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ICC अभियोजक ने इजरायली एवं हमास नेताओं की गिरफ्तारी की माँग की

Lokesh Pal May 22, 2024 05:29 141 0

संदर्भ 

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के मुख्य अभियोजक ने सात महीने के युद्ध के दौरान की गई कार्रवाइयों पर इजरायली प्रधानमंत्री सहित इजरायल एवं हमास नेताओं के लिए गिरफ्तारी वारंट की माँग की।

इजरायल-हमास युद्ध के बारे में

  • इजरायल और ‘हमास’ के मध्य युद्ध की शुरुआत (7 अक्टूबर, 2023) तब हुई जब हमास के बंदूकधारियों ने गाजा से इजरायल पर अभूतपूर्व हमला किया।
  • इजरायल ने हमास द्वारा 7 सीमा पार हमलों के जवाब में अपना युद्ध अभियान शुरू किया।

संबंधित तथ्य

  • गिरफ्तारी वारंट के लिए अनुरोध करने की शर्त: तीन न्यायाधीशों का एक पैनल यह तय करेगा कि गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए या नहीं एवं मामले को आगे बढ़ने की अनुमति दी जाए। ऐसे निर्णय लेने में न्यायाधीशों को आम तौर पर दो महीने लग जाते हैं।
  • इजरायल के लिए निहितार्थ: इजरायल इस न्यायालय का सदस्य नहीं है, इसलिए यदि गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है, तो भी इजरायली नेता को मुकदमा चलाने का तत्काल कोई खतरा नहीं है।
    • लेकिन गिरफ्तारी की धमकी से इजरायली नेताओं के लिए विदेश यात्रा करना मुश्किल हो सकता है।
  • इजरायल और अमेरिका की प्रतिक्रिया: दोनों ने उनके खिलाफ अभियोजक के आरोपों की निंदा की।
    • इजरायल ने कहा कि वह ‘सबसे सख्त’ नैतिक संहिताओं का पालन करता है एवं उसके पास एक मजबूत न्यायपालिका है जो स्वयं जाँच करने में सक्षम है।
  • हमास की प्रतिक्रिया: हमास ने भी ICC अभियोजक के कार्यों की निंदा करते हुए कहा कि उसके नेताओं को गिरफ्तार करने का अनुरोध अनैतिक है।
  • युद्ध खत्म करने के लिए इजरायल में स्थानीय प्रदर्शन: युद्ध समाप्त करने के लिए इजरायली प्रधानमंत्री पर घरेलू स्तर पर भारी दबाव बन गया है।

न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट के कारण

  • मानवीय संकट: इजरायली हमले ने गाजा में मानवीय संकट भी पैदा कर दिया है, जिससे लगभग 80% आबादी विस्थापित हो गई है एवं सैकड़ों हजारों लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं।
  • नागरिक आबादी के खिलाफ: गाजा की नागरिक आबादी के खिलाफ अन्य हमलों एवं सामूहिक सजा के साथ-साथ युद्ध की एक विधि के रूप में भुखमरी के उपयोग के प्रभाव तीव्र, दृश्यमान तथा व्यापक रूप से ज्ञात हैं।
    • उनमें कुपोषण, निर्जलीकरण, गहन पीड़ा एवं शिशुओं, अन्य बच्चों तथा महिलाओं सहित फिलिस्तीनी आबादी के बीच मौतों की बढ़ती संख्या शामिल है।

  • मानवीय सहायता पहुँचाने में बाधा: संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य सहायता एजेंसियों ने पूरे युद्ध के दौरान इजरायल पर सहायता वितरण में बाधा डालने का बार-बार आरोप लगाया है।
    • उनके सहायताकर्मी बार-बार इजरायली गोलीबारी का शिकार हुए हैं, एवं 
    • चल रही लड़ाई और सुरक्षा शून्यता ने सेवाओं की डिलीवरी में बाधा उत्पन्न की है।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की रोम संविधि (Rome Statute)

  • यह वह संधि है, जिसने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की स्थापना की।
    • यह दुनिया के सबसे जघन्य अत्याचारों (युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार एवं आक्रामकता के अपराध) के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए अंतिम उपाय का एक स्थायी न्यायालय है।
      • यह केवल तभी हस्तक्षेप करता है, जब राष्ट्रीय स्तर के अधिकारी मुकदमा नहीं चला सकते या नहीं चलाएँगे।
      • इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड में है।
  •  इसे जुलाई 1998 में अपनाया गया एवं जुलाई 2002 में लागू हुआ।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ICC का समर्थन किया, लेकिन न्यायालय स्वतंत्र है।
  • ICC 123 सदस्य देशों वाला एक अंतरसरकारी संगठन है।
    • दर्जनों देश युद्ध अपराध, नरसंहार एवं अन्य अपराधों पर न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार नहीं करते हैं। इनमें इजरायल, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, कतर तथा चीन शामिल हैं।
    • भारत ICC का सदस्य देश नहीं है, एवं उसने इसकी मुख्य संधि, ‘रोम संविधि’ पर कभी हस्ताक्षर नहीं किया है।
    • फिलिस्तीनियों द्वारा न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार करने के एक वर्ष बाद, ICC ने वर्ष 2015 में ‘फिलिस्तीन स्टेट’ को एक सदस्य के रूप में स्वीकार किया।
  • वर्ष 2020 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ICC अभियोजक और एक अन्य वरिष्ठ अभियोजक पर आर्थिक एवं यात्रा प्रतिबंधों को अधिकृत किया।
    • ICC कर्मचारी अफगानिस्तान में संभावित युद्ध अपराधों के लिए अमेरिकी एवं सहयोगी देशों की सेनाओं पर नजर रख रहे थे। जो बाइडेन ने वर्ष 2021 में प्रतिबंध हटा दिए।
  • पिछले वर्ष न्यायालय ने यूक्रेन से बच्चों के अपहरण की जिम्मेदारी के आरोप में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया था।
    • रूस ने ICC अभियोजकों एवं न्यायाधीशों के लिए अपने स्वयं के गिरफ्तारी वारंट जारी करके जवाब दिया।

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