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हिंद महासागर में समुद्री पैच के खनन के लिए आवेदन

Lokesh Pal March 28, 2024 06:24 268 0

संदर्भ

हाल ही में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी (International Seabed Authority- ISBA) को एक आवेदन प्रस्तुत कर हिंद महासागर में अफानसी निकितिन सीमाउंट (Afanasy Nikitin Seamount) का पता लगाने की अनुमति माँगी है।

संबंधित तथ्य

  • चीनी गतिविधियों से संबंधित चिंताएँ: भारत के आवेदन का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी एवं भविष्य के संभावित प्रभावों के मद्देनजर अपने हितों की रक्षा करना है।
  • भारत और श्रीलंका के मध्य प्रतिस्पर्द्धा: 500 समुद्री मील तक विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ पर अपने दावे के लिए श्रीलंका का आवेदन भारत के अन्वेषण हितों के लिए प्रतिस्पर्द्धा पैदा कर सकता है। (भारत ने अपनी सीमा से 350 समुद्री मील तक महाद्वीपीय शेल्फ के लिए दावा पेश किया है।)

अफानसी निकितिन सीमाउंट (Afanasy Nikitin Seamount)

  • यह सेंट्रल इंडियन बेसिन (Central Indian Basin) में एक संरचनात्मक विशेषता (400 किमी. लंबी एवं 150 किमी. चौड़ी) है, जो भारत के तट से लगभग 3,000 किमी. दूर अवस्थित है।
  • कोबाल्ट और अन्य खनिज भंडार: इसमें कोबाल्ट, निकेल, मैंगनीज एवं ताँबे का महत्त्वपूर्ण भंडार है, जो सेंट्रल इंडियन बेसिन के भीतर मौजूद है।

  • कार्ल्सबर्ग रिज (Carlsberg Ridge) में अन्वेषण के लिए आवेदन: भारत ने पॉलीमेटेलिक सल्फाइड (जो हाइड्रोथर्मल वेंट के पास बड़े स्मोकिंग टीले हैं तथा कथित तौर पर ताँबा, जस्ता, सोना एवं चाँदी से समृद्ध हैं) की जाँच के लिए मध्य हिंद महासागर में कार्ल्सबर्ग रिज का पता लगाने हेतु एक प्राधिकरण स्थापित करने की भी माँग की है।

समुद्री तल खनन (Seabed Mining)

  • यह निष्कर्षण प्रक्रिया है, जिसमें जलमग्न खनिजों एवं संसाधनों जैसे- मैंगनीज नोड्यूल्स, समुद्री तल के विशाल सल्फाइड भंडार तथा समुद्र तल से कोबाल्ट क्रस्ट को पुनः प्राप्त करना शामिल है, जो विभिन्न तरीकों से रेत निकालने या समुद्री सामग्री निष्कर्षण जैसे तरीकों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

खुला महासागर (Open Ocean)

  • खुले महासागर का मतलब है जिसकी हवा, सतह एवं समुद्र तल पर कोई भी देश अपनी संप्रभुता का दावा नहीं कर सकते हैं।
  • दुनिया के लगभग 60% समुद्र, खुले महासागर हैं।

खुले महासागर पर अन्वेषण अधिकार

ये अधिकार उन क्षेत्रों के लिए विशिष्ट हैं, जो खुले महासागर का हिस्सा हैं।

  • अन्वेषण के लिए विनियामक ढाँचा खुले महासागर में निष्कर्षण गतिविधियों के लिए अन्वेषण लाइसेंस अंतरराष्ट्रीय सीबेड प्राधिकरण (ISA) से प्राप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि कोई भी देश इन क्षेत्रों पर संप्रभुता का दावा नहीं कर सकता है।

 भारत की अन्वेषण महत्त्वाकांक्षाओं में बाधा

  • भारत की अन्वेषण योजनाएँ महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर आयोग के निर्णयों से प्रभावित हो सकती हैं (जो देश की महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर निर्णय लेता है), विशेष रूप से बंगाल की खाड़ी में महाद्वीपीय शेल्फ दावों के संबंध में।

समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS)

