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RRVUNL ने छत्तीसगढ़ में पारस कोयला खदान पर रिपोर्ट पर सवाल उठाए

Lokesh Pal November 20, 2024 03:51 14 0

संदर्भ 

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (Rajasthan Rajya Vidyut Utpadan Nigam Limited- RRVUNL) ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग (Chhattisgarh State Scheduled Tribes Commission- CSSTC) की रिपोर्ट की वैधता पर सवाल उठाया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में पारस कोयला खदान (Parsa Coal Mine) के लिए पर्यावरण मंजूरी में अनियमितताएँ पाई गई थीं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • पर्यावरण मंजूरी में कथित अनियमितताएँ: CSSTC ने पारस कोयला खदान परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने में अनियमितताएँ पाईं।
  • जालसाजी के दावे: आयोग ने आरोप लगाया कि जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया, विशेष रूप से ग्राम सभा (ग्राम परिषद) की सहमति के संबंध में।
  • सिफारिशें: CSSTC ने सरगुजा क्षेत्र में जैव विविधता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए परियोजना के लिए वन मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की।

कोयले और उसके प्रकारों के बारे में

  • कोयला आसानी से जलने वाला, काला या भूरा-काला तलछटी पत्थर है, जो मुख्य रूप से कार्बन से बना होता है।
  • यह एक ठोस जीवाश्म ईंधन है, जो लाखों वर्षों में पौधों के अवशेषों से बनता है।
  • जैसे-जैसे ये पौधे उच्च दबाव एवं ऊष्मा में विघटित होते हैं, वे विभिन्न प्रकार के कोयले में बदल जाते हैं, जिनमें निम्न-श्रेणी के लिग्नाइट से लेकर उच्च-श्रेणी के एंथ्रेसाइट तक शामिल हैं।
  • भारत में कोयले के प्रकार

कोयले का प्रकार

विशेषताएँ

पाया जाता है 

एंथ्रेसाइट (Anthracite)
  • 80-95% कार्बन सामग्री वाला उच्चतम ग्रेड का कोयला
  • कठोर, भंगुर, काला और चमकदार।
जम्मू और कश्मीर
बिटुमिनस (Bituminous)
  • उच्च ताप क्षमता वाला मध्यम श्रेणी का कोयला।
  • विद्युत उत्पादन के लिए सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश।
सबबिटुमिनस (Subbituminous)
  • काला, फीका (चमकदार नहीं), लिग्नाइट की तुलना में उच्च ऊष्मण मान वाला।
झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, अन्य गोंडवाना क्षेत्रों के कुछ हिस्से
लिग्नाइट (Lignite)
  • कम कार्बन सामग्री वाला सबसे निम्न श्रेणी का कोयला
  • भूरा-काला, मुख्य रूप से विद्युत उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।
राजस्थान, तमिलनाडु, जम्मू और कश्मीर

भारत में कोयले का वितरण

  • गोंडवाना कोयला क्षेत्र [Gondwana Coal Fields] (250 मिलियन वर्ष प्राचीन): यह भारत के कोयला भंडार का 98% और उत्पादन का 99% हिस्सा है। इस क्षेत्र का कोयला उच्च गुणवत्ता वाला, उच्च राख सामग्री वाला है, जिसमें धातुकर्म ग्रेड कोयला भी शामिल है।

    • यह निम्नलिखित स्थानों पर पाया जाता है:
      • दामोदर घाटी (झारखंड, पश्चिम बंगाल)
      • महानदी घाटी (छत्तीसगढ़, ओडिशा)
      • गोदावरी घाटी (महाराष्ट्र)
      • नर्मदा घाटी।
  • तृतीयक कोयला क्षेत्र [Tertiary Coal Fields] (15-60 मिलियन वर्ष प्राचीन): कार्बन की मात्रा कम, नमी और सल्फर की अधिकता।
    • यह निम्नलिखित स्थानों पर पाया जाता है:-
      • प्रायद्वीपीय क्षेत्र (असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर)
      • हिमालय की तलहटी (दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल)
      • राजस्थान, उत्तर प्रदेश, केरल।

भारत में कोयले पर मुख्य आँकड़े

  • 5वाँ सबसे बड़ा भू-गर्भीय भंडार: भारत के पास दुनिया का 5वाँ सबसे बड़ा कोयला भंडार है।
  • दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता: भारत वैश्विक स्तर पर कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
  • दूसरा सबसे बड़ा आयातक: भारत कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है।
  • विद्युत उत्पादन: कोयला और लिग्नाइट भारत के विद्युत उत्पादन का 50.7% (वर्ष 2023 तक) समर्थन करते हैं।
  • शीर्ष कोयला भंडार वाले राज्य
    • ओडिशा: भारत में सबसे बड़ा कोयला भंडार।
    • ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ मिलकर भारत के कुल कोयला संसाधनों का 69% हिस्सा रखते हैं।
  • छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (South Eastern Coalfields Limited- SECL) की गेवरा और कुसमुंडा कोयला खदानों ने वर्ल्डएटलस डॉट कॉम (WorldAtlas.com) द्वारा जारी दुनिया की 10 सबसे बड़ी कोयला खदानों की सूची में दूसरा और चौथा स्थान हासिल किया है।

भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कोयले की भूमिका 

  • प्रमुख ईंधन स्रोत: कोयला भारत के विद्युत उत्पादन के लिए प्राथमिक ईंधन स्रोत है, जो देश के ऊर्जा मिश्रण का एक बड़ा हिस्सा है। इसका उपयोग कुल विद्युत उत्पादन के 70% से अधिक में किया जाता है।
    • भारत में कोयला आधारित विद्युत उत्पादन ने देश की ऊर्जा माँगों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • भारत में वर्तमान में विद्युत की माँग में पर्याप्त वृद्धि हो रही है, जो औद्योगिक विकास, तकनीकी उन्नति, जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विकास आदि जैसे कारकों के संयोजन से प्रेरित है।
  • औद्योगिक आधार: कोयला इस्पात, सीमेंट और उर्वरक सहित विभिन्न उद्योगों के लिए आवश्यक है।
  • आर्थिक विकास: कोयला आधारित उद्योग भारत की आर्थिक वृद्धि और रोजगार में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • चुनौतियाँ और परिवर्तन: भारत कोयले पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए धीरे-धीरे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रहा है। हालाँकि, कोयला देश के ऊर्जा परिदृश्य का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।

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