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CERN द्वारा पॉजिट्रोनियम की लेजर कूलिंग

Lokesh Pal February 24, 2024 06:41 106 0

संदर्भ

हाल ही में प्रकाशित शोधपत्र ‘फिजिकल रिव्यू लेटर्स’ (Physical Review Letters) के अनुसार, एजिस (AEgIS) शोधकर्ताओं की टीम ने लेजर प्रणाली से प्राप्त पॉजिट्रोनियम परमाणुओं (Positronium Atoms) को ठंडा (Cooling) करने की प्रक्रिया खोजी है।

संबंधित तथ्य 

  • यह प्रयोग जिनेवा में यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (European Organization for Nuclear Research -CERN) की एंटीमैटर प्रयोगशाला में किया गया था।
  • संचालन: उन्नीस यूरोपीय और एक भारतीय अनुसंधान समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले भौतिकविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने गुरुत्वाकर्षण (Gravity), इंटरफेरोमेट्री (Interferometry), स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy) के सहयोग से पॉजिट्रोनियम को लेजर माध्यम से ठंडा करने में सक्षमता हासिल कर ली है।

पॉजिट्रोनियम: पॉजिट्रॉन की परिक्रमा करने वाला एक इलेक्ट्रॉन

  • पॉजिट्रोनियम एक मौलिक परमाणु है जिसमें एक इलेक्ट्रॉन (e^-) और एक पॉजिट्रॉन (e^+) होता है।
  • इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान की तुलना में दोगुना होता है और यह शुद्ध लेप्टोनिक परमाणु (Pure Leptonic Atom) की तरह व्यवहार करता है।
  • इसका जीवनकाल बहुत छोटा है, जो 142 नैनो-सेकेंड के अपने आधे जीवनकाल में ही नष्ट हो जाता है।
  • महत्त्व: इसके गुण हाइड्रोजन जैसे होते हैं तथा अपनी आधी आवृत्तियों के साथ भौतिकी क्षेत्र में मौलिक सिद्धांतों के परीक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

लेजर कूलिंग (Laser Cooling)

  • ‘लेजर कूलिंग’ परमाणु भौतिकी और क्वांटम ऑप्टिक्स में एक तकनीक है, जो परमाणु एवं आणविक कणों की गतिविधियों को धीमा कर सकती है।
  • लेजर कूलिंग गति में परिवर्तन पर निर्भर करती है जब कोई वस्तु, जैसे कि परमाणु, एक फोटॉन (प्रकाश का एक कण) को अवशोषित और पुन: उत्सर्जित करती है।

  • कार्य सिद्धांत: यह फोटॉनों के विलय और पुनः उत्सर्जन पर आधारित है।
    • जब एक परमाणु में फोटॉन का विलय हो जाता है तो उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है।
    • फोटॉन को पुनः ऊर्जा प्रदान करने के पश्चात् परमाणु अपने निचले ऊर्जा स्तर पर वापस पहुँच जाता है।
    • लेजर कूलिंग यह सुनिश्चित करता है कि परमाणु हमेशा अपनी प्रकृति के विपरीत फोटॉन को पुनः उत्सर्जित करता है।
    • इसका तात्पर्य है कि परमाणु फोटॉन को अधिक मात्रा में ऊर्जा देता है और कम मात्रा में प्राप्त करता है, परिणामस्वरूप इसकी गतिविधियाँ धीमी हो जाती हैं। इस कारण परमाणुओं को ऑप्टिकल ट्रैप (Optical Trap) में रखा जा सकता है।
    • आम तौर पर इसके लिए छोटे स्तर के लेजर का उपयोग किया जाता है, जो छोटी आवृत्ति का प्रकाश उत्सर्जित करता है।
    • हालाँकि, AEgIS टीम ने अपने प्रयोग में एक ब्रॉड-बैंड लेजर (~380 केल्विन /106.85 डिग्री सेल्सियस से ~170 केल्विन/-103.15 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच 70-नैनोसेकंड की क्षमता वाला अलेक्जेंड्राइट आधारित लेजर प्रणाली) का उपयोग किया, जिससे पॉजिट्रोनियम को ठंडा रखने में सहायता मिली।
    • यह प्रयोग किसी बाह्य विद्युत या चुंबकीय क्षेत्र के अभाव में किया गया था, जिसके कारण प्रयोगात्मक प्रक्रिया सरल हुई तथा पॉजिट्रोनियम का जीवनकाल बढ़ गया।

यूरोपीय परमाणु अनुसंधान परिषद (CERN)

  • इसकी स्थापना वर्ष 1954 में हुई थी तथा यह प्रयोगशाला जिनेवा में स्थित है।
  • सदस्य देश: इसमें 23 सदस्य देश हैं तथा भारत सहयोगी सदस्य है।
  • उद्देश्य: पदार्थ के मौलिक कणों का अध्ययन करना और ब्रह्मांड संबंधित मानव ज्ञान की सीमाओं में विस्तार करना।
  • CERN के अनुसंधान का मुख्य क्षेत्र ‘कण भौतिकी’ है।
  • उपकरण: इस प्रयोगशाला में कण त्वरक और डिटेक्टरों (Detectors) का उपयोग किया जाता है।

महत्त्व 

  • कण भौतिकी में विस्तृत अध्ययन: यह प्रकृति की समझ को बेहतर करने में सहायक है, जिसमें प्रकाश और आवेशित पदार्थ के माध्यम से पदार्थ तथा एंटी-मैटर (Anti-matter) को शामिल किया जाता है।
  • हाइड्रोजन का निर्माण (पॉजिट्रॉन जो एक एंटीप्रोटॉन की परिक्रमा करता है): यह एंटी-हाइड्रोजन के निर्माण और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण त्वरण को मापने के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग है।
  • नई संभावनाएँ: इससे गामा-किरण लेजर के निर्माण की संभावनाएँ हैं, जो अंततः शोधकर्ताओं को परमाणु नाभिक के अंदर की जानकारी एकत्र करने में सहायक होगा और इसमें भौतिकी से परे संभावित अनुप्रयोग हो सकते हैं।
  • भविष्य के प्रयोगों के लिए आधार: क्वांटम इलेक्ट्रोडायनामिक्स (QED) के लिए आवश्यक स्पेक्ट्रोस्कोपिक (Spectroscopic) क्रिया हेतु प्रकाश का अध्ययन तथा आवेशित पदार्थ के साथ इसकी प्रतिक्रिया आवश्यक है, जिससे पॉजिट्रोनियम की संभावित डीजेनरेटेड गैस प्राप्त की जा सकती है।
  • एंटीमैटर अनुसंधान के लिए नई संभावनाएँ: यह एंटीमैटर के गुणों तथा गुरुत्वाकर्षण का सटीक मापन कर सकता है, जिससे इस क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी।
  • बोस-आइंस्टीन संघनन (Bose–Einstein Condensate): इसके माध्यम से ‘पॉजिट्रोनियम बोस-आइंस्टीन संघनन’ का निर्माण किया जा सकता है, जिसमें सभी घटक समान क्वांटम अवस्था में होते हैं।
    • एंटीमैटर का बोस-आइंस्टीन संघनन: यह मौलिक और व्यावहारिक अनुसंधान के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
    • इस तरह की संघनन प्रक्रिया में पदार्थ एवं एंटीमैटर के माध्यम से गामा-किरण उत्पन्न करने का प्रस्ताव है।

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