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भारत ने लगभग 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया

Lokesh Pal November 30, 2024 02:21 6 0

संदर्भ

भारत ने बंगाल की खाड़ी में परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी INS अरिघात से लगभग 3,500 किलोमीटर की रेंज वाली परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

परीक्षण की मुख्य विशेषताएँ

  • यह परीक्षण विशाखापत्तनम के तट पर किया गया, जो भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता और सामरिक क्षमताओं में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
  • परीक्षण की गई मिसाइल K-4 थी, जो भारत की परमाणु क्षमता को बढ़ाती है।

INS अरिघात के बारे में

  • INS अरिघात भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है, जो अपने पूर्ववर्ती INS अरिहंत के बाद स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है।
  • इसका निर्माण विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना के जहाज निर्माण केंद्र (SBC) में किया गया था।

INS अरिघात की विशेषताएँ

  • परमाणु रिएक्टर प्रौद्योगिकी: INS अरिघात और इसके पूर्ववर्ती INS अरिहंत दोनों ही दबावयुक्त हल्के जल परमाणु रिएक्टरों द्वारा संचालित हैं।
    • यह उन्हें पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में लंबे समय तक जल में रहने की अनुमति देता है, जिन्हें अपनी बैटरी को रिचार्ज करने के लिए अक्सर सतह पर आना पड़ता है।

K-4 मिसाइल

  • प्रकार: मध्यम दूरी की पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM)।
  • रेंज: लगभग 3500 किमी.।
  • उद्देश्य: परमाणु प्रतिरोध और द्वितीय हमला करने की क्षमता।
  • विकास: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित।
  • तैनाती: भारत की अरिहंत श्रेणी की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों पर तैनात।
  • महत्त्व: भारत की परमाणु क्षमता में वृद्धि करता है, इसकी सामरिक प्रतिरोध क्षमताओं को बढ़ाता है।

  • मिसाइल क्षमताएँ
    • चार K-4 पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM), जिनमें से प्रत्येक की रेंज 3,500 किलोमीटर से अधिक है।
    • वैकल्पिक रूप से, बारह K-15 SLBM, जो लगभग 750 किलोमीटर की रेंज के साथ पारंपरिक वारहेड ले जाने में सक्षम हैं।
  • गति और जलमग्नता: सतह पर, पनडुब्बी 12-15 नॉट (22-28 किमी./घंटा) की अधिकतम गति प्राप्त कर सकती है।
    • जब यह जलमग्न होती है, तो यह 24 नॉट (44 किमी./घंटा) की उच्च गति तक पहुँच सकती है, जिससे जल के भीतर इसकी गतिशीलता में और वृद्धि हो जाती है।

परीक्षण का महत्त्व

  • परमाणु प्रतिरोध को मजबूत करना: परमाणु हमले की स्थिति में दूसरा हमला करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है, जिससे इसकी सामरिक क्षमताएँ मजबूत होती हैं।
  • SLBM प्रौद्योगिकी में उन्नति: K-4 मिसाइल का सफल प्रक्षेपण पनडुब्बियों से परमाणु हथियार तैनात करने में सक्षम देशों में भारत का स्थान सुनिश्चित करता है।
  • स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा : परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों और लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों के स्वदेशी निर्माण में भारत की उन्नति को दर्शाता है।

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