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फलों और सब्जियों के मामले में किसानों की आय 40% से भी कम

Lokesh Pal October 07, 2024 05:26 77 0

संदर्भ 

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए मुद्रास्फीति और मूल्य शृंखला पर कार्य पत्रों (Working Papers inflation and Value Chains) में बताया गया है कि फलों एवं सब्जियों के मामले में उच्च मुद्रास्फीति के समय में बिचौलिए एवं खुदरा विक्रेता, उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की गई कीमत का एक बड़ा हिस्सा अधिकृत कर लेते हैं, जो किसानों द्वारा उत्पादित उत्पादों की कीमत पर मुनाफाखोरी को बढ़ावा देता है।

कृषि मूल्य शृंखला (Agricultural Value Chain) क्या है?

  • इसमें वे सभी लोग एवं गतिविधियाँ शामिल हैं, जो मक्का, सब्जी या कपास जैसे कृषि उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं।
  • प्रमुख चरण हैं –
    • इनपुट और उत्पादन: इस चरण में फसलों का उत्पादन किया जाता है।
    • प्रसंस्करण: कच्चे उत्पादों को साफ करके परिवर्तित किया जाता है। 
    • पैकेजिंग: उत्पादों को पैक किया जाता है। 
    • वितरण: तैयार उत्पादों को बाजारों में पहुँचाया जाता है।
  • उदाहरण: खाद्य निर्माता की मूल्य शृंखला।
    • किसानों से कृषि उत्पाद खरीदना।
    • कारखानों में माल का प्रसंस्करण।
    • अंतिम उत्पाद को बाजार में बेचना।

मूल्य शृंखला में ICT का उपयोग

  • ICT का तात्पर्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से है।
    • मूल्य शृंखला में इसके उपयोग से मूल्य शृंखला की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ सकती है।
  • ICT का उपयोग करने के प्रमुख तरीके
    • सूचना साझाकरण: ICT प्रसंस्करणकर्ताओं, किसानों, वितरकों और उपभोक्ताओं के बीच सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
    • बाजार तक पहुँच: ICT उत्पादकों को खरीदारों से सीधे जोड़कर उन्हें व्यापक बाजार तक पहुँच प्रदान करने में मदद करती है।
    • शिक्षा और प्रशिक्षण: ICT उत्पादकता बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण और सेवाओं के लिए एक मंच प्रदान करता है।

मुख्य निष्कर्ष

  • बिचौलियों का प्रभुत्व: उच्च मुद्रास्फीति के समय में बिचौलियों और खुदरा विक्रेताओं द्वारा फलों और सब्जियों के लिए उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा अधिकृत कर लिया जाता है।
  • असंगत लाभ: बिचौलियों द्वारा अर्जित लाभ की तुलना में किसानों को उपभोक्ता के रुपए का अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा प्राप्त होता है।
  • भिन्न-भिन्न हिस्सेदारी: उपभोक्ता रुपये में किसानों की हिस्सेदारी विभिन्न कृषि उत्पादों में भिन्न-भिन्न होती है।
  • डेयरी, पोल्ट्री और दालों का हिस्सा अधिक: फलों और सब्जियों की तुलना में डेयरी, पोल्ट्री और दालों के मामले में किसानों का हिस्सा अधिक था।

फल और डेयरी उत्पाद से किसानों को आय

फलों के लिए कम हिस्सा: केले, अंगूर और आम जैसे फलों के मामले में, किसान उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का कम हिस्सा अर्जित कर  पाते हैं।

  • केले: किसानों को लगभग 31% हिस्सा प्राप्त होता है।
  • अंगूर: किसानों को लगभग 35% हिस्सा प्राप्त होता है।
  • आम: किसानों को 43% हिस्सा प्राप्त होता है।
डेयरी और पोल्ट्री का उच्च हिस्सा: डेयरी और पोल्ट्री क्षेत्र में किसानों को उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत की अधिक हिस्सेदारी प्राप्त होती है।

  • दूध: किसानों को 70% हिस्सा प्राप्त होता है।
  • अंडे: किसानों को 75% हिस्सा प्राप्त होता है।
  • मुर्गी (मांस के रूप में): किसानों और एग्रीगेटर्स को 56% हिस्सा प्राप्त होता है।

सब्जियों एवं दालों से किसानों को आय

सब्जियों के लिए कम हिस्सा: टमाटर, प्याज और आलू जैसी प्रमुख सब्जियों के लिए किसानों को बहुत कम हिस्सा प्राप्त होता है।

  • टमाटर: उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का 33% हिस्सा किसानों को प्राप्त होता  है।
  • प्याज: उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का 36% हिस्सा किसानों को प्राप्त होता  है। 
  • आलू: उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का 37% हिस्सा किसानों को प्राप्त होता  है। 
दालों के लिए अधिक हिस्सा: किसानों को दालों के लिए उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का एक बड़ा भाग प्राप्त होता है।

  • चना: उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का 75% हिस्सा किसानों को प्राप्त होता  है। 
  • मूँग: उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का 70% हिस्सा किसानों को प्राप्त होता  है।
  • अरहर: उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमत का 65% हिस्सा किसानों को प्राप्त होता है।

आशय

  • सुधारों की आवश्यकता: निष्कर्ष बिचौलियों के प्रभुत्व को कम करने और मूल्य शृंखला में किसानों की हिस्सेदारी में सुधार करने के लिए सुधारों की आवश्यकता का सुझाव देते हैं।
  • नीतिगत हस्तक्षेप: सरकार की नीतियाँ प्रत्यक्ष विपणन को बढ़ावा देने, किसान सहकारी समितियों को मजबूत करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बुनियादी ढाँचे में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
  • उपभोक्ता जागरूकता: किसानों की दुर्दशा के बारे में उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना और उन्हें निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करना भी लाभ के अधिक न्यायसंगत वितरण में योगदान दे सकता है।

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