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विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत के ग्रीन बॉण्ड में निवेश

Lokesh Pal April 18, 2024 06:15 149 0

संदर्भ 

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा भारत के ‘सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड’ (SGrBs) में निवेश की अनुमति दी है।

भारत में सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड (Sovereign Green Bonds- SGrBs)

  • ये एक प्रकार का सरकारी ऋण है, जो विशेष रूप से भारत को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में बदलने का प्रयास करने वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करते हैं।
  • उच्च स्वीकार्यता: विश्व भर में केंद्रीय बैंक और सरकारें वित्तीय संस्थानों को हरित भविष्य की ओर तेजी से बदलाव के लिए ग्रीनियम (Greenium) या ग्रीन बॉण्ड को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
    • बैंक द्वारा उनमें निवेश के लिए निर्धारित की गई राशि को ग्रीनियम कहा जाता है, हालाँकि SGrBs पारंपरिक G-Secs की तुलना में कम ब्याज देते हैं।
  • पूर्व में भारत में ग्रीन बॉण्ड का प्रयोग: RBI ने पिछले वर्ष जनवरी और फरवरी में दो किश्तों में वर्ष 2028 और 2033 की मैच्योरिटी तिथि के साथ ₹16,000 करोड़ के SGrBs जारी किए थे।
    • दोनों मामलों में बॉण्ड को ओवरसब्सक्राइब किया गया था तथा इसमें मुख्य भागीदार घरेलू वित्तीय संस्थान और बैंक थे।
  • वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) के तहत वर्गीकरण: इसके अलावा, इन हरित सरकारी-प्रतिभूतियों (Government-Securities or G-Secs)  को SLR के तहत वर्गीकृत किया गया था।
    • वैधानिक तरलता अनुपात RBI द्वारा तय की गई एक तरलता दर है, वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को ऋण देने से पहले SLR की निर्धारित सीमा बनाए रखना अनिवार्य होता है।

महत्त्व 

  • पूँजी पूल का विस्तार: FIIs को भारत की हरित परियोजनाओं में निवेश करने की अनुमति देने से देश के महत्त्वाकांक्षी वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के लिए उपलब्ध पूँजी का कोष बढ़ जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत की 50% ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से प्राप्त हो साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में कार्बन की तीव्रता को 45% तक कम (वर्ष 2021 में ग्लासगो में आयोजित COP26 में भारतीय प्रधानमंत्री की प्रतिज्ञा के अनुरूप) किया जा सके। 
  • विविधीकरण और विनियामक समर्थन: जलवायु वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को हरित G-SEC में FIIs के निवेश की अनुमति देने से लाभ होगा, क्योंकि FIIs भी हरित निवेश के अपने पूल में विविधता लाने की विकल्प तलाश रहे हैं।
    • गौरतलब है कि FIIs द्वारा ग्रीन बॉण्ड में निवेश को कई देशों (विशेष रूप से विकसित देशों) में काफी विनियामक समर्थन दिया जा रहा है, जिससे भारत के हरित बॉण्ड आकर्षक निवेश अवसर बन गए हैं। 
      • उदाहरण: भारत ने वर्ष 2022 के अंत में सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड फ्रेमवर्क के साथ ग्रीनवाशिंग आशंकाओं को सफलतापूर्वक संबोधित किया है।

ग्रीन बॉण्ड के बारे में

  • जारीकर्ता: किसी भी संप्रभु इकाई, अंतर-सरकारी समूह या गठबंधन और कॉरपोरेट्स द्वारा जारी किया जाता है, जिसका उद्देश्य बॉण्ड की आय का उपयोग ‘पर्यावरणीय रूप से संधारणीय’ (Environmentally Sustainable) के रूप में वर्गीकृत परियोजनाओं के लिए किया जाए।
    • ग्रीन बॉण्ड विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, संधारणीय कृषि आदि सहित पर्यावरण के अनुकूल पहलों को वित्तपोषित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
  • महत्त्व: ग्रीन बॉण्ड और ग्रीन फाइनेंस में वृद्धि भी अप्रत्यक्ष रूप से उच्च कार्बन उत्सर्जन वाली परियोजनाओं को हतोत्साहित करने का काम करती है।
    • निवेशकों के लिए: ग्रीन बॉण्ड निवेशकों को बॉण्ड जारीकर्ताओं की व्यावसायिक रणनीति को प्रभावित करते हुए पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर प्रथाओं में संलग्न होने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
      • वे जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों को कम करने और ऐसे रिटर्न प्राप्त करने का एक माध्यम हैं, जो पारंपरिक निवेशों से यदि बेहतर नहीं तो समतुलनीय होते हैं।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के बारे में

  • FIIs वे संस्थागत निवेशक हैं, जो उन देशों के अलावा किसी अन्य देश की संपत्तियों में निवेश करते हैं जहाँ ये संगठन स्थित हैं।
  • विनियमन: भारत में FIIs भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित किए जाते हैं।
    • सेबी के पास 1450 से अधिक विदेशी संस्थागत निवेशक पंजीकृत हैं।
  • प्रभाव: इन बड़े प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभूतियों की खरीद के साथ, बाजार ऊपर की ओर बढ़ता है या इसके विपरीत भी जा सकता है।
    • वे अर्थव्यवस्था में आने वाले कुल प्रवाह पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
  • महत्त्व: किसी भी अर्थव्यवस्था में FIIs की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है, जो बाजार में व्यापक धन निवेश करते हैं।
    • FIIs को सभी वर्गों के निवेशकों से निवेश को प्रोत्साहित करके बाजार के प्रदर्शन के लिए एक ट्रिगर और उत्प्रेरक दोनों के रूप में माना जाता है, जो एक स्व-संगठित प्रणाली के तहत वित्तीय बाजार के रुझान में वृद्धि की ओर ले जाता है।

भारत में हरित वर्गीकरण फ्रेमवर्क:

  • बजट में SGrBs जारी करने की घोषणा: वित्तीय वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में, भारतीय वित्त मंत्री ने अपतटीय पवन, ग्रिड-स्केल सौर ऊर्जा उत्पादन या बैटरी संचालित इलेक्ट्रिक वाहन की ओर ट्रांजिशन को प्रोत्साहित करने जैसी सरकारी परियोजनाओं के वित्तपोषण में तेजी लाने के लिए SGrBs जारी करने के सरकार के निर्णय की घोषणा की। 
  • उद्देश्य: ग्रीनवॉशिंग को रोकना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना तथा  नॉर्वे स्थित सिसरो (Cicero) से मान्यता प्राप्त करना।
    • सिसरो द्वारा रेटिंग: सिसरो ने भारत के ढाँचे को “सुशासन” के स्कोर के साथ “हरित माध्यम” का दर्जा दिया।

आगे की राह 

विश्वसनीय ऑडिट ट्रेल्स और उच्च प्रभाव वाली नई हरित परियोजनाओं की पहचान करना महत्त्वपूर्ण होगा जिससे आय को बेहतर ढंग से तैनात किया जा सके, विशेष रूप से वे जिन्हें वितरित नवीकरणीय ऊर्जा और MSMEs के लिए स्वच्छ ऊर्जा ट्रांजिशन  वित्त जैसी सीमित निजी पूँजी प्राप्त हुई है।

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