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हांगकांग को पीछे छोड़ भारत बना चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार (India becomes the fourth largest stock market, leaving behind Hong Kong)

Samsul Ansari January 25, 2024 02:49 186 0

संदर्भ 

भारतीय शेयर बाजार हांगकांग को पछाड़कर विश्व का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है।

संबंधित तथ्य 

  • भारत का कुल बाजार मूल्य: $4.33 ट्रिलियन (366 लाख करोड़ रुपए)।
  • हांगकांग का कुल बाजार मूल्य: $4.29 ट्रिलियन।
  • दुनिया के शीर्ष तीन बड़े शेयर बाजार अमेरिका, चीन और जापान हैं।

स्टॉक मार्केट (शेयर बाजार)

  • परिभाषा: यह एक बाजार है जहाँ सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं।
  • प्राथमिक तौर पर दो स्टॉक एक्सचेंज हैं- 
    • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE): यह भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।
  • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)।
  • इन स्टॉक एक्सचेंजों के अपने सूचकांक होते हैं-
    • BSE का सेंसेक्स (SENSEX)
    • NSE का निफ्टी (NIFTY)
    • इन सूचकांकों द्वारा क्रमशः शीर्ष 30 और 50 कंपनियों के प्रदर्शन की निगरानी की जाती है।
  • बाजार का ढाँचा 
    • प्राथमिक बाजार: कंपनियाँ धन प्राप्ति के लिए आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (Initial Public Offering) के माध्यम से जनता को शेयर बेचती हैं।
    • द्वितीयक बाजार: निवेशक एक-दूसरे से बाजार मूल्य या तयशुदा मूल्य पर शेयर खरीदते हैं।
  • नियंत्रण: भारत में प्राथमिक और द्वितीयक बाजारों को SEBI द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)

  • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) एक वैधानिक निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1992 में हुई थी।
  • यह शेयर बाजार को नियंत्रित करता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य प्रतिभूतियों में निवेशकों के लाभ को सुनिश्चित करना है।

भारतीय शेयर बाजार के उदय में योगदान देने वाले कारक

  • हांगकांग के बाजार में गिरावट: चीन में हुए कम निवेश का प्रभाव हांगकांग के शेयर बाजार में गिरावट के रूप देखा गया, जिस कारण भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया।
  • मजबूत व्यावसायिक प्रदर्शन: IT, औषधि और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों से संबंधित कई भारतीय कंपनीयों का उत्पादन और लाभ बढ़ा है।
    • इससे निवेश और बाजार पूँजीकरण को बढ़ावा मिला है।
  • तकनीकी प्रगति: ऑनलाइन व्यापारिक मंच और मोबाइल ऐप जैसी तकनीकी प्रगति के कारण शेयर बाजार तक पहुँच आसान हुई है। इससे निवेश भी बढ़ा है और लेनदेन में सुविधा भी बढ़ी है।
  • चीन के स्थान पर भारत का विकल्प: आर्थिक मंदी और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण चीन में निवेश कम हुआ है। वहीं दूसरी ओर, भारत के स्थिर और आशाजनक आर्थिक माहौल एवं हालिया निवेश संबंधी सुधारों की वजह से निवेशकों के लिए भारत एक अनुकूल विकल्प बन गया है।

भारतीय शेयर बाजार का हांगकांग से आगे निकलने का आशय 

  • भू-राजनीतिक प्रभाव
    • शक्ति में भू-राजनीतिक बदलाव: दुनिया में भारत की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक शक्ति से संभवतः चीन के प्रभुत्व को चुनौती मिल रही है।
    • विस्तृत होता भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेश को आकर्षित कर रहा है, जिससे भारत की पहचान एक स्थिर और मजबूत निवेश गंतव्य के रूप में हो सकती है।
    • सहयोग की क्षमता: भारतीय अर्थव्यवस्था चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए क्वाड (QUAD) देशों के साथ गहरे आर्थिक और रणनीतिक सहयोग स्थापित कर सकती है। 
  • भू-आर्थिक परिणाम
    • निवेश का विविधीकरण: भारत के बड़े बाजार में निवेश की संभावना बहुत अधिक है, जिससे चीन के बाजार पर निर्भरता कम होती है तथा इस कारण मंदी से जुड़े जोखिम भी कम हो जाते हैं।
    • भारतीय रुपये की मूल्य वृद्धि: भारत में बढ़ते विदेशी निवेश के कारण रुपये का मूल्य बढ़ेगा, जिससे रुपया महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्रा बन सकती है तथा संभवतः अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती दे सकती है।
    • वित्तीय केंद्रों का विकास: भारतीय शेयर बाजार में बढ़ते निवेश की वजह से मुंबई जैसे शहर प्रमुख वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित हो सकते हैं।

चुनौतियाँ और अनिश्चितताएँ

  • सतत् विकास: भारत को शीर्ष बाजार के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए मजबूत आर्थिक नीतियाँ निर्मित एवं प्रभावी तरीके से लागू करनी चाहिए।
  • घरेलू चुनौतियाँ: लोगों की आय में असमानता और सामाजिक अशांति जैसे मुद्दे भारत की आर्थिक क्षमता को बाधित कर सकते हैं तथा इसके वैश्विक प्रभाव को सीमित कर सकते हैं।
  • चीन की प्रतिक्रिया: चीन आर्थिक या राजनीतिक माध्यम से भारत को चुनौती दे सकता है, जिससे क्षेत्रीय राजनीतिक एवं आर्थिक व्यवस्था में अनिश्चितताएँ पैदा हो सकती हैं।

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