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मानसिक स्वास्थ्य व्यक्तिगत, राष्ट्रीय विकास का प्रमुख चालक

Lokesh Pal July 24, 2024 12:59 409 0

संदर्भ

आर्थिक सर्वेक्षण, 2023-24 में मानसिक स्वास्थ्य को व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण बताया गया है, जो नीतिगत सिफारिशों में इसके पहले व्यापक समावेश को चिह्नित करता है।

मानसिक स्वास्थ्य क्या है?

  • मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण की एक स्थिति है, जो लोगों को जीवन के तनावों से निपटने, अपनी क्षमताओं का एहसास करने, अच्छी तरह से सीखने एवं कार्य करने तथा अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम बनाता है।

भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति के बारे में

  • परिचय: 13-17 वर्ष की आयु के बच्चों में मानसिक विकारों की व्यापकता लैंगिक परिप्रेक्ष्य (किशोर एवं किशोरियाँ) के लिए 7.3% थी। इसके अतिरिक्त, 26.8% लड़कियों का विवाह कानूनी उम्र से कम आयु में हो गई, एवं 15-19 वर्ष की 8% लड़कियाँ या तो माँ बन गई थीं या गर्भवती थीं। 
  • किशोरों से संबंधित लैंगिक मुद्दे: सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 15-24 वर्ष की आयु की 37% महिलाओं को अपने पतियों से शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का सामना करना पड़ा है, जिसमें स्कूली उम्र की कुछ लड़कियाँ भी शामिल हैं।
  • बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ: छात्र आत्महत्याएँ वर्ष 2011 में 7,696 से बढ़कर वर्ष 2021 में 13,089 हो गई हैं। 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों में, 1408 मामलों में बीमारी को आत्महत्या का कारण बताया गया, जिनमें से 58% मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों से संबंधित थे। इसके अतिरिक्त, 1,495 मामलों को ‘प्रेम संबंधों’ एवं 864 को ‘परीक्षा में विफलता’ के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे

  • कलंक/बदनामी: व्यापक कलंक के कारण मानसिक स्वास्थ्य रोगी अक्सर मदद लेने से बचते हैं, जिससे महत्त्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक अलगाव होता है।
  • उपचार बंद करना: परामर्श सहित विस्तारित उपचार, एक वर्ष से अधिक समय तक चल सकता है एवं अत्यधिक महंगा हो सकता है, जिससे मरीज देखभाल बंद कर सकते हैं।
  • अस्पताल में सीमित संख्या में बिस्तरों की उपलब्धता: भारत में प्रति 1,00,000 लोगों पर केवल 1.43 अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बिस्तर उपलब्ध हैं, जो कम आय वाले देशों में सात एवं उच्च आय वाले देशों में 50 के औसत से काफी कम है।
  • अपर्याप्त मनोवैज्ञानिक: वर्ष 2017 तक, भारत में प्रति 1,00,000 लोगों पर केवल 0.15 मनोवैज्ञानिक हैं, जबकि आवश्यकता प्रति 1,00,000 लोगों पर तीन मनोचिकित्सकों की है।
  • डॉक्टरों के लिए अपर्याप्त प्रशिक्षण: डॉक्टर प्रशिक्षण निदान एवं उपचार की आवश्यकता वाली मानसिक बीमारियों के व्यापक स्पेक्ट्रम को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करता है।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (Primary Health Care- PHC) में संसाधन अंतराल: प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (PHC) केंद्रों पर दवा की आपूर्ति अक्सर अनियमित एवं मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए अपर्याप्त होती है।

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष

  • आर्थिक प्रभाव: सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि समग्र आर्थिक स्तर पर, मानसिक स्वास्थ्य विकार अनुपस्थिति, उत्पादकता में कमी, दिव्यंगता एवं स्वास्थ्य देखभाल लागत में वृद्धि के कारण महत्त्वपूर्ण उत्पादकता हानि से जुड़े हैं।
  • गरीबी एवं मानसिक स्वास्थ्य जोखिम: तनावपूर्ण जीवन स्थितियों, वित्तीय अस्थिरता एवं ऊपर की ओर गतिशीलता के अवसरों की कमी के कारण गरीबी के मानसिक स्वास्थ्य के जोखिम को बढ़ाने के प्रमाण भी हैं, जो मनोवैज्ञानिक संकट को बढ़ाने में योगदान करते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य डेटा: सर्वेक्षण में कहा गया है कि, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Mental Health Survey- NMHS) वर्ष 2015-16 के अनुसार, भारत में 10.6% वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित हैं, जबकि विभिन्न विकारों के लिए मानसिक विकारों के उपचार का अंतर 70% से 92% के बीच है। 
  • शहरी बनाम ग्रामीण मानसिक स्वास्थ्य दरें: इसके अलावा, मानसिक रुग्णता का प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों (6.9%) एवं शहरी गैर-महानगरीय क्षेत्रों (4.3%) की तुलना में शहरी महानगरीय क्षेत्रों (13.5%) में अधिक था। 
  • किशोर मानसिक स्वास्थ्य रुझान: आर्थिक सर्वेक्षण में किशोरों में खराब मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती व्यापकता पर प्रकाश डाला गया है, जो कि COVID-19 महामारी से प्रभावित है, जिसमें 11% छात्रों ने चिंता महसूस की, 14% ने अत्यधिक भावनात्मकता महसूस की एवं 43% ने मनःस्थिति में बदलाव का अनुभव किया।
  • सिफारिशें: मानसिक स्वास्थ्य को समग्र कल्याण के मूलभूत पहलू के रूप में मान्यता देते हुए, सर्वेक्षण ने जमीनी स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में किए गए सुधारों में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों के उचित कार्यान्वयन की सिफारिश की है एवं उनकी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए मौजूदा कार्यक्रमों में अंतराल को संबोधित किया है। 
  • सरकारी मानसिक स्वास्थ्य पहल: इसमें सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहलों एवं नीतियों को सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Mental Health Programme), राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele Mental Health Programme), मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों को बढ़ाना तथा राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के किशोर-अनुकूल स्वास्थ्य क्लीनिक (Adolescent-Friendly Health Clinics- AFHCs) एवं सहकर्मी शिक्षा कार्यक्रम शामिल हैं।
    • अन्य पहलों में वर्ष 2021 में मनोचिकित्सकों की संख्या को 0.75 प्रति लाख जनसंख्या से बढ़ाकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रति लाख जनसंख्या पर तीन मनोचिकित्सकों के मानक तक बढ़ाने के केंद्र सरकार के प्रयास शामिल हैं।

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