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DNA प्रोफाइलिंग और आनुवंशिक गोपनीयता का उल्लंघन

Lokesh Pal December 04, 2024 04:33 48 0

संदर्भ

‘सेंटर फॉर DNA फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स’ (CDFD) ने एक परिवार पर किए गए DNA विश्लेषण में लेविरेट (Levirate) के प्रचलन का खुलासा किया है, जिससे आनुवंशिक गोपनीयता बनाए रखने पर सवाल उठ रहे हैं।

  • दाता (पिता), रोगी और रोगी की माँ के DNA प्रोफाइल तैयार किए गए।
  • DNA से पता चला कि महिला का पति मरीज का वास्तविक पिता नहीं था, बल्कि एक करीबी रिश्तेदार था, संभवतः वास्तविक पिता का भाई था, जिससे लेविरेट के अभ्यास का संकेत मिलता है।

DNA प्रोफाइल के बारे में

  • DNA प्रोफाइल आनुवंशिक विशेषताओं का एक समूह है, जो किसी व्यक्ति के DNA मार्करों का विश्लेषण करके प्राप्त किया जाता है।
  • DNA प्रोफाइलिंग: इसे DNA फिंगरप्रिंटिंग के रूप में भी जाना जाता है, यह एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसका उपयोग व्यक्तियों की उनकी अनूठी आनुवंशिक संरचना के आधार पर पहचान करने के लिए किया जाता है।
  • खोज: एक ब्रिटिश आनुवंशिकीविद् एलेक जेफ्रीस (Alec Jeffreys) ने 1980 के दशक में पाया कि DNA के कुछ क्षेत्रों में ऐसे पैटर्न होते हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय होते हैं।
  • DNA प्रोफाइलिंग की प्रक्रिया
    • अलगाव: इसमें एक नमूने से DNA की बहुत सारी प्रतियाँ बनाई जाती हैं। [पाॅलीमरेज चेन रिएक्शन (PCR) का उपयोग करके]
    • विखंडन: DNA को छोटी लंबाई में तोड़ने के लिए एक एंजाइम का उपयोग करना।
    • पृथक करना: केशिका जेल वैद्युतकण संचलन (Capillary Gel Electrophoresis) (जेल की एक परत में विद्युत प्रवाह के माध्यम से) नामक तकनीक का उपयोग करके DNA के टुकड़ों को आकार के अनुसार अलग किया जाता है।
    • तुलना: DNA के अन्य नमूनों के साथ जेल पर टुकड़ों के पैटर्न का मिलान करना।

‘सेंटर फॉर DNA फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स’ (CDFD)

  • ‘सेंटर फॉर DNA फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स’ (CDFD) हैदराबाद, भारत में स्थित एक भारतीय स्वायत्त जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र है।
  • वित्तपोषित: जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), भारत सरकार।
  • मान्यता: CDFD चिकित्सा जैव सूचना विज्ञान में ‘सन माइक्रोसिस्टम्स सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ है, जो एक मजबूत जैव सूचना विज्ञान सुविधा द्वारा समर्थित है और यह EMBnet का भारत नोड है।
  • जीवन विज्ञान में ‘डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी’ की पढ़ाई करने के लिए इस केंद्र को हैदराबाद विश्वविद्यालय और मणिपाल विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • क्षेत्र: CDFD में अनुसंधान मुख्य रूप से जीवाणु रोगजनकों की आणविक महामारी विज्ञान, संरचनात्मक आनुवंशिकी, आणविक आनुवंशिकी, जैव सूचना विज्ञान और कंप्यूटेशनल जीव विज्ञान पर केंद्रित है।


  • विधियाँ
    • ‘शॉर्ट टेंडम रिपीट’ (Short Tandem Repeats- STR) विश्लेषण: STR, DNA के गैर-कोडिंग क्षेत्र हैं, जिनमें समान न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम के दोहराव होते हैं, इसलिए DNA के उन विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिनमें लघु अनुक्रम दोहराव होते हैं।
      • उदाहरण: GATAGATAGATAGATAGATAGATA एक ​​STR है, जहाँ न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम GATA को छह बार दोहराया जाता है।
    • ‘पॉलीमरेज चेन रिएक्शन’ (Polymerase Chain Reaction- PCR): PCR एक ऐसी तकनीक है, जिसका उपयोग DNA के विशिष्ट क्षेत्रों की वृद्धि के लिए किया जाता है, जिससे इसका विश्लेषण करना आसान हो जाता है। यह उन मामलों में अपरिहार्य सिद्ध हुआ है, जहाँ केवल थोड़ी मात्रा में DNA उपलब्ध है।
    • ‘सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म’ (Single Nucleotide Polymorphism- SNP) विश्लेषण: ‘सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म’ (SNP) DNA अनुक्रम में एकल बेस जोड़ी में भिन्नताएँ हैं। ह्यूमन जीनोम में फैले लाखों ‘सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म’ (SNP) के साथ, उनका विश्लेषण एक विस्तृत DNA प्रोफाइल प्रदान कर सकता है।
  • उपयोग
    • आपराधिक जाँच और फोरेंसिक: फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में DNA प्रोफाइलिंग एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका उपयोग संदिग्धों को अपराध स्थलों से प्राप्त साक्ष्य से जोड़ने के लिए किया जाता है।
      • DNA प्रोफाइलिंग तकनीक को पहली बार वर्ष 1986 में एक आपराधिक मामले में लागू किया गया था, जिसने फोरेंसिक विज्ञान में एक नए युग की शुरुआत की।
    • आनुवांशिक इतिहास का निर्धारण: DNA प्रोफाइलिंग वंशावली अनुसंधान में पैतृक वंशावली की खोज और जैविक संबंधों को स्थापित करने के लिए एक विश्वसनीय और सटीक विधि प्रदान करती है।
    • आनुवांशिकी आधारित उपचार दिनचर्या: DNA प्रोफाइलिंग का उपयोग किसी रोगी की कुछ बीमारियों के प्रति प्रवृत्ति को समझने और उनके आनुवंशिक मेकअप के अनुसार, उपचार प्रदान करने में मदद करता है, जिससे अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा मिलती है।
    • वन्यजीव और संरक्षण आनुवंशिकी: वन्यजीव और संरक्षण में, DNA प्रोफाइलिंग जानवरों के प्रवास को ट्रैक करने, आनुवंशिक विविधता की निगरानी करने और लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन का प्रबंधन करने में मदद करती है।

