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निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (CGSE) और निर्यात संवर्द्धन मिशन (EPM)

Lokesh Pal November 14, 2025 01:43 20 0

संदर्भ 

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता, तरलता और वैश्विक व्यापार लचीलापन को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख पहलों, निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (Credit Guarantee Scheme for Exporters- CGSE) और निर्यात संवर्द्धन मिशन (Export Promotion Mission- EPM) को मंजूरी दी।

निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (CGSE) के बारे में 

  • CGSE, राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (National Credit Guarantee Trustee Company Limited- NCGTC) के माध्यम से 100% ऋण गारंटी कवरेज प्रदान करता है।
    • यह MSME और गैर-MSME सहित निर्यातकों को कार्यशील पूँजी तक पहुँच को मजबूत करने और व्यावसायिक निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता प्रदान करता है।
  • बजट: ₹20,000 करोड़।
  • कार्यान्वयन: वित्त मंत्रालय के अंतर्गत वित्तीय सेवा विभाग (DFS) द्वारा ऋणदाता संस्थानों के माध्यम से।
  • महत्त्व: यह पहल निर्यात में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त करने, निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों में तरलता सुनिश्चित करने और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के भारत के लक्ष्य का प्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती है।

निर्यात संवर्द्धन मिशन (Export Promotion Mission- EPM) के बारे में

  • वर्ष 2025-26 से वर्ष 2030-31 तक के लिए ₹25,060 करोड़ के बजट वाले EPM का उद्देश्य विभिन्न निर्यात योजनाओं को एक एकल, प्रौद्योगिकी-संचालित ढाँचे में समेकित करना है।
    • यह मिशन एक समन्वित निर्यात विकास रणनीति के अंतर्गत ब्याज समानीकरण योजना (IES) और बाजार पहुँच पहल (MAI) जैसी योजनाओं को एकीकृत करता है।
  • कार्यान्वयन: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT)।
  • मिशन में दो प्रमुख उप-योजनाएँ शामिल हैं:-
    • निर्यात प्रोत्साहन: किफायती व्यापार वित्त, ब्याज अनुदान, निर्यात फैक्टरिंग और MSME के लिए संपार्श्विक गारंटी पर केंद्रित।
    • निर्यात दिशा: निर्यात गुणवत्ता, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, व्यापार मेलों, लॉजिस्टिक्स और अनुपालन तत्परता के लिए गैर-वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

इस पहल के अपेक्षित परिणाम

  • बेहतर निर्यात तरलता: कार्यशील पूँजी तक आसान पहुँच से निर्यातकों के नकदी प्रवाह और परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी।
  • बेहतर प्रतिस्पर्द्धात्मकता: समेकित वित्तीय और रसद सहायता MSME और पहली बार निर्यात करने वाले निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने में मदद करेगी।
  • क्षेत्रीय फोकस: कपड़ा, चमड़ा, रत्न, आभूषण और समुद्री उत्पाद जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों को वित्तीय और गैर-वित्तीय हस्तक्षेपों से लाभ होगा।
  • रोजगार सृजन: निर्यात वृद्धि से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद है।
  • बाजार विविधीकरण: ब्रांडिंग, प्रमाणन और रसद के लिए समर्थन नए और गैर-पारंपरिक बाजारों में प्रवेश को सक्षम करेगा।
  • समष्टि आर्थिक स्थिरता: बढ़ते निर्यात से विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने और दीर्घकालिक आर्थिक लचीलेपन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

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