भारत दुनिया के परमाणु-सशस्त्र देशों में छठे स्थान पर है, जिसके पास 172 परमाणु हथियार हैं।
संबंधित तथ्य
अमेरिका, रूस, फ्राँस, चीन, भारत एवं पाकिस्तान सहित नौ परमाणु-सशस्त्र देशों ने वर्ष 2023 में अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण जारी रखा।
रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के पास सामूहिक रूप से दुनिया के लगभग 90% परमाणु हथियार हैं।
SIPRI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
वैश्विक परमाणु हथियार सूची एवं तैनाती की स्थिति: वैश्विक सूची में लगभग 12,121 परमाणु हथियार शामिल हैं, जिनमें लगभग 9,585 सैन्य भंडार हैं।
इनमें से लगभग 3,904 मिसाइलों एवं विमानों पर तैनात हैं, जनवरी 2023 से इसकी संख्या में 60 की वृद्धि हुई है।
तैनात परमाणु हथियारों की परिचालन सतर्कता स्थिति: तैनात किए गए लगभग 2,100 हथियार उच्च परिचालन सतर्कता स्तर पर हैं, जो मुख्य रूप से रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के पास हैं, माना जाता है कि चीन पहली बार इस श्रेणी में शामिल हुआ है।
भारत की स्थिति
पाकिस्तान भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता का प्राथमिक फोकस बना हुआ है।
हालाँकि, चीन में स्थानों को लक्षित करने में सक्षम लंबी दूरी के हथियारों को प्राथमिकता देने की दिशा में बदलाव हो रहा है।
भारत के परमाणु शस्त्रागार में थोड़ा विस्तार देखा गया है, जो जनवरी 2023 में 164 वॉरहेड से बढ़कर जनवरी 2024 तक 172 वॉरहेड हो गया है, जिससे यह दुनिया के परमाणु-सशस्त्र देशों में छठे स्थान पर है।
इस वर्ष जनवरी (2024) में भारत के ‘संगृहीत’ परमाणु हथियार 172 थे, जबकि पाकिस्तान के लिए यह संख्या 170 थी।
पाकिस्तान: पाकिस्तान ने हथियारों की संख्या में कोई वृद्धि दर्ज नहीं की है, जो जनवरी 2023 एवं 2024 दोनों में 170 थी।
चीन: चीन किसी भी अन्य देश की तुलना में अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार तेजी से कर रहा है।
निरंतर वृद्धि की उम्मीद के साथ, इसका परमाणु शस्त्रागार जनवरी 2023 में 410 हथियारों से बढ़कर जनवरी 2024 तक 500 हो गया है।
यूनाइटेड किंगडम: वर्ष2021 में 225 से 260 वॉरहेड की सीमा बढ़ाने के सरकारी निर्णय के बाद UK ने अपने युद्ध सामग्री का भंडार का विस्तार करने की योजना बनाई है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने अपने परमाणु शस्त्रागार विवरण का सार्वजनिक खुलासा बंद कर दिया है, जिसमें हथियारों की मात्रा, तैनात हथियार और मिसाइलें शामिल हैं।
फ्राँस: वर्ष2023 में, नई परमाणु प्रणालियाँ विकसित की गईं, जिनमें तीसरी पीढ़ी की परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी एवं हवा से प्रक्षेपित क्रूज मिसाइल शामिल हैं।
उत्तर कोरिया: उत्तर कोरिया अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में अपने सैन्य परमाणु कार्यक्रम को प्राथमिकता देना जारी रखता है।
SIPRI का अनुमान है कि देश के पास अपने शस्त्रागार को संभावित रूप से 90 तक बढ़ाने के लिए लगभग 50 हथियार एवं पर्याप्त विखंडनीय सामग्री की आवश्यकता है।
इजरायल: यह आधिकारिक तौर पर अपने परमाणु हथियारों को स्वीकार नहीं कर रहा है। हालाँकि, कथित तौर पर इजरायल अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहा है तथा डिमोना (Dimona) में प्लूटोनियम उत्पादन क्षमताओं को बढ़ा रहा है।
यूक्रेन और गाजा में संघर्ष के बीच कमजोर होती परमाणु कूटनीति: SIPRI के अनुसार, वर्ष 2023 में परमाणु हथियार नियंत्रण एवं निरस्त्रीकरण कूटनीति को अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उदाहरण के रूप में
रूस
फरवरी 2023 में नई START संधि में भागीदारी निलंबित।
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty- CTBT) का अनुसमर्थन वापस ले लिया गया।
मई 2024 में यूक्रेन की सीमा के पास सामरिक परमाणु हथियार अभ्यास आयोजित किया गया।
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
वर्ष 2010 की नई START संधि में रूस की भागीदारी को निलंबित करने के जवाब में संधि डेटा साझा करना एवं प्रकाशित करना रोक दिया गया।
ईरान
यूक्रेन संघर्ष के दौरान रूस का समर्थन किया, जिससे अमेरिका के साथ तनाव बढ़ गया।
इजरायल एवं हमास संघर्ष
अक्टूबर में इजरायल-हमास संघर्ष की शुरुआत ने समझौते को बाधित कर दिया, क्योंकि इराक एवं सीरिया में अमेरिकी सेना पर ईरान समर्थित समूहों के छद्म हमलों ने ईरानी-अमेरिकी राजनयिक प्रयासों को रोक दिया था।
इस संघर्ष ने परमाणु हथियारों एवं सामूहिक विनाश के अन्य हथियारों से मुक्त मध्य पूर्व क्षेत्र की स्थापना पर सम्मेलन में इजरायल को शामिल करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न की।
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान
(Stockholm International Peace Research Institute- SIPRI)
परिचय: SIPRI एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संस्थान/थिंक टैंक है जो संघर्ष, आयुध, हथियार नियंत्रण एवं निरस्त्रीकरण में अनुसंधान के लिए समर्पित है।
स्थापना: वर्ष1966
स्थित: स्टॉकहोम, स्वीडन
अधिदेश: SIPRI नीतिनिर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया एवं इच्छुक जनता को खुले स्रोतों के आधार पर डेटा, विश्लेषण तथा सिफारिशें प्रदान करता है।
कानून: इसके कानून, SIPRI के कार्य के मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। इन्हें स्वीडिश सरकार द्वारा अपनाया गया था।
फंडिंग: SIPRI की स्थापना स्वीडिश संसद के एक निर्णय के आधार पर की गई थी एवं स्वीडिश सरकार से वार्षिक अनुदान के रूप में इसकी फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है।
संस्थान को अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए अन्य संगठनों से वित्तीय सहायता भी प्रदान करने की आवश्यकता है।
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