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कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) सम्मान (Bharat Ratna (posthumously) awarded to Karpoori Thakur)

Samsul Ansari January 24, 2024 12:34 179 0

संदर्भ

हाल ही में स्‍वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।

संबंधित तथ्य

  • यह कर्पूरी ठाकुर का जन्म शताब्दी वर्ष है, जिन्हें ‘जननायक’ या ‘जन नेता’ के रूप में भी जाना जाता है।

भारत रत्न पुरस्कार

परिचय

  • वर्ष 1954 में स्थापित, भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। 
  • यह नस्ल, व्यवसाय, स्थिति या लैंगिक भेदभाव के बिना मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।

अधिकतम सीमा

  • प्रधानमंत्री द्वारा भारत के राष्ट्रपति को की गई सिफारिशों के आधार पर प्रत्येक वर्ष अधिकतम तीन भारत रत्न पुरस्कार प्रदान किए जा सकते हैं।

पुरस्कार

    • पुरस्कार प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण-पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है। पुरस्कार के साथ कोई आर्थिक अनुदान नहीं जुड़ा होता है।
  • मूल पुरस्कार
    • मूल पुरस्कार एक गोलाकार स्वर्ण पदक (35 मिमी. व्यास) था, जिसके अग्र भाग पर सूर्य अंकित था। 
    • नीचे पुष्पमाला के साथ ऊपर देवनागरी लिपि में “भारत रत्न” अंकित था। 
    • पीछे की ओर प्लैटिनम से बना भारत का राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय आदर्श वाक्य, ‘सत्यमेव जयते’, देवनागरी लिपि में अंकित था।
  • वर्तमान पुरस्कार
  • मूल पुरस्कार को एक वर्ष के बाद बदल दिया गया था। 
  • वर्तमान में, यह पुरस्कार प्लैटिनम से घिरे पीपल के पत्ते के आकार का है। 
  • यह लगभग 59 मिमी. लंबा, 48 मिमी. चौड़ा और 3.2 मिमी. मोटा है। 
  • पीछे की ओर प्लैटिनम से बनी उभरी हुई उगते सूर्य की डिजाइन का व्यास 16 मिमी. है और किरणें सूर्य के केंद्र से फैलती हैं। 
  • अग्र भाग पर देवनागरी लिपि में “भारत रत्न” और पृष्ठ भाग पर “सत्यमेव जयते” शब्द है।

निर्माणकर्ता 

पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री और परमवीर चक्र जैसे अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों के साथ-साथ भारत रत्न पदक कोलकाता के अलीपुर टकसाल में तैयार किए जाते हैं।

भारत रत्न पुरस्कार से जुड़े कुछ तथ्य

  • इस पुरस्कार की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
  • प्रारंभ में, यह पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान नहीं किया जाता था। इस मानदंड को वर्ष वर्ष 1966 में बदल दिया गया था।
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. सी.वी. रमन, और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी वर्ष 1954 में भारत रत्न पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे।
  • सचिन तेंदुलकर वर्ष 2014 में पहले खिलाड़ी और सबसे कम उम्र में भारत रत्न पाने वाले व्यक्ति बने।
  • वर्ष 1992 में सुभाष चंद्र बोस को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने के सरकार के निर्णय को उनकी मृत्यु पर विवाद के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा। 
    • वर्ष 1997 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद यह निर्णय रद्द कर दिया गया। यह पहला और आज तक का एकमात्र अवसर था जब पुरस्कार की घोषणा की गई लेकिन वापस ले लिया गया।
  • वर्ष 1999 एकमात्र ऐसा वर्ष है जब यह पुरस्कार चार लोगों को प्रदान किया गया।

कर्पूरी ठाकुर

  • सामान्य परिचय
    • कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गाँव (जिसे अब कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है) में हुआ था।
  • राजनीतिक परिचय
    • उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और इसके लिए जेल भी गए। 
    • स्वतंत्र भारत में उन्हें वर्ष 1952 में एक विधायक के रूप में चुना गया था। 
    • वह वर्ष 1977 में सांसद चुने जाने के अलावा वर्ष 1988 में अपनी मृत्यु तक विधायक बने रहे। 
    • कर्पूरी ठाकुर 5 मार्च, 1967 से 28 जनवरी, 1968 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे थे। 
    • दिसंबर 1970 में वह बिहार राज्य के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार छह महीने बाद गिर गई। 
    • वह जून 1977 में फिर से मुख्यमंत्री बने, लेकिन अपनी आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के कारण पुनः पूरा कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और लगभग दो वर्षों में सरकार गिर गई। 
  • महत्त्वपूर्ण राजनीतिक निर्णय
    • जून 1970 में बिहार सरकार ने मुंगेरी लाल आयोग नियुक्त किया, जिसने फरवरी 1976 की अपनी रिपोर्ट में 128 “पिछड़े” समुदायों की पहचान की, जिनमें से 94 की पहचान “सर्वाधिक पिछड़े वर्गों” के रूप में की गई।
    • कर्पूरी ठाकुर की जनता पार्टी सरकार ने आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया।
    • अल्पावधि में, ‘कर्पूरी ठाकुर फॉर्मूला’ उन्हें बहुत महंगा पड़ा। उनकी सरकार गिर गई और उन्हें ऊँची जातियों का बड़ा विरोध देखने को मिला।
    • कर्पूरी ठाकुर को उनके कई निर्णयों के लिए जाना जाता है, जैसे-
      • मैट्रिक परीक्षाओं के लिए अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के रूप में हटाना; 
      • शराब पर प्रतिबंध; 
      • सरकारी अनुबंधों में बेरोजगार इंजीनियरों के लिए अधिमान्य व्यवहार, जिसके माध्यम से उनमें से लगभग 8,000 को नौकरियाँ प्राप्त हुईं;
      • और एक स्तरित आरक्षण प्रणाली।
    • उन्हें समाज के सबसे वंचित वर्गों के लिए सम्मान, आत्मसम्मान और विकास सुनिश्चित करने के अपने संघर्ष के लिए जाना जाता है।
  • निधन: 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने के कारण कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया।

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