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इटली द्वारा चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल से हटना (Italy Withdraws From China Belt and Road Initiative)

Samsul Ansari December 11, 2023 06:01 242 0

अंतरराष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

इटली औपचारिक रूप से चीन की वैश्विक ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल (BRI) से हट गया है।

संबंधित तथ्य

  • यूरोपीय संघ और नाटो के सदस्य इटली ने वर्ष 2019 में तत्कालीन प्रधान मंत्री ग्यूसेप कोंटे की सरकार के तहत BRI पर हस्ताक्षर किए।

इटली द्वारा ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में शामिल होने के कारण

  • इटली ने इस पर तब हस्ताक्षर किए जब ‘फाइव स्टार मूवमेंट पार्टी’ के नेतृत्व वाली सरकार ने इसे प्रमुख बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश प्राप्त करने के साथ-साथ चीन के साथ व्यापार बढ़ाने के एक तरीके के रूप में प्रचारित किया।

हटने के कारण

  • बढ़ता व्यापार घाटा और निवेश की कमी: मध्य वर्षों में, चीन के साथ इटली का व्यापार घाटा 20 बिलियन यूरो से बढ़कर 48 बिलियन यूरो (21.5 बिलियन डॉलर से 51.8 बिलियन डॉलर) हो गया है।
    • इतालवी बंदरगाहों में निवेश का वादा भी पूरा नहीं हुआ है।

‘बेल्ट एंड रोड’ पहल

  • उत्पत्ति: वर्ष 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कज़ाखस्तान और इंडोनेशिया की अपनी यात्राओं के दौरान, एशियाई कनेक्टिविटी में गतिरोध को समाप्त करनेके लिए ‘सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट’ (SERB) और 21 वीं सदी के समुद्री रेशम मार्ग (MSR) के निर्माण का दृष्टिकोण व्यक्त किया।
  • इसे चीनी भाषा में “वन बेल्ट, वन रोड” कहा जाता है, ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ चीनी विकास बैंक ऋणों द्वारा वित्त पोषित चीनी कंपनियों के लिए विदेशों में परिवहन, ऊर्जा और अन्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने के लिए एक कार्यक्रम के रूप में शुरू हुई।
  • लक्ष्य: इसे अन्य क्षेत्रों के साथ चीन की कनेक्टिविटी को बढ़ाकर व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था, जो चीन को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ने वाले आधुनिक रेशम मार्ग के समान था।
  • निवेश: 1 ट्रिलियन डॉलर अनुमानित
  • प्रमुख सिद्धांत
    • नीति समन्वय
    • बुनियादी ढाँचे की कनेक्टिविटी
    • व्यापार
    • वित्तीय एकीकरण
    • लोगों से लोगों के बीच संबंध
    • औद्योगिक सहयोग
  • भागीदारी: पहल की दसवीं वर्षगांठ पर, चीनी सरकार ने घोषणा की कि 150 से अधिक देशों और 30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने BRI को अपनाया है।
  • चीन ने वर्ष 2017, 2019 और 2023 में तीन BRI मंचों की मेजबानी की है।

BRI के अंतर्निहित उद्देश्य

  • अमेरिका के साथ चीन की प्रतिद्वंद्विता: चीनी अंतरराष्ट्रीय व्यापार का अधिकांश हिस्सा सिंगापुर के तट से मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से समुद्र के माध्यम से गुजरता है जो अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है।
    • यह पहल चीन के अपने अधिक सुरक्षित व्यापार मार्ग बनाने के प्रयासों का अभिन्न अंग है।
  • निवेश के अवसर: बेल्ट एंड रोड अवसंरचना चीन की सीमाओं से परे चीन की विशाल राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए एक वैकल्पिक बाज़ार प्रदान करती है।
  • चीन के मध्य प्रांतों के लिए समावेशी विकास को बढ़ावा देना: बेल्ट एंड रोड को देश के मध्य प्रांतों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करने के चीनी सरकार के प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण तत्व के रूप में देखा जाता है, जो ऐतिहासिक रूप से समृद्ध तटीय क्षेत्रों से निम्न अवस्था में हैं।

दक्षिण एशिया में BRI की प्रगति

  • पाकिस्तान: BRI के तहत वर्ष 2020 में स्वीकृत ‘ग्वादर डवलपमेंट मास्टर प्लान’ के अनुसार, यह 2050 तक शहर की जीडीपी को 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ा देगा और दस लाख से अधिक नौकरियाँ पैदा करेगा।
  • श्रीलंका: श्रीलंका में वर्ष 2013 में BRI के लॉन्च से पहले कई बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को चीन द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा था, उनमें से कई संभवतः इसके दायरे में आ गईं।
    • उदाहरण के लिए: चीन ने कोलंबो बंदरगाह पर कोलंबो इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल (CICT) विकसित किया, जहाँ एक चीनी सरकार के स्वामित्व वाली फर्म के पास 35-वर्षीय बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) समझौते के तहत 85 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
  • नेपाल: नेपाल, औपचारिक रूप से वर्ष 2017 में ;बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव; में शामिल हो गया, उसने ऐसी 35 बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की एक सूची सौंपी, जिसमें वह चाहता था कि चीन वित्त पोषण करे।
  • बांग्लादेश: बांग्लादेश, जो वर्ष 2016 में BRI में शामिल हुआ था, को चीन द्वारा पाकिस्तान के बाद दक्षिण एशिया में दूसरा सबसे बड़ा ‘बेल्ट और रोड’ निवेश (लगभग 40 बिलियन डॉलर) का वादा किया गया।

चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) से संबंधित चिंताएँ:

  • ऋण जाल कूटनीति: कई देशों ने BRI परियोजनाओं के लिए चीन से भारी उधार लिया है, और अब उन्हें इन ऋणों को चुकाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे “ऋण जाल कूटनीति” के आरोप लगने लगे हैं, जहाँ देश अपने ऋणों पर चूक करने पर रणनीतिक संपत्तियों पर नियंत्रण खोने का जोखिम उठाते हैं।
    • उदाहरण के लिए, बढ़ते कर्ज के कारण श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह का नियंत्रण चीन को सौंपना पड़ा।

भारत का पक्ष:

  • भारत चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का कड़ा विरोध करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है।
  • भारत की मुख्य चिंता यह है कि यह परियोजना उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की अवहेलना करती है।

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