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पुनौरा धाम: सीता की जन्मस्थली (Punaura Dham: Birthplace of Sita)

Samsul Ansari December 22, 2023 12:15 227 0

संदर्भ

हाल ही में बिहार सरकार द्वारा सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में देवी सीता जन्मस्थली के लिए 72 करोड़ रुपये की विकास योजना शुरू की गई।

संबंधित तथ्य

रामायण में वर्तमान बिहार का उल्लेख

  • इसका महत्त्वपूर्ण स्रोत तुलसीदास के रामचरितमानस सहित रामायण के कई उत्तरवर्ती संस्करण हैं। 
  • वाल्मीकि रामायण में माता सीता के लिए चार शब्दों का प्रयोग किया गया है- वैदेही, जानकी, सीता और मिथिलापुरी। 
    • मिथिलापुरी, मिथिला को संदर्भित करता है। 
    • जबकि वैदेही और जानकी उनके पिता, राजा जनक, जिन्हें विदेह भी कहा जाता है, को संदर्भित करता है। 
  • ऐसा माना जाता है कि महर्षि विश्वामित्र के साथ यात्रा करते समय भगवान राम और लक्ष्मण ने बिहार के कई स्थलों का दौरा किया था। 
    • वाल्मीकि रामायण के अनुसार, अयोध्या छोड़ने के बाद, चित्रकूट उनका पहला पड़ाव था। 
      • उनका दूसरा पड़ाव वर्तमान सारण जिले में गंगा और सरयू के संगम के पास था। वे जिस तीसरे स्थान पर गए वह वर्तमान बक्सर में गंगा के पास सिद्धाश्रम था।
  • वैशाली के राजा सुमति ने भगवान राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र का स्वागत (गंगा नदी पार करने के बाद) किया। बाद में तीनों अहिल्या के आश्रम की ओर चल दिए, जिसे अब मिथिलापुरी (वर्तमान दरभंगा) में अहिरौरी के नाम से जाना जाता है।
  • मिथिला को भगवान राम और सीता के विवाह के दौरान भी दर्शाया गया है, जहाँ वो शिव के धनुष को तोड़ते हैं।

मिथिला का भौगोलिक विस्तार

  • विष्णु पुराण में मिथिला को गंगा के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में स्थित स्थान बताया गया है। 
  • आईन-ए-अकबरी में अबुल फजल ने मिथिला को एक परगना (प्रशासनिक प्रभाग) के रूप में उल्लेख किया है और इसके स्थान एवं प्रसार को चिह्नित किया है, जिसमें वर्तमान दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा और बिहार और नेपाल के कुछ निकटवर्ती क्षेत्र शामिल थे।
  • मिथिला को ‘महला’ भी कहा जाता है और इसका उल्लेख बिहार, बंगाल और उड़ीसा के तत्कालीन संयुक्त प्रांत के राजस्व रिकॉर्ड में मिलता है।

रामायण सर्किट

  • यह स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकास के लिए पहचान किए गए 15 विषयगत सर्किटों में से एक है।
  • रामायण सर्किट थीम के अंतर्गत गंतव्य: उत्तर प्रदेश (अयोध्या, नंदीग्राम, श्रृंगवेरपुर और चित्रकूट), बिहार (सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा), मध्य प्रदेश (चित्रकूट), ओडिशा (महेंद्रगिरि), छत्तीसगढ़ (जगदलपुर), महाराष्ट्र (नासिक और नागपुर), तेलंगाना (भद्राचलम), कर्नाटक (हम्पी), तमिलनाडु (रामेश्वरम्)।

स्वदेश दर्शन योजना

  • लॉन्च: वर्ष 2014-15।
  • नोडल मंत्रालय: पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय।
  • यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है, जिसके तहत केंद्र सरकार देश में थीम आधारित पर्यटक सर्किट के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासनों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

सीतामढ़ी में माता सीता की जन्मस्थली

  • अभी तक यह माना जाता था कि सीतामढ़ी में जानकी स्थान, जिसमें एक तालाब और अन्य धार्मिक संरचनाएँ शामिल हैं, सीता का जन्मस्थान था। 
    • लेकिन करीब 10 वर्षों तक हुए शोध से पता चला कि जानकी मंदिर का निर्माण लगभग 200 साल पहले एक ऋषि ने किया था।
  • वाल्मीकि रामायण और कुछ यात्रियों के वृत्तांतों के आधार पर बिहार सरकार ने पुनौरा धाम को सीता जन्मस्थली माना है, जिसमें सीताकुंड, सीता वाटिका और लव कुश वाटिका के साथ 100 साल पुराना मंदिर भी स्थित है।
  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा रामायण सर्किट के तहत माता सीता की जन्मस्थली के रूप में पुनौरा धाम को मान्यता दी गई। 
  • सांख्यिकीविद् और इतिहासकार सर विलियम विल्सन हंटर (1877), के ‘ए स्टैटिस्टिकल अकाउंट ऑफ बंगाल’ के खंड-13 के अनुसार, सीतामढ़ी से तीन मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित पनौरा (पुनौरा) भी सीता की जन्मस्थली होने का दावा करता है।

नेपाल में स्थित जनकपुरी का इतिहास

  • जनकपुरी, मिथिलापुरी का आधुनिक नाम है, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। केंद्र सरकार ने नेपाल सरकार के साथ मिलकर जनकपुरी को रामायण सर्किट का हिस्सा बनाया है।
  • वर्ष 1816 की भारत-नेपाल संधि के बाद जनकपुर नेपाल का हिस्सा बन गया। नेपाल के प्रमुख इतिहासकार फैन्सिस बुकानन हैमिल्टन ने भी ‘जनकपुरी’ के बारे में कुछ नहीं लिखा है। 

वर्तमान सीतामढ़ी के कुछ ऐतिहासिक संदर्भ

  • प्रमुख पुरातत्वविद् अलेक्जेंडर कनिंघम के विवरण के अनुसार, सीतामढ़ी दरभंगा के उत्तर-पश्चिम में 40 मील से थोड़ा अधिक और नेपाल सीमा के निकटतम बिंदु से 14 मील की दूरी पर स्थित है। यह पूर्व में सोरुन नाला की एक शाखा से घिरा है। गाँव के हिस्से कई छोटी-छोटी नदियों से जलमग्न हो जाते हैं। सीतामढ़ी के पुरावशेषों के बारे में बहुत कम कहा जा सकता है और माता सीता को समर्पित कुछ मंदिरों को छोड़कर, इस स्थान का पुरातात्विक महत्त्व कम है।

पुनौरा के संबंध में बिहार सरकार की योजनाएँ

  • पुनौरा विकास योजना में मंदिर का जीर्णोद्धार, इसके चारों ओर छतयुक्त प्रदक्षिणा पथ (परिक्रमा पथ) तैयार करना और लव कुश वाटिका, सीता वाटिका एवं सीता कुंड का विकास करना शामिल है। 
  • एक ध्यान मंडप का भी निर्माण होगा और सीता की जीवन यात्रा दिखाने के लिए एक 3D फिल्म भी दिखाई जाएगी।
  • इसके अलावा, महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा 100 करोड़ रुपये के बजट से सीताकुंड के अंदर सीता मंदिर का निर्माण करेगा।

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