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‘रिपोर्ट ऑफ द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ 2024

Lokesh Pal November 04, 2024 03:26 42 0

संदर्भ

‘द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ के 8वें संस्करण की वर्ष 2024 रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2021 में भारत में 16 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं।

संबंधित तथ्य 

  • उपभोग तथा उत्पादन आधारित लेखांकन दोनों के आधार पर भारत वर्ष 2022 में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा PM2.5 उत्सर्जक था।
    • भारत ने विश्व के उपभोग आधारित PM2.5 उत्सर्जन में 15.8 प्रतिशत का योगदान दिया।
    • रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया कि भारत ने विश्व के उत्पादन आधारित PM2.5 उत्सर्जन में 16.9 प्रतिशत का योगदान दिया।

खराब वायु गुणवत्ता में योगदान देने वाले प्रदूषक

  • PM 2.5: PM 2.5 पार्टिकुलेट मैटर को संदर्भित करता है, जो 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है और सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर सकता है और यहाँ तक ​​कि रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकता है, जिससे महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
    • PM2.5 के स्रोत
      • दहन प्रक्रियाएँ: वाहनों, विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक कारखानों तथा आवासीय तापन से उत्सर्जन।
      • प्राकृतिक स्रोत: वनाग्नि, ज्वालामुखी विस्फोट, तथा धूल भरी आँधी।
      • द्वितीयक कण: यह वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOₓ) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) जैसी गैसों से संबंधित रासायनिक अभिक्रियाओं से बनता है।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO₂): वाहनों, औद्योगिक प्रक्रियाओं तथा  जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्सर्जित होते हैं।
  • सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂): स्रोतों में जीवाश्म ईंधन, विशेष रूप से कोयला तथा तेल का जलना और ज्वालामुखी विस्फोट शामिल है।
  • कार्बन मोनोआक्साइड (CO):  यह एक रंगहीन, गंधहीन गैस है, जो मुख्य रूप से वाहनों तथा औद्योगिक प्रक्रियाओं से जीवाश्म ईंधन के अधूरे दहन से निकलने वाली उच्च सांद्रता में जहरीली होती है।
  • ओजोन (O₃): तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से बनी एक गैस, जो सामान्यतः पृथ्वी के समताप मंडल और भूतल पर पाई जाती है।
    • सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में NOₓ और VOCs के बीच रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा निर्मित होती है।
  • वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC): कार्बनिक रसायन, जो सामान्य तापमान पर उच्च वाष्प दाब वाले होते हैं, जिससे महत्त्वपूर्ण वाष्प उत्सर्जन होता है।
    • वाहनों, औद्योगिक प्रक्रियाओ तथा पेंट और सॉल्वैंट्स जैसे उत्पादों से उत्सर्जन।

