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अनुसंधान हेतु निजी क्षेत्र को 1 लाख करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण 

Lokesh Pal February 05, 2024 05:21 170 0

संदर्भ

वर्ष 2024 -25 के केंद्रीय अंतरिम बजट में उभरते उद्योगों में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए निजी क्षेत्रों को 1 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

संबंधित तथ्य 

  • पचास वर्ष  के लिए एक करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान की जाएगी।
  • इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में तकनीकी अनुसंधान और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी।
  • बजट में घोषित कॉर्पस और राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (National Research Foundation-NRF) के बीच प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, किंतु यह स्पष्ट रूप से NRF के उद्देश्यों में सहायता करेगा।

राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (National Research Foundation-NRF)

यह उच्च शिक्षा में वैज्ञानिक अनुसंधान के वित्तपोषण और मार्गदर्शन के लिए एक महत्त्वपूर्ण सरकारी पहल है।

मुख्य उद्देश्य

  • दीर्घकालिक वित्तपोषण के माध्यम से अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  • कम दरों पर या ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाना।
  • केंद्र सरकार के विभागों, विज्ञान प्रयोगशालाओं, शैक्षणिक संस्थानों तथा औद्योगिक निकायों को आपस में जोड़कर वित्तीय समस्या का समाधान करना।

अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निजी क्षेत्र का योगदान

  • वर्ष 2021 में R&D संस्थानों की संचालन संस्था के अनुसार, भारत में लगभग 7,888 अनुसंधान एवं विकास संस्थान हैं। 
  • इन संस्थानों में से 66% निजी क्षेत्र के संस्थान हैं। हालाँकि निजी क्षेत्र पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है, फिर भी कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में इनके महत्त्वपूर्ण योगदान को देखा जा सकता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी: कुछ कंपनियाँ तकनीक संबंधी अनुसंधानों को विकसित कर रही हैं तथा कृत्रिम बुद्धिमता (AI), डेटा एनालिटिक्स आदि में निवेश कर रही हैं।
    • जैव प्रौद्योगिकी: वस्त्र, ऊर्जा, चिकित्सा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इसकी बढ़ती माँग के कारण जैव प्रौद्योगिकी का विकास बहुत तेजी से हो रहा है।
      • वर्ष 2023 में इस क्षेत्र का बाजार मूल्य लगभग 92 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • औषधि क्षेत्र (Pharmaceuticals): भारत में बड़े स्तर पर दवाइयों का निर्माण होता है, जिस कारण दवाई कंपनियाँ अनुसंधान और विकास में शामिल होती हैं। हालाँकि अभी भी भारत में औषधि क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास में बहुत कम निवेश किया गया है।

अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र में निजी क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त वित्तीय अनुदान: यह भारत में एक बड़ी समस्या है। भारत अनुसंधान एवं विकास (Research and Development) पर सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) का लगभग 0.7% खर्च करता है, जो अनुसंधान एवं विकास में वैश्विक कंपनियों के योगदान की तुलना में बहुत कम है।
  • बुनियादी संरचना का अभाव: वित्तीय अनुदान के अलावा आधारभूत संरचना भी भारत में एक बड़ी समस्या है। देश की कुछ ही प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों में गुणवत्तापूर्ण और आवश्यक उपकरण उपलब्ध हैं।
  • पलायन (Migration): कई प्रतिभाशाली व्यक्ति बेहतर विकल्प की तलाश में भारत से पलायन कर जाते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल हो जाते हैं, जिसके कारण अनुसंधान और विकास (R&D) क्षमता में गिरावट आती है।
    • एक देश से दूसरे देशों में प्रतिभाशाली व्यक्तियों के पलायन की घटना को ‘प्रतिभा पलायन’ (Brain Drain) के रूप में जाना जाता है।
  • उचित प्रशिक्षण और शिक्षा का अभाव: भारत में छात्रों को आवश्यक उपकरण और प्रशिक्षण नहीं मिलता है जिसके कारण वे उन्नत तकनीकों का उपयोग करने में असमर्थ होते हैं।

भारत में निजी क्षेत्र के अनुसंधान पर ब्याज मुक्त ऋण का प्रभाव

लाभ

    • वित्तीय राहत: विशेष रूप से दीर्घकालिक या जोखिम भरी परियोजनाओं में ब्याज मुक्त ऋण की उपलब्धता के कारण अनुसंधान और विकास (R&D) में अधिक निवेश प्राप्त होगा।
      • अनुसंधान एवं विकास में सकारात्मक सुधार से स्वास्थ्य, कृषि और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों से संबंधित नवाचार में प्रगति होगी।
  • स्टार्टअप्स (Startups) के लिए समर्थन
      • ऐसी नई कंपनियाँ, जो बड़े अनुसंधान की क्षमता रखती हैं तथा उन्हें सीमित अनुदान की आवश्यकता है, के लिए ब्याज-मुक्त ऋण बहुत लाभकारी हो सकता है।
      • अनुदान के माध्यम से अनुसंधान और विकास पर केंद्रित एक नए स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • अनुसंधान एवं विकास (R&D) केंद्र: अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यावसायिक क्षेत्र, आवंटित धन का उपयोग करके नवाचारों को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।
  • शिक्षा एवं कौशल विकास: इस वर्ष बजटीय पहल के संभावित लाभों के रूप में प्रौद्योगिकी और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना महत्त्वपूर्ण हो सकता है।

हानि

  • संसाधनों का अकुशल आवंटन: यह तय करना महत्त्वपूर्ण है कि किन परियोजनाओं में अनुदान दिया जाएगा। उच्च संभावना वाली नई कंपनियों के बजाय सीमित सफलता वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करना गलत निर्णय हो सकता है।
  • अनुसंधान प्राथमिकताएँ: यदि कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में ही अनुदान प्रदान किया जा रहा है तो संसाधनों के अभाव में अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • लाभ प्रेरित (Profit Driven): निजी क्षेत्र द्वारा अनुसंधान मुख्यतः लाभ के उद्देश्य से किया जाता है।

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