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39 श्रेणियों के उद्योगों के लिए दोहरी पारिस्थितिकी मंजूरी नहीं

Lokesh Pal November 19, 2024 04:16 75 0

संदर्भ 

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 39 श्रेणी के उद्योगों को अपने उद्योग चलाने की अनुमति के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State pollution control Boards) से संपर्क करने की अनिवार्य आवश्यकता से छूट दे दी है।

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वर्ष 2016 में किए गए वर्गीकरण के अनुसार, ये सभी क्षेत्र उद्योगों की ‘श्वेत श्रेणी’ में हैं, जिसका अर्थ है कि ये प्रकृति में सबसे कम प्रदूषण करते हैं।
  • प्रभावित उद्योग निम्नलिखित हैं:
    • सौर सेल और मॉड्यूल निर्माण
    • पवन और जल विद्युत इकाइयाँ
    • फ्लाई ऐश ईंट/ब्लॉक निर्माण
    • चमड़े की कटाई और सिलाई
    • एयर कूलर/कंडीशनर की असेंबली और मरम्मत सेवाएँ।

उद्योग श्रेणियाँ वर्गीकरण

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) द्वारा वर्गीकरण
    • लाल श्रेणी: विषैले अपशिष्टों के कारण सबसे अधिक जाँच।
    • नारंगी श्रेणी: मध्यम प्रदूषण क्षमता।
    • हरी श्रेणी: कम प्रदूषण क्षमता।
    • सफेद श्रेणी: सबसे कम प्रदूषणकारी; न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव।
  • छूट का औचित्य
    • उद्योगों के लिए ‘अनुपालन बोझ’ को कम करता है।
    • दोहरे अनुपालन (पर्यावरण मंजूरी (EC) और स्थापना के लिए सहमति (CTE)) की आवश्यकता को समाप्त करता है।
    • श्वेत श्रेणी के उद्योगों को अब CTE या संचालन के लिए सहमति (CTO) की आवश्यकता नहीं है।

नए उद्योगों की स्थापना के लिए पर्यावरण मंजूरी (EC) और स्थापना सहमति (CTE) का दोहरा अनुपालन

  • ‘स्थापना की सहमति’ (Consent To Establish- CTE) और ‘संचालन की सहमति’ (Consent To Operate- CTO) के नाम से जानी जाने वाली अनुमतियाँ उन उद्योगों को विनियमित करने के लिए दी जाती हैं, जो पर्यावरण में अपशिष्ट छोड़ते हैं या प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।

दोहरी पारिस्थितिकी मंजूरी/अनुमोदन क्या है?

  • दोहरी पारिस्थितिकी मंजूरी या दोहरा अनुपालन, भारत में कुछ उद्योगों के लिए परिचालन शुरू करने से पहले पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance- EC) तथा स्थापना की सहमति (Consent to Establish- CTE) दोनों प्राप्त करने की आवश्यकता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि उद्योग पर्यावरण नियमों का अनुपालन करते हैं।

  • CTE: राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्वीकृत, प्रदूषण मानदंडों के अनुपालन के लिए मानक या विशिष्ट शर्तों का पालन करना है।
  • जल अधिनियम, 1974 तथा वायु अधिनियम, 1981 के अनुसार, निर्माण गतिविधियों के आरंभ से पहले CTE या NOC की आवश्यकता होती है तथा व्यक्तिगत प्रतिष्ठानों जैसी इकाइयों का संचालन आरंभ करने से पहले संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से CTO की आवश्यकता होती है।
  • अब, गैर-प्रदूषणकारी श्वेत श्रेणी के उद्योगों को CTE या संचालन की सहमति (Consent to Operate- CTO) लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
    • जिन उद्योगों ने EC ले लिया है, उन्हें CTE लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

छूट के निहितार्थ

  • व्यापार करने में आसानी
    • नौकरशाही संबंधी बाधाओं और अनुमोदनों के दोहराव को कम करता है।
    • व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के सरकार के उद्देश्य का समर्थन करता है।
  • उद्योग प्रतिक्रिया
    • प्रक्रियाओं को सरल बनाने की उद्योग जगत की लंबे समय से चली आ रही माँग को संबोधित करता है।
  • पर्यावरण निरीक्षण
    • इस औपचारिक अधिसूचना से पहले ही श्वेत श्रेणी के उद्योगों को आसान अनुमति मिल गई थी।

प्रदूषण सूचकांक के आधार पर औद्योगिक क्षेत्रों का वर्गीकरण

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) औद्योगिक क्षेत्रों को उनके प्रदूषण सूचकांक (PI) के आधार पर वर्गीकृत करता है।
    • यह सूचकांक उत्सर्जन, बहिःस्राव, खतरनाक अपशिष्ट तथा संसाधन उपयोग से उत्पन्न प्रदूषण के स्तर को मापता है।
  • प्रदूषण सूचकांक (Pollution Index- PI): 0 से 100 तक, उच्चतर मान अधिक प्रदूषण का संकेत देते हैं।
    • प्रदूषण सूचकांक स्कोर तथा श्रेणियाँ
      • लाल: PI 60+ (उच्च प्रदूषण)
      • नारंगी: PI 41-59 (मध्यम प्रदूषण)
      • हरा: PI 21-40 (कम प्रदूषण)
      • श्वेत: PI 20 या उससे कम (न्यूनतम प्रदूषण)

श्वेत श्रेणी क्षेत्रों के बारे में

  • श्वेत श्रेणी के उद्योग, उद्योगों की वह श्रेणी है, जो प्रदूषण रहित उद्योग हैं।
  • इन उद्योगों का प्रदूषण सूचकांक (PI) स्कोर आमतौर पर 20 या उससे कम होता है, जो प्रदूषण की कम डिग्री को दर्शाता है।
    • छूट 
      • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
      • वायु अधिनियम, 1981 के तहत अनुमति से छूट।
      • जल अधिनियम, 1974 के तहत अनुमति से छूट।
    • उदाहरण
      • पवन ऊर्जा परियोजनाएँ
      • सौर ऊर्जा परियोजनाएँ
      • एयर कूलर की असेंबली
      • साइकिल असेंबली
  • श्वेत श्रेणी उद्योगों का पर्यावरणीय प्रभाव
    • कम प्रदूषण स्तर: श्वेत श्रेणी के उद्योग न्यूनतम उत्सर्जन, अपशिष्ट और खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं।
      • उच्च प्रदूषण श्रेणियों वाले उद्योगों की तुलना में उनके संचालन का वायु, जल और मिट्टी की गुणवत्ता पर कम प्रभाव पड़ता है।
    • संसाधन उपभोग: ये उद्योग संसाधनों का उपयोग करने में अधिक कुशल हैं।
      • यह दक्षता उनके समग्र पर्यावरणीय प्रभाव को तथा कम करने में सहायक होती है।
    • छूट की पर्याप्तता: यद्यपि उनका प्रदूषण स्तर कम है, फिर भी उनके परमिट छूट के औचित्य की नियमित समीक्षा की आवश्यकता है।
      • यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन उद्योगों का पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता रहे तथा ये दीर्घकालिक पर्यावरणीय क्षति में योगदान न दें, सतत् निगरानी आवश्यक है।

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