है ।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में “अल्जीरियाई-मसौदा संकल्प” पर वोटिंग:
फिलिस्तीनियों के जीवन का अधिकार: मसौदे के पक्ष में मतदान फिलिस्तीनियों के जीवन के अधिकार को स्वीकार करता है।
हिंसा और सामूहिक सजा: दूसरी ओर इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान फिलिस्तीनियों के विरुद्ध हो रही गंभीर हिंसा और सामूहिक सजा के अनुमोदन को दर्शाता है।
अमेरिका द्वारा विरोध का कारण
बंधक वार्ता की चिंताएँ: अल्जीरिया द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में युद्धविराम की प्रक्रिया के तहत बंधकों की रिहाई के मुद्दे को नहीं शामिल किया गया था।
दीर्घकालिक समाधान की तलाश:
स्थायी समाधान: अमेरिकी प्रतिनिधियों के अनुसार, वे एक अस्थायी विराम के बजाय ऐसा युद्धविराम चाहते हैं जो संघर्ष के मूल कारणों का समाधान करे।
सुरक्षा संबंधित चिंता: संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों पक्षों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक स्थायी युद्धविराम का समर्थन करता है।
वर्तमान कूटनीति को प्राथमिकता:
संयुक्त राज्य अमेरिका पहले से ही मिस्र, इजराइल, और कतर के साथ कूटनीतिक वार्ता में शामिल है।
अमेरिका का मानना था कि ये प्रयास अल्जीरियाई प्रस्ताव से अधिक प्रभावी थे।
हमास के संबंध में चिंताएँ:
अमेरिका हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में देखता है।
अमेरिका के अनुसार, इस प्रस्ताव में हमास को सैन्य रूप से कमजोर करने की आवश्यकता को संबोधित नहीं किया गया था।
इजराइल का आत्मरक्षा का अधिकार:
नागरिक हताहतों की संख्या को स्वीकार करते हुए अमेरिका ने इजराइल के रक्षा अधिकारों की पुष्टि की।
मानवीय सहायता का अभाव: उन्होंने तर्क दिया कि यह प्रस्ताव मानवीय सहायता को इजराइल की सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ पर्याप्त रूप से संतुलित नहीं करता है।
संयुक्त राष्ट्र में वीटो शक्ति की अवधारणा:
स्थायी सदस्य और वीटो शक्ति:
UN के पाँच स्थायी सदस्यों की वीटो शक्ति: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों चीन, फ्राँस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका को विशेष वीटो शक्ति प्राप्त है।
परमाणु हथियार संपन्न राज्यों की स्थिति: परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि के अनुसार इन देशों को परमाणु हथियार संपन्न राज्यों का दर्जा भी प्राप्त है।
वीटो शक्तिका दायरा:
“मौलिक” संकल्प: स्थायी सदस्य किसी भी “मौलिक” प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं।
हालाँकि उनकी अनुपस्थिति किसी मसौदा प्रस्ताव को अपनाने से नहीं रोकती है।
वीटो शक्तिके अपवाद:
वीटो शक्ति “प्रक्रियात्मक”(Procedural) वोटों पर लागू नहीं होती है, जो कि परिषद संचालन से संबंधित होती है।
स्थायी सदस्य स्वयं यह निर्धारित करते हैं कि प्रक्रियात्मक मत क्या होगा।
महासचिव का चयन:
एक स्थायी सदस्य महासचिव के चयन को रोक सकता है।
इसके लिए औपचारिक वीटो आवश्यक नहीं है क्योंकि मतदान आतंरिक प्रक्रिया के तहत बंद प्रक्रिया के माध्यम से होता है।
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