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मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर ‘गैर-कानूनी संगठन’ घोषित (Muslim League Jammu and Kashmir declared ‘unlawful organization’)

Samsul Ansari December 30, 2023 10:48 274 0

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को ‘गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967’ के तहत ‘गैर-कानूनी संगठन’ घोषित किया है।

संबंधित तथ्य

वर्ष 2023 में गृह मंत्रालय द्वारा UAPA के तहत प्रतिबंधित संगठन

  • आतंकवादी संगठन: खालिस्तान टाइगर फोर्स और जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स (JKGF)
  • व्यक्ति ‘आतंकवादी’ के रूप में: हरविंदर सिंह संधू (रिंडा)
  • गैर-कानूनी संगठन: 7 “मैतेई चरमपंथी संगठन” और उनके सहयोगी।

  • मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) / MLJK-MA को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) 1967 की धारा 3(1) के प्रावधानों के तहत 5 वर्षों के लिए गैर-कानूनी घोषित किया गया है।
  • आरोप (Charges): जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में संगठन तथा उसके सदस्यों की संलिप्तता, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करना एवं लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाना।

गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 [Unlawful Activities (Prevention) Act 1967]

  •  वर्ष 1967 में पारित UAPA एक आतंकवाद विरोधी कानून है, जिसका उद्देश्य देश के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को रोककर राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करना है।

गैर-कानूनी गतिविधियों से आशय उन गतिविधियों से है, जो किसी व्यक्ति/संगठन द्वारा देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को भंग करने वाले क्रियाकलापों को बढ़ावा देती हैं।

  • उद्देश्य: यह व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैरकानूनी गतिविधियों की अधिक प्रभावी रोकथाम तथा आतंकवादी गतिविधियों और अन्य जुड़े मामलों से निपटने का प्रावधान करता है।
  • इस अधिनियम अंतर्गत केंद्र सरकार किसी संगठन को आतंकवादी संगठन निर्दिष्ट कर सकती है, अगर वह:
    • आतंकवादी कार्रवाई करता है या उसमें भाग लेता है,
    • आतंकवादी घटना को अंजाम देने की तैयारी करता है,
    • आतंकवाद को बढ़ावा देता है, या
    • आतंकवादी गतिविधि में शामिल है।
    • यह अधिनियम सरकार को यह अधिकार देता है कि वह समान आधार पर व्यक्तियों को भी आतंकवादी निर्दिष्ट कर सकती है।
  • सजा (Punishments): उच्चतम सजा मृत्युदंड और आजीवन कारावास है।
  • कवरेज (Coverage): अपराध और अपराधी दोनों भारतीय एवं विदेशी नागरिक हो सकते हैं। देश के बाहर या विदेशी भूमि पर किए गए अपराध पर भी UAPA प्रावधान लागू हो सकते हैं।
  • जाँच (Investigation): उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त या उससे ऊपर की रैंक के अधिकारियों द्वारा की जाएगी। 
    • NIA के इंस्पेक्टर या उससे ऊपर की रैंक के अधिकारियों को UAPA के तहत मामलों की जाँच करने का अधिकार है [राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency- NIA) भारत में केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है]
  • संपत्ति की जब्ती (Seizure of Property): आतंकवाद से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करने के लिए जाँच अधिकारी को पुलिस महानिदेशक/NIA की पूर्व मंजूरी लेनी होगी।
  • इस अधिनियम में वर्ष 2004, 2008,  2012 और 2019 में संशोधन किए जा चुके हैं।
  • यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद-19 द्वारा प्राप्त वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शस्त्रों के बिना एकत्र होने के अधिकार और संघ बनाने के अधिकार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध आरोपित करता है।

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