‘रिपोर्ट ऑफ द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ के बारे में

  • वार्षिक प्रकाशन: यह एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन है, जो जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभावों पर नजर रखता है तथा पेरिस समझौते के तहत सरकारों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं की पूर्ति का आकलन करता है।
    • इस रिपोर्ट को वर्ष 2015 लैंसेट आयोग के बाद प्रकाशित किया गया था।
  • सहयोगात्मक प्रयास: रिपोर्ट ‘वेलकम’ (Wellcome) द्वारा वित्त पोषित है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) तथा विभिन्न अन्य संस्थानों के सहयोग से विकसित की गई है।
  • संकेतक और डोमेन: रिपोर्ट पाँच डोमेन में 53 संकेतकों को ट्रैक करती है:
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जोखिम और संवेदनशीलता
    • स्वास्थ्य के लिए अनुकूलन, योजना और लचीलापन
    • शमन कार्रवाई और स्वास्थ्य सह-लाभ
    • अर्थशास्त्र एवं वित्त
    • सार्वजनिक और राजनीतिक सहभागिता।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • भारत में वायु प्रदूषण से संबंधित मृत्यु दर: वर्ष 2021 में, वायु प्रदूषण के कारण भारत में 1.6 मिलियन मौतें हुईं।
    • कोयला तथा तरल गैस जैसे जीवाश्म ईंधन इन मौतों में 38% का योगदान देते हैं।
  • हीट स्ट्रेस तथा अत्यधिक तापमान का जोखिम
    • वर्ष 2023 में, भारतीयों को पैदल चलने जैसी हल्की बाहरी गतिविधियों के दौरान 2,400 घंटे या 100 दिनों तक मध्यम से उच्च गर्मी के तनाव का सामना करना पड़ा।
    • वर्ष 2014-2023 तक, शिशुओं और 65 से अधिक उम्र के लोगों ने प्रति वर्ष क्रमशः 7.7 और 8.4 हीटवेव वाले दिनों का अनुभव किया, जो वर्ष 1990-1999 से 47% और 58% की वृद्धि दर्शाता है।
  • श्रम और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
    • वर्ष 2023 में, गर्मी के संपर्क में आने से 181 बिलियन संभावित श्रम घंटों का नुकसान हुआ, जिससे श्रम क्षमता में लगभग 141 बिलियन डॉलर की आर्थिक हानि हुई।
  • वैश्विक गर्मी के खतरे और जलवायु प्रेरित स्वास्थ्य जोखिम
    • जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में लोगों को वर्ष 2023 में अपेक्षित तापमान से 50 दिन अधिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक तापमान का सामना करना पड़ा।
    • अत्यधिक सूखे से वैश्विक भूमि क्षेत्र का 48% प्रभावित हुआ, जो दूसरा उच्चतम स्तर दर्ज किया गया, जिससे लाखों लोगों के लिए खाद्य असुरक्षा बिगड़ गई।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण रोग संचरण में वृद्धि
    • एडीज एल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) और एडीज एजिप्टी मच्छरों (Aedes aegypti mosquitoes) द्वारा फैलने वाले डेंगू की संचरण क्षमता वर्ष 1951-1960 से वर्ष 2014-2023 तक 85% बढ़ गई।
    • विब्रियो रोगजनकों (हैजा से जुड़े) के लिए उपयुक्त तटीय क्षेत्रों मे वर्ष 1990-1999 की तुलना में 23% की वृद्धि हुई, जिससे तटीय जल के पास 210 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए।
  • वर्ष 2023 में रिकॉर्ड तोड़ने वाली वैश्विक गर्मी
    • वर्ष 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष था, जिसमें गंभीर सूखा, लू, जंगल की आग, तूफान तथा बाढ़ ने वैश्विक स्वास्थ्य और आजीविका को प्रभावित किया।
    • 1990 के दशक में गर्मी से संबंधित मौतें, विशेषकर 65 वर्ष से अधिक आयु वालों की मृत्यु में 167% की वृद्धि हुई।
  • जीवाश्म ईंधन प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव 
    • जीवाश्म ईंधन तथा बायोमास के निरंतर उपयोग से हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जिससे श्वसन तथा हृदय संबंधी बीमारियों, गर्भावस्था के प्रतिकूल परिणामों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा की प्रगति एवं आवश्यकता
    • भारत में नवीकरणीय ऊर्जा ने वर्ष 2022 में 11% बिजली की आपूर्ति की, जो एक रिकॉर्ड उच्च है।
    • इसके बावजूद, भारत की 71% बिजली अभी भी कोयले से आती है, जो स्वच्छ ऊर्जा में त्वरित परिवर्तन की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।

भारत में वायु प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए कदम

  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme- NCAP): केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) पूरे भारत में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को क्रियान्वित करता है।
    • NCAP के तहत, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए 131 गैर-प्राप्ति/मिलियन से अधिक शहरों के लिए शहर-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजनाएँ तैयार की गई हैं।
    • शहर कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन को विभिन्न केंद्र सरकार की योजनाओं से संसाधनों के अभिसरण के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है, जिसमें शामिल हैं:-
      • स्वच्छ भारत मिशन (शहरी), कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत), स्मार्ट सिटी मिशन, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना और विनिर्माण (फेम-II) आदि। 
  • BS VI उत्सर्जन मानदंड: भारत स्टेज VI (BS-VI) मानदंड भारत सरकार द्वारा आंतरिक दहन इंजन वाहनों से वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन को विनियमित करने के लिए निर्धारित उत्सर्जन मानक हैं।
    • इन मानदंडों का उद्देश्य वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
    • BS-VI मानदंड डीजल और पेट्रोल वाहनों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) उत्सर्जन की अनुमेय सीमा को काफी कम कर देते हैं।
  • वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (System of Air Quality and Weather Forecasting And Research- SAFAR): सफर (SAFAR) केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा शुरू की गई एक राष्ट्रीय पहल है, जो किसी महानगरीय शहर की वायु गुणवत्ता को मापने के लिए शहर के समग्र प्रदूषण स्तर और स्थान-विशिष्ट वायु गुणवत्ता को मापती है।
  • अन्य
    • राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता और अपशिष्ट निर्वहन मानकों की अधिसूचना।
    • स्वच्छ/वैकल्पिक ईंधन (जैसे- CNG/LPG) की शुरूआत।
    • एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (Ethanol blending program- EBP): पेट्रोल में नवीकरणीय और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के रूप में एथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देना।
    • समय-समय पर औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उत्सर्जन मानकों में संशोधन।
    • स्वच्छ उत्पादन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना।
    • हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और उपयोग के लिए प्रोत्साहन।
    • पत्तियों, बायोमास और कचरे को खुले में जलाने पर प्रतिबंध लगाना।
    • NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन संबंधी आयोग का गठन।

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