DNA प्रोफाइलिंग और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ

  • संवेदनशील जानकारी प्रकट करना: DNA प्रोफाइलिंग से पूर्व सहमति के बिना वंश, चिकित्सा इतिहास आदि से संबंधित संवेदनशील निजी जानकारी तीसरे पक्ष को प्रकट की जा सकती है, जिससे उल्लंघन हो सकता है।
  • निगरानी उपकरण: इस तकनीक का उपयोग सरकारें अपने खिलाफ उठने वाले प्रत्येक असहमतिपूर्ण मुद्दे को दबाने और उसके साथ भेदभाव करने के लिए कर सकती हैं, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण हो सकता है।
  • सुरक्षा: DNA प्रोफाइल के संबंध में प्रभावी कानूनों और इसके प्रवर्तन की कमी के कारण उन्हें लीक एवं दुरुपयोग का खतरा हो सकता है।
  • भेदभाव: DNA जानकारी का उपयोग धर्म, जाति, नस्ल, वर्ग और लिंग एवं स्वास्थ्य के आधार पर समाज के विभिन्न वर्गों के साथ भेदभाव करने के लिए किया जा सकता है।
  • डेटा संग्रह: ‘डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर’ जेनेटिक टेस्टिंग कंपनियाँ आपके बारे में गैर-DNA  जानकारी एकत्र और साझा कर सकती हैं। यह जानकारी डेटा ब्रोकरों को बेची जा सकती है, जो इसका उपयोग बीमा दरों या होम लोन की ब्याज दरों को निर्धारित करने के लिए कर सकते हैं।
  • फोरेंसिक उपयोग: कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ कानून प्रवर्तन उद्देश्यों के लिए DNA नमूने और प्रोफाइल रख सकती हैं, जैसे अपराधियों या लापता व्यक्तियों की पहचान करना।

भारत में DNA प्रोफाइलिंग के संबंध में कानूनी प्रावधान

  • दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
    • धारा 53: यह जाँच एजेंसी के अनुरोध पर संदिग्धों की DNA प्रोफाइलिंग की अनुमति देती है। यह पुलिस अधिकारी को जाँच करने के लिए चिकित्सा पेशेवर की सहायता लेने की भी अनुमति देती है।
    • धारा 53A: यह विशेष रूप से दुष्कर्म के संदिग्धों के लिए DNA प्रोफाइलिंग की अनुमति देती है।
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872: भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धाराएँ 45-51 न्यायालय में DNA साक्ष्य सहित विशेषज्ञ गवाही की स्वीकार्यता निर्धारित करती हैं।
  • दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022: यह एक भारतीय कानून है, जो पुलिस को आपराधिक जाँच के लिए व्यक्तियों से पहचान योग्य जानकारी एकत्र करने की अनुमति देता है, जैसे कि माप लेना, गिरफ्तार लोगों से फिंगरप्रिंट, पैरों के निशान, जैविक नमूने और व्यवहार संबंधी विशेषताएँ एकत्र करना, जिसमें दोषी भी शामिल हैं।
  • DNA प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018: DNA प्रौद्योगिकी की सटीकता, व्यक्तिगत गोपनीयता के लिए संभावित खतरों और दुरुपयोग की संभावना के आधार पर विपक्ष के विरोध के कारण विधेयक को लोकसभा से वापस ले लिया गया था।
    • उद्देश्य
      • विनियामक निकाय के रूप में एक DNA प्रोफाइलिंग बोर्ड स्थापित करना, जिसका एक कार्य DNA नमूना परीक्षण करने के लिए अधिकृत प्रयोगशालाओं को मान्यता प्रदान करना होगा।
      • DNA डेटा बैंक: दोषियों और अभियुक्तों से एकत्रित DNA जानकारी को संगृहीत करने के लिए डेटाबेस यानी DNA डेटा बैंक बनाना। इस डेटाबेस को अनुक्रमित किया जा सकता है और अपराध स्थलों से मिलान करने वाले नमूनों की खोज की जा सकती है।
      • दोषियों और आरोपियों से DNA नमूने एकत्र करने में सुविधा प्रदान करना।

लेविरेट (Levirate)

  • यह शब्द लैटिन शब्द लेविर (Levir) से आया है, जिसका अर्थ है ‘पति का भाई’।
  • लेविरेट वह प्रथा है, जिसमें विधवा महिला या जिसका पति मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम है, वह अपने पति के भाई से बच्चे पैदा कर सकती है।
  • लेविरेट विवाह उन समाजों में प्रचलित था, जहाँ कबीले की संरचना मजबूत थी, जहाँ बहिर्विवाह (कुल से बाहर विवाह) वर्जित था।
  • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करने के लिए प्रचलित है कि पुरुष उत्तराधिकारी का कार्य करना और जैविक या आनुवंशिक वंशावली को आगे जारी रखना।
  • प्रचलन: लेविरेट विवाह उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में अधिक आम और स्वीकार्य था।

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