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हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड उर्वरक संयंत्र, सिंदरी

Lokesh Pal March 02, 2024 04:10 104 0

संदर्भ

हाल ही में झारखंड के सिंदरी मेंहिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड’ (HURL) उर्वरक संयंत्र का संचालन प्रारंभ हो गया है।

संबंधित तथ्य

  • भारत को प्रत्येक वर्ष लगभग 360 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता होती है।
  • हाल ही में सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटाश (P&K) उर्वरकों के लिए 24,420 करोड़  रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दे दी, जिसमें किसानों की सहायता और तिलहन तथा दालों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए तीन नए ग्रेड (मानक) जोड़े गए।
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए ₹ 1.64 ट्रिलियन आवंटित किया गया, जो कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान ₹ 1.88 ट्रिलियन से कम है।

हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड’ (HURL) उर्वरक संयंत्र, सिंदरी

  • अत्याधुनिक गैस आधारित सिंदरी संयंत्र की स्थापना आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (FCIL) और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (HFCL) की बंद पड़ी यूरिया इकाइयों के पुनरूद्धार के लिए सरकार की पहल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
    • घरेलू स्तर पर उत्पादित यूरिया की उपलब्धता बढ़ाने के लिए FCIL और HFCL की बंद इकाइयों का पुनरुद्धार सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
  • सिंदरी संयंत्र देश में प्रतिवर्ष 12.7 LMT स्वदेशी यूरिया उत्पादन बढ़ाएगा और यूरिया क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भरसंबंधी दृष्टिकोण को साकार करने में मदद करेगा।
  • संयंत्र का लक्ष्य झारखंड राज्य के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और बिहार में किसानों को यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
  • यह संयंत्र न केवल उर्वरक की उपलब्धता में सुधार करेगा बल्कि सड़क, रेलवे और इससे जुड़े उद्योगों की आधारभूत अवसंरचना के विकास सहित क्षेत्र में समग्र आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा।
  • यह संयंत्र 450 प्रत्यक्ष और 1,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्रदान करेगा।
    • इसके अतिरिक्त संयंत्र के लिए विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विक्रेता भी लाभान्वित होंगे, जिससे इस क्षेत्र को लाभ होगा।

हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (HURL) 

  • हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (HURL) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड , कोल इंडिया लिमिटेड और FCIL, HFCL की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
  • इसे 15 जून, 2016 को निगमित किया गया था।
  • इसने प्रतिवर्ष 12.7 LMT की स्थापित क्षमता के साथ नया अमोनिया-यूरिया संयंत्र स्थापित करके सिंदरी उर्वरक इकाई का पुनरूद्धार किया। 

उर्वरक संबंधी भारतीय पहल

  •  “पीएम प्रोग्राम फॉर रेस्टोरेशन, अवेयरनेस जनरेशन, नरिशमेंट एंड ऐमेलिओरेशन ऑफ मदर अर्थ (पीएम-प्रणाम)
    • इस पहल का उद्देश्य उर्वरकों के सतत् और संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने, जैविक खेती को बढ़ावा देने और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को लागू करके पृथ्वी के स्वास्थ्य को बचाने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा शुरू किए गए जन आंदोलन का समर्थन करना है।
    • यह रासायनिक उर्वरकों में कमी लाने और वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने पर लक्षित है।
    • यह रासायनिक उर्वरकों पर प्रदत्त सब्सिडी के बोझ को कम करेगा।
    • यह भारतीय कृषि को बदलती जलवायु के प्रति अधिक प्रत्यास्थी (Resilient) बनाएगा।
  • एक राष्ट्र – एक उर्वरक (One Nation One Fertilizer- ONOF):
    • इस योजना को प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना (PMBJP) के रूप में भी जाना जाता है, जिसे वर्ष 2022 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
    • इस योजना के अंतर्गत, उर्वरक सब्सिडी योजना के तहत आने सभी उर्वरक निर्माताओं द्वारा उर्वरकों के लिए एक ही ब्रांड और लोगो का उपयोग करना आवश्यक है।
    • ब्रांड का नाम भारत (Bharat) रखा गया है और इसमें यूरिया, DAP, NPK और MOP सहित सभी प्रकार के उर्वरक शामिल हैं।
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer- DBT)
    • यह प्रणाली उर्वरक विभाग द्वारा किसानों को उर्वरक खरीद हेतु सब्सिडी राशि प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2016 में शुरू की गई थी।
    • इस प्रणाली के तहत खुदरा दुकानों पर स्थापित पॉइंट ऑफ सेल (PoS) उपकरणों के माध्यम से किसानों को उर्वरक की बिक्री के बाद उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी हस्तांतरित की जाती है।
  • नीम-लेपित यूरिया (Neem Coated Urea- NCU)
    • यह योजना सरकार द्वारा मृदा के स्वास्थ्य को संरक्षित करने और बेहतर फसल पैदा करने के लिए जैविक यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2015 में शुरू की गई थी।
    • इस योजना के तहत किसान बचत में लगभग 10% की कटौती करने के लिए केवल नीम लेपित जैविक यूरिया का उपयोग कर रहे हैं।
      • जिस यूरिया को नीम के बीज के तेल से लेपित किया जाता है, उसे नीम-लेपित यूरिया कहा जाता है।
  • पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy- NBS)
    • यह योजना वर्ष 2010 में उर्वरक विभाग द्वारा उत्पादों के बजाय पोषक तत्त्वों पर सब्सिडी प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी।
    • इस योजना के तहत नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटैशियम (K) और सल्फर (S) जैसे पोषक तत्त्वों के लिए सब्सिडी दरें सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष हेतु पहले से तय कर दी जाती हैं।
    • निर्माता और आयातक बाजार की स्थितियों के आधार पर अपने उत्पादों की खुदरा कीमत तय करने के लिए स्वतंत्र हैं।

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