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भारत में मुद्रास्फीतिजनित मंदी का जोखिम और कम हुआ है:RBI (Risk of stagflation in India lowers further, say RBI officials)

Samsul Ansari December 27, 2023 11:49 176 0

संदर्भ

RBI अधिकारियों द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक शोध पत्र में दावा किया गया है कि अगस्त में 3% की तुलना में मुद्रास्फीतिजनित मंदी (स्टैगफ्लेशन) का जोखिम और कम होकर 1% हो गया है।

संबंधित तथ्य

  • अनुभवजन्य डेटा: अधिकारियों ने निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए दो विधियों का प्रयोग किया, दोनों विधियों ने मुद्रास्फीतिजनित मंदी के जोखिम में गिरावट का संकेत दिया।
    • पहली विधि: ‘स्टैगफ्लेशन’ जोखिम का आकलन उच्च मुद्रास्फीति के साथ मेल खाने वाले निम्न आर्थिक विकास के चरणों के आधार पर किया गया।
    • दूसरी विधि: इसमें ‘एट-रिस्क‘ फ्रेमवर्क का उपयोग किया गया था, अर्थात् ‘जोखिम आधारित मुद्रास्फीति’ (IaR) और ‘जोखिम आधारित संवृद्धि’ (GaR) संबंधित स्टैगफ्लेशन की संभावना का आकलन करने के लिए मात्रात्मक प्रतिगमन को नियोजित करके निर्धारित किया गया था।
  • कारक: शोध के अनुसार, आपूर्ति पक्ष के कारक, जैसे कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ सख्त वित्तीय स्थिति और भारतीय मुद्रा का अपेक्षाकृत उच्च मूल्यह्रास भारत में मुद्रास्फीतिजनित मंदी से संबंधित जोखिम के प्रमुख निर्धारक हैं।
  • संबंधित चिंता: वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की ऊँची कीमतों और महामारी के बाद अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने मुद्रास्फीतिजनित मंदी की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
  • जोखिम: सरकार द्वारा नियंत्रित उर्वरक मूल्य और घरेलू बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के कमजोर प्रवाह ने मुद्रास्फीतिजनित मंदी संबंधी भविष्यवाणी करने की शक्ति को सीमित कर दिया है।

स्टैगफ्लेशन (Stagflation)

  • परिभाषा: स्टैगफ्लेशन उस स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ अर्थव्यवस्था में स्थिरता के साथ-साथ कीमतों में भी एक साथ वृद्धि होती है।
    • ऊँची कीमतों के साथ धीमी और स्थिर अर्थव्यवस्था के कारण उच्च बेरोजगारी पारंपरिक मौद्रिक या राजकोषीय नीतियों के माध्यम से स्टैगफ्लेशन की स्थिति से बाहर निकलना कठिन बना देती है।
  • स्टैगफ्लेशन की चुनौती: यह उस लोकप्रिय अवधारणा के विपरीत है कि जब अर्थव्यवस्था धीमी होती है, तो माँग कम हो जाती है और कीमतें गिर जाती हैं।
    • यह फिलिप्स वक्र द्वारा निष्पादित परिणाम को भी असत्य सिद्ध करती है, जो दावा करता है कि उच्च मुद्रास्फीति के साथ कम बेरोजगारी होनी चाहिए।
  • कारण 
    • आपूर्ति पक्ष कारक: तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान।
    • खराब आर्थिक नीतियाँ: बहुत अधिक सरकारी खर्च या बहुत कम ब्याज दरें।
    • माँग जन्य मुद्रास्फीति: कम पूँजी निवेश के साथ मजबूत माँग के परिणामस्वरूप स्थिर विकास हो सकता है जिससे मुद्रास्फीतिजनित मंदी हो सकती है।
    • खराब मौद्रिक नीति: जब सस्ती मुद्रा नीति एक स्थिर अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ जाती है।
  • अतः मुद्रास्फीतिजनित मंदी से बचने के लिए, राजकोषीय प्रोत्साहन और संरचनात्मक सुधार जैसे कदम यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि अर्थव्यवस्था में उत्पादन क्षमता और माँग का संतुलन हो।

Source: The Hindu

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