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मणिपुर में नृजातीय संघर्ष: प्रशासनिक विफलता

Lokesh Pal October 25, 2024 01:34 51 0

संदर्भ 

मणिपुर में मैतेई एवं कुकी के बीच चल रहा नृजातीय संघर्ष, जो 3 मई, 2023 को शुरू हुआ, अखिल भारतीय सेवा (AIS) अधिकारियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। 

नृजातीय संघर्ष के बारे में

  • नृजातीय संघर्ष विभिन्न नृजातीय समूहों के बीच विवादों या शत्रुता को संदर्भित करता है, जो अक्सर संसाधनों, राजनीतिक शक्ति, सांस्कृतिक मान्यता या ऐतिहासिक शिकायतों के लिए प्रतिस्पर्द्धा के कारण होता है।
    • ये संघर्ष हिंसा, भेदभाव, विस्थापन, सामाजिक अशांति आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं।

नृजातीय संघर्ष के कारण 

  • ऐतिहासिक विवाद: लंबे समय से चली आ रही द्वेषपूर्ण भावना एवं अतीत के अन्याय गहन विवाद उत्पन्न करते हैं। 
  • भूमि, जल आदि जैसे संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्द्धा: दारफुर, सूडान में संघर्ष, जहाँ अरब एवं गैर-अरब समूहों के बीच भूमि और जल संसाधनों को लेकर प्रतिस्पर्द्धा के कारण हिंसा एवं विस्थापन हुआ है।
  • राजनीतिक सत्ता संघर्ष: प्रतिनिधित्व और स्वायत्तता पर विवाद बहु-नृजातीय समाजों में तनाव को बढ़ाते हैं। 
    • उदाहरण: दक्षिण सूडान गृहयुद्ध, जहाँ डिंका एवं नुएर नृजातीय समूहों के बीच सत्ता संघर्ष मौजूद है।
  • सांस्कृतिक भिन्नताएँ: अलग-अलग भाषाएँ एवं रीति-रिवाज गलतफहमियाँ तथा पूर्वाग्रह को बढ़ावा देते हैं।
    • उदाहरण: इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष।
  • आर्थिक कारक: तुर्किए में कुर्द संघर्ष, जहाँ कुर्द क्षेत्रों के आर्थिक हाशिए पर जाने से नाराजगी बढ़ी है एवं अधिक स्वायत्तता की माँग की गई है।

मैतेई एवं कुकी के बीच संघर्ष की पृष्ठभूमि

  • भौगोलिक विभाजन: भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित मणिपुर में विभिन्न जनजातीय समूह रहते हैं, जिनमें मैतेई, नागा एवं चिन-कुकी-मिजो जनजातियाँ शामिल हैं। 
    • मैतेई, ज्यादातर हिंदू है और इंफाल घाटी में रहते हैं।
    • कुकी, मुख्य रूप से ईसाई, ज्यादातर पहाड़ियों पर निवास करते हैं।
    • उनके बीच परस्पर विरोधी मातृभूमि संबंधी माँगों एवं धार्मिक मतभेदों को लेकर विवाद हैं।
  • प्रेरक घटनाएँ 
    • जनजातीय दर्जे के लिए विरोध प्रदर्शन: दोनों नृजातीय समूह में तनाव तब बढ़ गया, जब कुकी समूह ने मैतेई को आधिकारिक जनजातीय दर्जे की माँग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, उन्हें डर था कि इससे सरकार एवं समाज में मैतेई का प्रभाव बढ़ जाएगा।
    • अवैध प्रवासन एवं जनसांख्यिकीय परिवर्तन के साथ-साथ मैतेई समुदाय के हाशिए पर जाने की चिंताओं ने समुदायों के बीच तनाव बढ़ा दिया है।
      • उदाहरण: वर्ष 2011 की जनगणना में घाटी की तुलना में पहाड़ियों में जनसंख्या की उच्च दशकीय वृद्धि दर ने संदेह उत्पन्न कर दिया है कि लोग म्याँमार, नेपाल एवं बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से अवैध रूप से प्रवास कर रहे हैं। 

