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भारतीय खाद्य निगम में इक्विटी निवेश

Lokesh Pal November 09, 2024 02:26 23 0

संदर्भ

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने वर्ष 2024-25 में अर्थोपाय अग्रिम (‘वेज एंड मीन्स एडवांस’) को इक्विटी में परिवर्तित करके भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India – FCI) में ₹10,700 करोड़ की इक्विटी निवेश को मंजूरी दे दी है। 

  • इस वित्तीय वर्ष में इक्विटी का उपयोग FCI के लिए कार्यशील पूँजी के रूप में किया जाएगा।
  • इक्विटी इन्फ्यूजन: पिछले वित्तीय वर्ष (2023-24) में FCI की इक्विटी में वर्ष 2019-20 में ₹4,496 करोड़ से बढ़कर ₹10,157 करोड़ हो गई है।
  • उद्देश्य: FCI की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना ताकि इसके आवश्यक अधिदेश को पूरा किया जा सके।

इक्विटी इन्फ्यूजन के कारण

  • खरीद में वृद्धि: FCI के खाद्यान्न खरीद कार्यों को बढ़ाने के लिए क्योंकि मुख्य रूप से पंजाब एवं हरियाणा से खरीफ फसल के मौसम में धान की खरीद में देरी की शिकायतें थीं। 
    • FCI की वित्तीय स्थिति को मजबूत करना एवं इसकी कार्यशील पूँजी की आवश्यकता को पूरा करना।
  • सब्सिडी का बोझ कम करना: FCI आमतौर पर फंड की कमी से निपटने के लिए अल्पकालिक उधार पर निर्भर रहता है। इस निवेश से ब्याज का बोझ कम करने तथा अंततः भारत सरकार की सब्सिडी कम करने में मदद मिलेगी।
    • वर्ष 2014-2024 की अवधि में खाद्य सब्सिडी वर्ष 2002-2014 की अवधि के दौरान 5,15,000 करोड़ रुपये से 4 गुना से अधिक बढ़कर 21,56,000 करोड़ रुपये हो गई है।
  • स्टॉक का सतत् प्रबंधन: पिछले पाँच वर्षों में FCI की औसत स्टॉक होल्डिंग लगभग ₹80,000 करोड़ रही है। पूँजीगत प्रोत्साहन FCI को इस वृद्धि को अधिक सतत् तरीके से प्रबंधन में सक्षम बनाएगा।
  • मुद्रास्फीति: MSP में बढोतरी एवं स्टॉक के स्तर में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति ने FCI के लिए खाद्य खरीद की लागत बढ़ा दी है, जिससे उसकी कार्यशील पूँजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त पूँजी की आवश्यकता होती है।

भारतीय खाद्य निगम के बारे में

  • स्थापित: FCI की स्थापना खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत की गई थी।
  • उद्देश्य: खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, खाद्य कीमतों को स्थिर करना एवं कुछ कार्य करके देश के भीतर कृषि विकास को बढ़ावा देना।
    • खरीद: FCI अन्य राज्य एजेंसियों के साथ मूल्य समर्थन योजना के तहत गेहूँ एवं धान की खरीद करता है तथा किसानों को MSP एवं कमजोर वर्गों को सस्ती कीमतों पर खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। 
      • खरीद कार्य कीमतों को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ देश की समग्र खाद्य सुरक्षा में योगदान देने वाला एक प्रभावी बाजार हस्तक्षेप है।
    • संचलन: FCI एक वर्ष में औसतन 42 से 45 मिलियन टन खाद्यान्न का परिवहन देश भर में करता है,
      • अधिशेष क्षेत्रों से स्टॉक खाली करना।
      • NFSA/TDPS एवं अन्य योजनाओं के लिए घाटे वाले क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करना।
      • घाटे वाले क्षेत्रों में बफर स्टॉक बनाना।
    • भंडारण: FCI भारत सरकार द्वारा शुरू की गई सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए खरीदे गए खाद्यान्न के स्टॉक को रखने हेतु गोदामों तथा साइलो का एक नेटवर्क बनाए रखता है। 
      • साथ ही, संकट या आपदा के समय देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बफर स्टॉक बनाए रखना है।
    • वितरण: भारतीय खाद्य निगम (FCI), PDS/NFSA [प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)] एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं [पीएम पोषण (PM POSHAN), अन्नपूर्णा, कल्याण संस्थान तथा छात्रावास, गेहूँ आधारित पोषण कार्यक्रम एवं किशोर लड़कियों के लिए योजना] के तहत खाद्यान्न वितरण में भी भूमिका निभाता है।
      • FCI पूरे वर्ष समाज के कमजोर वर्गों के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध खाद्यान्न का समान वितरण सुनिश्चित करता है।
    • गुणवत्ता नियंत्रण: FSS अधिनियम, 2006 के अनुसार, गुणवत्ता आश्वासन प्रदान करने वाले खाद्यान्नों की गुणवत्ता की प्रभावी निगरानी के लिए भारतीय खाद्य निगम की परीक्षण प्रयोगशालाएँ देश भर में फैली हुई हैं, जिससे ग्राहकों के संतुष्टि स्तर में सुधार हुआ है।

अर्थोपाय अग्रिम (Ways and Means Advance- WMA)

  • ये भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा केंद्र एवं राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को दिए गए अल्पकालिक ऋण हैं, जिससे उन्हें अस्थायी बजट घाटे को पूरा करने में मदद मिलती है। RBI अपनी क्रेडिट पॉलिसी के तहत यह सुविधा प्रदान करता है। 
    • WMA का लाभ केवल तीन महीने (90 दिन) के भीतर पुनर्भुगतान की शर्त पर लिया जा सकता है एवं अक्सर रेपो दर पर जारी किया जाता है।
  • परिचय: WMA योजना 1 अप्रैल, 1997 को केंद्र सरकार की अस्थायी वित्त आवश्यकताओं को कवर करने के लिए तदर्थ ट्रेजरी बिल की जगह लेकर शुरू की गई थी।
  • उद्देश्य: WMA का उपयोग सरकारों को उनकी प्राप्तियों एवं व्ययों में अस्थायी विसंगतियों को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए किया जाता है। 
  • अधिनियम: यह योजना RBI अधिनियम, 1934 की धारा 17(5) के माध्यम से प्रशासित की जाती है।
  • सीमाएँ: अर्थोपाय अग्रिमों की सीमाएँ सरकार एवं RBI द्वारा पारस्परिक रूप से तय की जाती हैं तथा समय-समय पर संशोधित की जाती हैं।
  • प्रकार: राज्य सरकारों के लिए WMA दो प्रकार के होते हैं:-
    • सामान्य WMA एवं विशेष WMA [विशेष ड्राइंग सुविधा (SDF)]। 
    • विशेष WMA में सामान्य WMA की तुलना में ब्याज दरें 1% कम होती हैं एवं ये राज्य की सरकारी परिसंपत्तियों के बदले में सबसे पहले समाप्त हो जाती हैं।
  • ओवरड्राफ्ट: यदि राशि 90 दिनों की अवधि के भीतर वापस नहीं की जाती है, तो इसे ओवरड्राफ्ट माना जाता है। ओवरड्राफ्ट पर ब्याज आमतौर पर रेपो रेट से अधिक होता है।

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