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17वीं लोकसभा की कार्यवाही की समीक्षा 

Lokesh Pal February 14, 2024 06:44 107 0

संदर्भ 

निम्नलिखित डेटा बताते हैं कि वर्ष 1990 के बाद के समय में संसद के कामकाज में आमतौर पर गिरावट देखने को मिली  है।

पारित विधेयक

  • पारित विधेयकों की संख्या में गिरावट: पारित विधेयकों का वार्षिक औसत  वर्ष 1952-1990 की अवधि में 65 से घटकर 1991-2023 में 48 हो गया है।
  • सबसे अधिक बिल पारित: पाँचवीं लोकसभा में सबसे अधिक 487 बिल पारित हुए।
  • विधेयकों की जाँच के प्रतिशत में गिरावट: जाँच के लिए संसदीय समितियों को भेजे गए विधेयकों की संख्या भी लगातार घटती गई, जिसमें 17वीं लोकसभा ने केवल 16% विधेयकों को जाँच के लिए भेजा गया, जो पिछली चार लोकसभाओं में सबसे कम है।

सत्र और बैठकों की अवधि

  • बैठकों में कमी: लोकसभा में बैठक के दिनों और घंटों की संख्या में भी गिरावट का रुझान देखा गया है। 17वीं लोकसभा में सबसे कम बैठकें (मात्र 274 दिन) हुईं।
  • वर्ष 1990 से पहले, प्रत्येक लोकसभा आम तौर पर औसतन 550 से अधिक दिनों की बैठके होती थीं, जिसकी अवधि 3,500 घंटे होती थी। हालाँकि, 1990 के बाद, एक लोकसभा औसतन केवल 345 दिनों की बैठके होती हैं, जो 1,800 घंटे से भी कम समय होता है।

चार्ट-3 में वर्णित विषय  

  • आधे घंटे की चर्चा के प्रयोग में गिरावट: 1990 से पहले, प्रति लोकसभा 88 ऐसी चर्चाएँ होती थीं। वर्ष 1990 के बाद, प्रत्येक लोकसभा में केवल 11 आधे घंटे की चर्चाएँ हुईं। 17वीं लोकसभा ने इस तरह की केवल एक चर्चा की अनुमति दी, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।
  • अल्पकालिक चर्चा में गिरावट: वर्ष 1990 से पहले, इसका औसत प्रति लोकसभा 46 था। वर्ष 1990 के बाद, यह संख्या घटकर 39 हो गई, 17वीं लोकसभा में केवल 13 ऐसी चर्चाएँ हुईं।
  • ध्यानाकर्षण उपायों के उपयोग में गिरावट: इनका प्रयोग वर्ष 1957 और 1990 के बीच बड़े पैमाने पर किया गया था, जिसमें प्रति लोकसभा औसतन 300 नोटिस की अनुमति थी। वर्ष 1990 के बाद, प्रति लोकसभा केवल 40 नोटिस की अनुमति दी गई है। 17वीं लोकसभा ने ऐसी केवल एक चर्चा की अनुमति दी।
  • स्थगन प्रस्ताव के उपयोग में गिरावट: वर्ष 1990 से पहले, लोकसभा औसतन चार ऐसे प्रस्तावों पर चर्चा और मतदान की अनुमति देती थी। वर्ष 1990 के बाद यह संख्या घटकर तीन रह गई। 16वीं और 17वीं लोकसभा ने किसी भी स्थगन प्रस्ताव की अनुमति नहीं दी।

चार्ट-4 में वर्णित विषय

  • केंद्रीय बजट पर चर्चा करने में लगने वाले समय में गिरावट: केंद्रीय बजट, मंत्रालय-वार माँगों और वित्त विधेयक पर चर्चा करने में लगने वाले समय में भारी गिरावट आई है, जो वर्ष 1990 से पहले वार्षिक रूप से लगभग 120 घंटे था, अब घटकर मात्र 35 घंटे रह गया है।
  • सर्वाधिक घंटे: तीसरी लोकसभा में केंद्रीय बजट पर चर्चा पर खर्च किए गए सर्वाधिक घंटे 791 हैं।
  • सबसे कम घंटे: 16वीं लोकसभा में केंद्रीय बजट पर चर्चा में खर्च किए गए सबसे कम घंटे 85 हैं।
    • बिना चर्चा के माँगों को पारित करना: वर्ष 1952 के बाद से केवल पाँच बार मंत्रालय-वार माँगों को बिना चर्चा के पारित किया गया है और ये सभी उदाहरण वर्ष  1999 के बाद के हैं।

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