    • नशीली दवाओं का मुद्दा: मणिपुर की सीमा संघर्षग्रस्त म्याँमार के साथ लगती है, जो पोस्ता की खेती एवं नशीली दवाओं की तस्करी के लिए जाना जाता है। 
      • मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में उगाई जाने वाली पोस्ता, नशीली दवाओं के व्यापार को बढ़ावा देती है एवं वहाँ रहने वाले आदिवासी समूहों के लिए आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
      • नशीली दवाओं के खिलाफ राज्य सरकार के अभियान ने कुकी लोगों में नाराजगी उत्पन्न कर दी है, जो इसे अपनी आजीविका से वंचित करने की एक चाल के रूप में देखते हैं।
  • मौतें: मई 2024 में शुरू हुई हिंसा में कम-से-कम 130 लोग मारे गए हैं एवं 400 घायल हुए हैं। 
    • हिंसा को रोकने के लिए सेना, अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस के संघर्ष के कारण 60,000 से अधिक लोगों को अपने घरों से प्रवास के लिए मजबूर होना पड़ा है।

संघर्ष क्षेत्रों में प्रशासनिक अधिकारियों के लिए शामिल नैतिक आयाम

  • लोक सेवा दायित्व: IAS अधिकारियों को समुदाय के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिसमें यह सुनिश्चित करते हुए शांति एवं स्थिरता की दिशा में कार्य करना शामिल है कि उनके कार्यों से मौजूदा तनाव न बढ़े।
    • इस संघर्ष ने राज्य के प्रशासन के भीतर गहन गलतफहमियाँ उत्पन्न कर दी हैं, जो अधिकारियों, विशेषकर अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की नृजातीयता के आधार पर विभाजित हो गई हैं।
  • अवैयक्तिकता एवं सत्यनिष्ठा: निष्पक्षता बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है। 
    • मैक्स वेबर के नौकरशाही सिद्धांत के अनुसार: नौकरशाही की विशेषता अवैयक्तिकता होनी चाहिए, जहाँ निर्णय व्यक्तिगत संबंधों या प्राथमिकताओं के बजाय वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किए जाते हैं।
    • इस स्थिति में, मणिपुर में तैनात अधिकारियों को यह सुनिश्चित करते हुए अपनी व्यक्तिगत पहचान का प्रबंधन करना चाहिए कि वे नृजातीय संबद्धता को अपने निर्णय या पेशेवर जिम्मेदारियों पर हावी न होने दें।
  • मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण: भौगोलिक बाधाओं एवं व्यापक भय के कारण अधिकारियों को प्रशासनिक ढाँचे में अलग-थलग कर दिया जाता है, जिससे फील्ड पोस्टिंग लेने की उनकी इच्छा कम हो जाती है।
    • इससे जलन एवं नैतिक संकट उत्पन्न हो सकता है। 
    • नैतिक नेतृत्व के लिए इन चुनौतियों को पहचानने एवं अपने और साथी अधिकारियों के लिए समर्थन माँगने की आवश्यकता होती है।
  • सहयोग एवं एकता: प्रभावी शासन के लिए विभिन्न नृजातीय पृष्ठभूमि के अधिकारियों के बीच सहयोग की भावना को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है। 
  • जवाबदेही और पारदर्शिता: अधिकारियों को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि निर्णय पारदर्शी एवं नैतिक रूप से किए जाते हैं, विशेष रूप से नफरत भरे भाषण, गलत सूचना तथा प्रचार से भरे संदर्भ में।
    • कार्ल फ्रेडरिक की प्रशासनिक जिम्मेदारी के अनुसार: सार्वजनिक प्रशासक उस जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, जिसकी वे सेवा करते हैं। 
  • सांस्कृतिक संवेदनशीलता: संघर्ष के सांस्कृतिक आयामों को पहचानना एवं इसमें शामिल सभी पक्षों के मूल्यों तथा परंपराओं का सम्मान करना भी एक महत्त्वपूर्ण आयाम है।