  • उद्देश्य: यह दुनिया के महासागरों एवं समुद्रों में कानून और व्यवस्था की एक व्यापक व्यवस्था स्थापित करता है तथा महासागरों एवं उनके संसाधनों के सभी उपयोगों को नियंत्रित करने वाले नियम स्थापित करता है।
  • इसे वर्ष 1982 में अपनाया गया।
  • कार्य
    • यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है: उच्च समुद्र (High Seas), विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ), सन्निहित क्षेत्र (Contiguous Zone), प्रादेशिक सागर (Territorial Sea) एवं आंतरिक जल (Internal Waters)।
    • यह तटीय देशों एवं नाविकों के बीच अपतटीय शासन के लिए ढाँचे के रूप में कार्य करता है।
    • यह पाँच संकेंद्रित क्षेत्रों के अंदर प्रत्येक राष्ट्र के अधिकारों एवं दायित्वों पर विस्तृत निर्देश प्रदान करता है।
  • संधि के तहत
    • समुद्र तल एवं उसके खनिज संसाधनों को ‘मानव समाज की साझी विरासत’ माना जाता है।
    • उन्हें इस तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए, जो आर्थिक लाभों को साझा करने, समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए समर्थन एवं समुद्री पर्यावरण की रक्षा के माध्यम से मानवता के हितों की रक्षा करे।

अंतरराष्ट्रीय सीबेड प्राधिकरण (International Seabed Authority- ISA)

  • स्थापित: वर्ष 1994 में।
  • मुख्यालय: किंग्स्टन, जमैका।
  • कार्य: राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल में खनन एवं संबंधित गतिविधियों को विनियमित करने के लिए, एक ऐसा क्षेत्र जिसमें दुनिया के अधिकांश महासागर शामिल हैं।
  • ISA वर्ष 1982 में समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के लागू होने पर अस्तित्व में आया था।

महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर आयोग

  • उद्देश्य: महाद्वीपीय शेल्फ की बाहरी सीमाओं की स्थापना के संबंध में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाना।
  • कार्य
    • बेसलाइन से 200 समुद्री मील से अधिक तक फैली महाद्वीपीय शेल्फ की बाहरी सीमाओं को चित्रित करना।
    • इसे इन सीमाओं की स्थापना के संबंध में तटीय राज्यों को बाध्यकारी सिफारिशें जारी करने का अधिकार है।

मध्य हिंद महासागर बेसिन में गहरे समुद्र में खनन का भू-आर्थिक एवं भू-रणनीतिक महत्त्व

  • क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव
    • इस क्षेत्र पर चीन की उपस्थिति क्षेत्रीय संप्रभुता के अधिकारों का दावा करती है, जो दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर एवं हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ा सकती है।
    • इसलिए सभी के लिए महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा एवं अन्वेषण करना बहुत महत्त्वपूर्ण है।
  • सामरिक प्रभाव संबंधी चिंताएँ
    • ऐसी आशंका है कि अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zones- EEZ) से परे गहरे समुद्र में खनन की खोज करने वाले देश इस क्षेत्र में रणनीतिक प्रभाव हासिल करेंगे।
  • देश की राजनीतिक प्रेरणाएँ
    • गहरे समुद्र में खनन न केवल आर्थिक मूल्य रखता है बल्कि एक राजनीतिक उपकरण के रूप में भी काम करता है, जो अंतरराष्ट्रीय या विवादित जल तक पहुँच एवं निगरानी को सक्षम बनाता है।
    • विशेष रूप से उच्च तकनीक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों (Rare Earth Elements- REEs) के लिए चीन पर निर्भरता को कम करना।
  • अन्वेषण अधिकारों के आधार पर खुले महासागर तक पहुँच
    • यह प्रत्येक देश को अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करेगा।
    • रणनीतिक रक्षा प्रणालियों, अर्द्धचालकों एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के निर्माण में प्रत्येक देश की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए PMNs में दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों (REEs) की उपलब्धता महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत द्वारा गहरे समुद्र में अन्वेषण को प्राथमिकता
    • इसे भू-आर्थिक दृष्टिकोण से भारत के लिए एक अपरिहार्य आवश्यकता के रूप में देखा जाता है।
    • भारत को वैज्ञानिक अनुसंधान पर ध्यान देते हुए व्यापक पर्यावरणीय आकलन करना चाहिए एवं गहरे समुद्र के संसाधनों की आगे की खोज को सुविधाजनक बनाने के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: भारत का समुद्रयान मिशन (Samudrayaan Mission) एवं गहरे समुद्र के लिए मत्स्य 6,000 (Matasya 6,000) मिशन।

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