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कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष कर का हिस्सा 57 प्रतिशत बढ़ा

Lokesh Pal October 19, 2024 04:16 80 0

संदर्भ 

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes- CBDT) द्वारा जारी आँकड़ों से पता चलता है कि कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष करों का योगदान वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 56.72 प्रतिशत हो गया, जो 14 वर्षों में सर्वाधिक है। 

संबंधित तथ्य

  • प्रत्यक्ष कर-GDP अनुपात, देश के समग्र आर्थिक उत्पादन में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा होता है।
    • प्रत्यक्ष कर-GDP अनुपात, दो दशक के उच्चतम स्तर 6.64 प्रतिशत पर पहुँच गया। 
  • कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष कर: पिछले वर्ष के 54.63% से बढ़कर 56.72% हो गया।
  • कुल कर राजस्व में अप्रत्यक्ष कर: पिछले वर्ष के 45.37% से घटकर 43.28% हो गया।
  • वर्ष 2020-21 में अप्रत्यक्ष कर संग्रह, प्रत्यक्ष कर संग्रह से अधिक था।

करदाता (Tax Payer)

  • करदाता वह व्यक्ति है, जिसने या तो प्रासंगिक निर्धारण वर्ष (Assessment Year) के लिए आयकर रिटर्न दाखिल किया है या जिसके मामले में प्रासंगिक वित्तीय वर्ष में स्रोत पर कर की कटौती की गई है, लेकिन करदाता ने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है।

  • प्रत्यक्ष कर में राज्यवार योगदान: महाराष्ट्र (39%) > कर्नाटक (12%) > दिल्ली (10.4%)।
  • कर में होने वाला उतार चढ़ाव (Tax Buoyancy): कर में होने वाला उतार चढ़ाव (Tax Buoyancy) सरकार के कर राजस्व वृद्धि में परिवर्तन और सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product- GDP) में परिवर्तन के बीच संबंध को स्पष्ट करता है।
  • जब कर में वृद्धि होती है तो कर की दर बढ़ाए बिना ही राजस्व में वृद्धि होती है।
  • वर्ष 2023-24 में ‘कर में होने वाला उतार चढ़ाव’ (Tax Buoyancy) पिछले वित्तीय वर्ष के 1.18 से बढ़कर 2.12 हो गया। 
  • आयकर दाखिल करने वालों की सख्या में वृद्धि: संग्रह में वृद्धि के साथ-साथ दाखिल किए गए रिटर्न, आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों और करदाताओं में भी वृद्धि हुई।
    • आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या वित्त वर्ष 2023 में 7.4 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 8.09 करोड़ हो गई।
    • आकलन वर्ष 2023-24 में करदाताओं की संख्या 9.37 करोड़ (वित्त वर्ष 2022) से बढ़कर 10.4 करोड़ (वित्त वर्ष 2023) हो गई।

भारत में कराधान का वर्गीकरण

पैरामीटर प्रत्यक्ष कर अप्रत्यक्ष कर
देयता (Liability) प्रत्यक्ष कर व्यक्तियों और व्यवसायों पर उनकी आय, लाभ या परिसंपत्तियों के आधार पर सीधे लगाया जाता है। अप्रत्यक्ष कर व्यक्तियों या व्यवसायों पर सीधे कर लगाने के बजाय वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाते हैं।
भुगतान इसका भुगतान पूरी तरह से करदाता द्वारा सीधे सरकार को किया जाता है। अंततः वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान अंतिम उपभोक्ता द्वारा किया जाता है।
प्रकृति  प्रगतिशील प्रकृति: आय स्तर में वृद्धि के साथ कर की दर भी बढ़ जाती है। इसलिए, प्रत्यक्ष करों को प्रगतिशील कर माना जाता है। प्रतिगामी प्रकृति: आय स्तर पर ध्यान दिए बिना सभी के लिए कर की दर समान है।

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