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पेसा (PESA) अधिनियम के सशक्तीकरण पर क्षेत्रीय सम्मेलन

Lokesh Pal March 04, 2024 06:32 101 0

संदर्भ

पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 4-5 मार्च, 2024 के दौरान रांची, झारखंड में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा अधिनियम) के सशक्तीकरण पर आयोजित क्षेत्रीय सम्‍मेलन का उद्घाटन किया जा रहा है।

संबंधित तथ्य

  • पंचायती राज मंत्रालय द्वारा झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग के सहयोग से इस दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्‍मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
  • कार्यक्रम का उद्देश्य
    • पेसा (PESA) अधिनियम, 1996 का लाभ इसकी सत्‍यनिष्‍ठ भावना के अनुरूप अपने लक्षित लाभार्थियों तक पहुँचाना।
    • पेसा अधिनियम, 1996 के प्रभावी रूप से कार्यान्वयन को प्रशस्‍त करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों का प्रतिनिधित्व करना।
    • पंचायती राज मंत्रालय के राज्‍य विभाग, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना के राजस्व और उत्पाद शुल्क राज्य विभागों की भागीदारी के साथ राज्यों की प्रगति का मूल्यांकन करना और इसे बढ़ावा देना।
    • अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों के सतत् विकास के लिए पेसा अधिनियम के कार्यान्वयन में प्रतिभागी राज्यों के बीच सहयोग और चर्चा को बढ़ावा देना।

 पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा अधिनियम 1996)

  • परिचय
    • पेसा अधिनियम 1996 में “पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए” अधिनियमित किया गया था।
      • संविधान के अनुच्छेद-243-243ZT में नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान हैं।
  • प्रावधान
    • इस अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र वे हैं, जिन्हें अनुच्छेद-244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे।
    • पाँचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधानों की शृंखला प्रदान करती है।
    • दस राज्यों- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है, जो इन राज्यों में से प्रत्येक में कई जिलों (आंशिक या पूरी तरह से) को कवर करते हैं।
  • उद्देश्य
    • अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना।
    • यह कानूनी रूप से आदिवासी समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार को स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है। यह प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।
    • ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है।

अधिनियम में ग्राम सभा का महत्त्व

  • लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण: पेसा ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है। इस प्रबंधन में निम्नलिखित शामिल है:
    • जल, जंगल, ज़मीन पर संसाधन।
    • लघु वनोत्पाद।
    • मानव संसाधन: प्रक्रियाएँ और कार्मिक जो नीतियों को लागू करते हैं।
    • स्थानीय बाजारों का प्रबंधन।
    • भूमि अलगाव को रोकना।
    • नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना।

पंचायतों की विकास यात्रा

  • बलवंत राय मेहता समिति (1957)
    • पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश सबसे पहले वर्ष 1957 में बलवंत राय मेहता समिति ने की थी।
    • इसमें ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के रूप में पंचायती राज संस्थानों की त्रिस्तरीय प्रणाली पर बल दिया था।
  • अशोक मेहता समिति (1977)
    • मध्यस्थ स्तर को समाप्त करते हुए इसमें पंचायती राज की दो-स्तरीय प्रणाली की सिफारिश की गई थी।
    • इसमें स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के क्रम में शक्तियों एवं कार्यों के विकेंद्रीकरण पर बल दिया गया था।
  • संवैधानिक संशोधन
    • 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
    • इसके द्वारा गाँव, मध्यवर्ती (ब्लॉक) और जिला स्तरों पर पंचायती राज की त्रिस्तरीय प्रणाली को स्थापित किया गया।
    • 73वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थानों में अनुसूचित जाति (SCs), अनुसूचित जनजाति (STs) और महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान किया गया था।
    • इसके द्वारा नियमित निर्वाचन हेतु राज्य चुनाव आयोगों का गठन किया गया था।
    • इसने पंचायतों और नगर पालिकाओं को शक्तियों तथा जिम्मेदारियों का हस्तांतरण किया।

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