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ब्राजील, चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) से बाहर हो गया

Lokesh Pal October 31, 2024 02:40 119 0

संदर्भ

ब्राजील ने चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) में शामिल होने से इनकार कर दिया है, जिससे वह भारत के बाद इस परियोजना से बाहर निकलने वाला दूसरा ब्रिक्स (BRICS) सदस्य बन गया है।

संबंधित तथ्य

  • उल्लेखनीय है कि इससे पहले इटली ने दिसंबर 2023 में BRI में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इटली एकमात्र G7 राष्ट्र था, जिसने इस पहल में शामिल होने के लिए हस्ताक्षर किए थे।
  • वैकल्पिक सहयोग दृष्टिकोण: ब्राजील का लक्ष्य औपचारिक BRI ढाँचे के लिए प्रतिबद्ध हुए बिना, विशिष्ट ब्राजीलियाई बुनियादी ढाँचे की प्राथमिकताओं पर सामंजस्य स्थापित कर चीनी निवेशकों के साथ सहयोगात्मक अवसरों को बढ़ावा देना है।
  • घरेलू चिंताएँ और रणनीतिक स्थिति: BRI सदस्यता से अल्पकालिक लाभ की संभावित कमी के बारे में ब्राजीलियाई आर्थिक एवं विदेशी मामलों के संबंध में चिंताएँ व्यक्त की जा रही  थीं।
  • ब्रिक्स गतिशीलता एवं भारत का रुख: ब्राजील का निर्णय इसे भारत के दृष्टिकोण के करीब लाता है, क्योंकि भारत ने लगातार BRI का विरोध किया है, विशेषकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) जैसी परियोजनाओं पर संप्रभुता संबंधी चिंताओं के कारण, जो पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से होकर गुजरता है।
  • चीन का परिप्रेक्ष्य: चीन का तर्क है कि ब्राजील जैसे लैटिन अमेरिकी देशों के साथ सहयोग अधिक न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संरचना के लिए ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं के अनुरूप है।

चीन की बेल्ट एंड रोड पहल या BRI के बारे में

  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव या BRI को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वर्ष 2013 में लॉन्च किया था।
  • उद्देश्य: भाग लेने वाले देशों में व्यापार, निवेश एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रेलवे, राजमार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डे तथा अन्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के नेटवर्क के माध्यम से एशिया को यूरोप एवं अफ्रीका से जोड़ना।
  • प्रमुख घटक: सिल्क रोड आर्थिक बेल्ट एवं समुद्री सिल्क रोड। 
  • BRI के तहत भौगोलिक गलियारे
    • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)।
    • न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज आर्थिक गलियारा।
    • चीन-इंडोचाइना प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा।
    • चीन-मंगोलिया-रूस आर्थिक गलियारा।
    • चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा।
    • चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारा।
  • चूँकि भारत ने BRI में शामिल होने से इनकार कर दिया, इसलिए ‘बांग्लादेश, चीन, भारत और म्याँमार आर्थिक गलियारा (BCIM) गलियारे’ पर प्रगति भी अवरुद्ध हो गई, एवं इसकी जगह बाद में लॉन्च किए गए चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारे ने ले ली है।
  • ‘वन बेल्ट एंड वन रोड’ से BRI का नाम बदलना: पहले, इसे ‘वन बेल्ट वन रोड’ नाम दिया गया था, जिससे कई गलत व्याख्याएँँ हुईं, क्योंकि भागीदार “वन” शब्द पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, यह मानते हुए कि वहाँ केवल एक समुद्री मार्ग एवं एक ही भूमि बेल्ट होना है।
    • वास्तव में, “बेल्ट एंड रोड पहल का लक्ष्य एशिया, यूरोप एवं अफ्रीका को पाँच मार्गों से जोड़ना है।” इसलिए इसका नाम बदलकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव कर दिया गया।
  • BRI में शामिल होने वाले देश: अब तक 150 देशों ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल होने के लिए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें चीन भी शामिल है।
    • अफ्रीका: 44 देश
    • यूरोप और मध्य एशिया: 34 देश
    • पूर्वी एशिया एवं प्रशांत: 25 देश
    • लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन: 22 देश
    • मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका: 19 देश
    • दक्षिण-पूर्व एशिया: 6 देश।

चीन की ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ पर भारत का रुख

  • भारत, चीन के बेल्ट एंड रोड पहल (BRI), विशेषकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का कड़ा विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है।
    • CPEC जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है, BRI की प्रमुख परियोजना है।
  • भारत की मुख्य चिंता यह है कि यह परियोजना उसकी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की अवहेलना करती है।

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से जुड़ी चिंताएँ क्या हैं?

  • ऋण जाल कूटनीति: देशों ने बेल्ट एवं रोड पहल परियोजनाओं के लिए चीन से भारी उधार लिया है तथा अब उन्हें इन ऋणों को चुकाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • इससे “ऋण जाल कूटनीति” के आरोप लगने लगे हैं, जहाँ देश अपने ऋणों पर चूक करने पर रणनीतिक संपत्तियों पर नियंत्रण खोने का जोखिम उठाते हैं।
    • उदाहरण के लिए, बढ़ते कर्ज के कारण श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह का नियंत्रण चीन को सौंपना पड़ा।
  • प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं से जुड़े जोखिम: किसी भी बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजना से संभावित पर्यावरणीय, सामाजिक एवं भ्रष्टाचार जोखिम जुड़े होते हैं।

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