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भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट 2025

Lokesh Pal October 14, 2025 04:10 104 0

संदर्भ

भारत की माइक्रोफाइनेंस स्व-नियामक संस्था, सा-धन (Sa-Dhan), द्वारा प्रकाशित वर्ष 2025 की रिपोर्ट में कहा गया है कि माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में ऋण डिफॉल्ट में तीव्र वृद्धि हुई है, जबकि बिहार में ऋण जोखिम और डिफॉल्ट दरों के मामले में सबसे खराब स्थिति रही।

माइक्रोफाइनेंस (Microfinance)

  • परिभाषा: माइक्रोफाइनेंस का अर्थ है निम्न-आय वाले परिवारों और स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों को सूक्ष्म ऋण, बचत, बीमा और प्रेषण जैसी वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना, जो औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से बाहर हैं।
  • उद्देश्य: गरीब और हाशिए पर स्थित लोगों, विशेष रूप से महिलाओं को लघु व्यवसाय शुरू करने, जीविकोपार्जन सुधारने, और गरीबी घटाने के लिए वित्तीय समावेशन के माध्यम से सशक्त बनाना।

मुख्य घटक

  • माइक्रोक्रेडिट: व्यक्तियों या स्वयं-सहायता समूहों (SHGs) को बिना संपार्श्विक प्रदान किया गया सीमित राशि का ऋण।
  • माइक्रोसेविंग्स:  निम्न-आय वर्ग के लिए सुरक्षित बचत योजनाएँ।
  • माइक्रोइंश्योरेंस: बीमारी, फसल हानि या दुर्घटनाओं जैसे जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करना।

माइक्रोफाइनेंस से जुड़ी संस्थाएँ

  • स्व-सहायता समूह:  प्रायः महिलाओं के छोटे सामुदायिक समूह, जो सामूहिक रूप से बचत करते हैं और NABARD के SHG–बैंक लिंकेज कार्यक्रम (1992) के माध्यम से औपचारिक ऋण प्राप्त करते हैं।
  • माइक्रोफाइनेंस संस्थाएँ (MFIs):  जैसे NBFC-MFIs, NGO, सहकारी संस्थाएँ, जो निम्न-आय वाले परिवारों को छोटे, बिना संपार्श्विक ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती हैं।
  • बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFBs):  वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) और SFBs प्रत्यक्ष माइक्रो-लोन प्रदान करते हैं और MFIs को समर्थन देकर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हैं।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ 

  • तीव्र वृद्धि: 30 दिनों से अधिक विलंब वाले माइक्रोफाइनेंस ऋणों का हिस्सा वर्ष 2024–25 में 6.2% तक पहुँच गया (वर्ष 2023–24 में 2.1%)।
  • गैर-निष्पादित ऋण: 90 दिनों से अधिक देरी वाले ऋण (NPA मानक) 4.8% तक बढ़ गए (पिछले वर्ष 1.6%)।
  • 30 दिन से अधिक समय से जोखिमग्रस्त पोर्टफोलियो (PAR) बढ़कर 6.2% हो गया, जिससे पूरे क्षेत्र में परिसंपत्ति गुणवत्ता में बड़ी गिरावट आई।

राज्यवार प्रदर्शन

  • बिहार: मार्च 2025 तक ₹57,712 करोड़ का बकाया माइक्रोफाइनेंस ऋण।
  •  इनमें से 7.2% ऋण 30 दिनों से अधिक समय से बकाया थे (राष्ट्रीय औसत: 6.2%); 4.6% ऋण 90 दिनों से अधिक समय से बकाया थे, जो आधिकारिक तौर पर NPA के रूप में योग्य थे।
  • ग्रामीण–शहरी तुलना
    • ग्रामीण उधारकर्ता:  30 दिनों से अधिक पर 6.4%, 90 दिनों से अधिक पर 3.7% ऋण लंबित।
    • अर्द्ध-शहरी उधारकर्ता:  30 से अधिक दिन पर 6.1%, 90 से अधिक  दिन पर 3.2%
    • शहरी उधारकर्ता:  30 से अधिक दिन पर 6%, 90 से अधिक दिन पर 3.2% (सापेक्षतः बेहतर)।

क्षेत्रीय चिंताएँ

  • जोखिमग्रस्त पोर्टफोलियो (PAR): PAR (30 से अधिक और PAR 90 से अधिक) में तीव्र वृद्धि माइक्रोफाइनेंस पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर ऋण गुणवत्ता में बढ़ती कमजोरी को प्रदर्शित करती है।
  • प्रणालीगत जोखिम: उच्च डिफॉल्ट दरें वित्तीय समावेशन प्रयासों को कमजोर कर सकती हैं, क्योंकि ऋणदाता निम्न-आय वर्ग को ऋण देने से बच सकते हैं।
  • तरलता दबाव: बढ़ते NPA से MFIs की लाभप्रदता घटती है और छोटे उधारकर्ताओं के लिए उधारी लागत बढ़ती है।

सा-धन (Sa-Dhan) के बारे में

  • सा-धन भारत में सामुदायिक विकास वित्त संस्थानों (CDFIs) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFIs) का एक संघ है।
  • यह सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के लिए स्व-नियामक संगठन (SRO) के रूप में कार्य करता है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • वर्ष 1999 में स्थापित, यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है।
  • उद्देश्य
    • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और माइक्रोफाइनेंस पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना।
    • नैतिक ऋण प्रथाओं, ग्राहक संरक्षण और जिम्मेदार वित्तपोषण सुनिश्चित करना।
  • सदस्य: NGO-MFIs, NBFC-MFIs, लघु वित्त बैंक और स्वयं-सहायता समूह।

भारत में माइक्रोफाइनेंस के लिए सरकारी पहलें

  • SHG–बैंक लिंकेज प्रोग्राम (वर्ष 1992): NABARD द्वारा प्रारंभ किया गया यह कार्यक्रम स्व-सहायता समूहों को बैंकों से जोड़ने और बिना संपार्श्विक ऋण प्रदान कर ग्रामीण महिलाओं में वित्तीय समावेशन बढ़ाने के उद्देश्य से प्रेरित है।
  • माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA), 2015: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के अंतर्गत स्थापित यह एजेंसी माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं और छोटे बैंकों को पुनर्वित्त प्रदान करती है।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM), 2011: ग्रामीण गरीब महिलाओं को SHGs में संगठित कर, ऋण उपलब्धता, क्षमता निर्माण और सूक्ष्म उद्यम विकास के माध्यम से आजीविका में विविधता लाना।
  • वित्तीय समावेशन योजनाएँ: प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY), प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), और डिजिटल इंडिया जैसी पहलें माइक्रोफाइनेंस लाभार्थियों के लिए बैंकिंग और डिजिटल भुगतान की पहुँच सुनिश्चित करती हैं।

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