संघर्ष क्षेत्रों में प्रशासन प्रबंधन में IAS अधिकारियों के लिए चुनौतियाँ

  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: अधिकारियों की शारीरिक सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बन गई है, जिससे समुदायों के साथ जुड़ने एवं फील्डवर्क करने की उनकी क्षमता सीमित हो गई है, जो प्रभावी शासन के लिए आवश्यक है।
    • उदाहरण: ऐसी भी खबरें आई हैं कि नृजातीय हिंसा में कई सरकारी अधिकारियों की भी मृत्यु हो गई।
  • अलगाव और विखंडन: अधिकारी ‘सुरक्षित जिलों’ तक ही सीमित होते जा रहे हैं, जिससे हिंसा ग्रस्त क्षेत्रों में जमीनी स्थिति का पता नहीं चल पाता है। 
    • यह अलगाव लोगों की आवश्यकताओं पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  • आपसी संबंधों में गिरावट: अविश्वास एवं शत्रुता का माहौल अधिकारियों के बीच ‘एस्प्रिट डी कॉर्प्स’ (अधिकारियों के बीच एकता एवं आपसी सम्मान) को समाप्त कर सकता है, जिससे सहयोग तथा टीम वर्क जटिल हो जाता है।
  • प्रशासनिक बाधाएँ: ‘बफर जोन’ की स्थापना के कारण अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) के अधिकारियों के लिए पहाड़ी एवं घाटी जिलों के बीच खुली पहुँच प्रतिबंधित कर दी गई है।
    • ये बफर जोन भौतिक एवं प्रशासनिक बाधाएँ उत्पन्न करते हैं, जो संघवाद के सिद्धांतों के विपरीत हैं।
  • संघर्ष की स्थितियों के लिए अपर्याप्त प्रशिक्षण: वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम संघर्ष के माहौल में कार्य करने से उत्पन्न अद्वितीय चुनौतियों के लिए अधिकारियों को पर्याप्त रूप से तैयार नहीं कर सकते हैं, जिससे प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।

आगे की राह

  • उन्नत प्रशिक्षण मॉड्यूल: संघर्ष प्रबंधन एवं सुलह पर विशेष प्रशिक्षण देना लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) तथा भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) जैसे संस्थानों के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
    •  उदाहरण: मणिपुर से वास्तविक जीवन के मामले के अध्ययन को शामिल करने से नृजातीय केंद्रित राजनीति एवं संघर्षों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिल सकती है।
  • नियमित संचार चैनल: संवाद को सुविधाजनक बनाने, एकता को बढ़ावा देने एवं संकट के दौरान गलत सूचना से निपटने के लिए स्पष्ट संचार चैनल स्थापित करना एवं विभिन्न नृजातीय पृष्ठभूमि के अधिकारियों के बीच आभासी बैठकें आयोजित करना।
  • अधिकारियों के लिए सहायता प्रणाली: मानसिक स्वास्थ्य सहायता एवं सहकर्मी परामर्श स्थापित करने से अधिकारियों को संघर्षशील क्षेत्रों में कार्य करने के तनाव से निपटने में मदद मिल सकती है, जिससे उनके कल्याण तथा प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सकेगी।
    • संघर्ष प्रबंधन में एकीकृत मोर्चे को मजबूत करने के लिए विविध पृष्ठभूमि के अधिकारियों के बीच निरंतर सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • सामुदायिक जुड़ाव पहल: अधिकारियों को आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए, संघर्ष समाधान की दिशा में कार्य करते हुए विश्वास एवं समझ को बढ़ावा देना चाहिए। 
    • इसमें शामिल समुदायों के बीच संवाद, शांति निर्माण एवं मेल-मिलाप को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • उच्च स्तरीय समिति का गठन: विभिन्न समुदायों द्वारा उठाए गए वास्तविक विकास के मुद्दों पर ध्यान देने के लिए एक समिति का गठन प्रभावित समुदायों की शिकायतों एवं चिंताओं को दूर करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है।

निष्कर्ष 

मणिपुर में नृजातीय हिंसा सांप्रदायिक संघर्षों से निपटने के लिए भारत की प्रशासनिक प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करती है, अखिल भारतीय सेवाओं के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है एवं संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में प्रशासनिक सुधार का अवसर देती है।

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