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सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) विधेयक, 2025

Lokesh Pal December 16, 2025 04:07 26 0

संदर्भ 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सबका बीमा, सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी है, जिससे इसे संसद में प्रस्तुत किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

नए बीमा विधेयक के बारे में

  • यह विधेयक भारत के बीमा क्षेत्र के आधुनिकीकरण हेतु तीन प्रमुख कानूनों में संशोधन करता है:
    • बीमा अधिनियम, 1938
    • भारतीय जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956
    • बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999
  • इस विधेयक का उद्देश्य वर्ष 2047 तक सभी के लिए बीमा’ के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करना है, जिसके लिए पहुँच और सुलभता का विस्तार किया जाएगा।
  • यद्यपि विधेयक में महत्त्वपूर्ण सुधार शामिल हैं, फिर भी उद्योग की कुछ दीर्घकालिक माँगों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

नए बीमा विधेयक में किए गए प्रमुख परिवर्तन

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 100% करना: भारतीय बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी जाएगी।
  • विदेशी पुनर्बीमाकर्ताओं के लिए आसान प्रवेश: विदेशी पुनर्बीमाकर्ताओं के लिए स्वामित्व निधि की आवश्यकता ₹5,000 करोड़ से घटाकर ₹1,000 करोड़ कर दी जाएगी।
  • बीमा नियामक के अधिकारों में वृद्धि: इस विधेयक द्वारा नियामक ढाँचे को सशक्त किया गया है और प्राधिकरण को अधिक अधिकार प्रदान किए गए हैं:-
    • वसूली की शक्ति: प्राधिकरण बीमाकर्ताओं या मध्यस्थों द्वारा अर्जित अनुचित लाभ की वसूली कर सकेगा।
    • एकमुश्त पंजीकरण: बीमा मध्यस्थों का आजीवन पंजीकरण होगा, बार-बार नवीनीकरण की आवश्यकता नहीं होगी।
    • उच्च अनुमोदन सीमा: शेयर हस्तांतरण पर प्राधिकरण की अनुमति तभी आवश्यक होगी, जब हस्तांतरण भुगतान की गई पूँजी के 5% से अधिक हो।
    • बेहतर प्रशासन: विनियमन निर्माण हेतु औपचारिक मानक संचालन प्रक्रिया और दंड के लिए स्पष्ट मानदंड।
  • भारतीय जीवन बीमा निगम के लिए अधिक स्वायत्तता
    • बिना पूर्व सरकारी अनुमति के नए क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने की अनुमति।
    • विदेशों में परिचालन का पुनर्गठन स्थानीय कानूनों के अनुरूप करने की स्वतंत्रता।

विधेयक में संभवतः शामिल नहीं किए गए प्रावधान: छूटे हुए अवसर

  • समेकित लाइसेंस: ऐसा एकल लाइसेंस, जो जीवन और सामान्य दोनों प्रकार के बीमा उत्पादों की बिक्री की अनुमति देता है।
    • वर्तमान स्थिति: जीवन बीमाकर्ता सामान्य बीमा नहीं बेच सकते और सामान्य बीमाकर्ता जीवन बीमा नहीं।
  • नए बीमाकर्ताओं के लिए पूँजी आवश्यकता में कमी: वर्तमान में बीमाकर्ताओं के लिए न्यूनतम ₹100 करोड़ और पुनर्बीमाकर्ताओं के लिए ₹200 करोड़ की आवश्यकता है।
  • कैप्टिव बीमा: बड़ी कंपनियों को अपने आंतरिक जोखिमों का बीमा करने के लिए अपनी स्वयं की कैप्टिव बीमा इकाइयाँ स्थापित करने की अनुमति देना, लागत और जोखिम नियंत्रण के लिए एक सामान्य वैश्विक प्रथा है।
  • अन्य वित्तीय उत्पादों का वितरण: बीमा कंपनियों को म्यूचुअल फंड, ऋण या क्रेडिट कार्ड बेचने की अनुमति देना।

भारत में बीमा क्षेत्र

  • बाजार का आकार: भारत वैश्विक स्तर पर 10वाँ सबसे बड़ा बीमा बाजार है और एशिया में दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।
  • बीमा तक पहुँच: बीमा पहुँच (GDP के प्रतिशत के रूप में प्रीमियम) लगभग 4.2% (वर्ष 2023) बनी हुई है, जो वैश्विक औसत (लगभग 7%) से कम है।
  • घनत्व: बीमा घनत्व (प्रति व्यक्ति प्रीमियम) लगभग $91 (2023) था, जो विशाल अप्रयुक्त क्षमता को दर्शाता है।
  • संरचना: इसमें जीवन बीमा, गैर-जीवन/सामान्य बीमा, पुनर्बीमा और स्वास्थ्य बीमा शामिल हैं।

मुख्य नियामक और संस्थान

  • बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण: पॉलिसीधारकों की सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता और क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने वाला सर्वोच्च नियामक निकाय।
    • संसद के एक अधिनियम, अर्थात् बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय।
    • भूमिका: यह एक स्वायत्त निकाय है और भारत में बीमा क्षेत्र के विकास को विनियमित और पर्यवेक्षण करता है।
    • कार्य: पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना, पॉलिसी का आवंटन, पॉलिसीधारकों द्वारा नामांकन, बीमा योग्य हित, बीमा दावों का निपटान, ‘पॉलिसी सरेंडर’, मूल्य और बीमा अनुबंधों के अन्य नियम एवं शर्तों से संबंधित मामलों में।
  • भारतीय जीवन बीमा निगम: सबसे बड़ा जीवन बीमाकर्ता, निजी प्रतिस्पर्द्धा के बावजूद प्रमुख बाजार हिस्सेदारी।
  • सामान्य बीमा निगम: सार्वजनिक क्षेत्र का पुनर्बीमाकर्ता।
  • निजी बीमाकर्ता: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) के बीमाकर्ताओं के साथ-साथ 20 से अधिक जीवन बीमा कंपनियाँ और 30 सामान्य बीमा कंपनियाँ कार्यरत हैं।

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