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भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI)

Lokesh Pal November 26, 2024 01:58 6 0

संदर्भ

हाल ही में एक अमेरिकी न्यायालय के अभियोग में आरोप लगाया गया है कि गौतम अडानी, सागर अडानी एवं अन्य ने भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) के वर्ष 2019 विनिर्माण-संबद्ध सौर टेंडर के तहत विद्युत आपूर्ति समझौते (Power Supply Agreements- PSAs) को सुरक्षित करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी।

विद्युत आपूर्ति समझौता (PSA)

  • PSA दो पक्षों के बीच एक संविदात्मक समझौता है।
  • पॉवर जेनरेटर (Power Generator- GenCo): यह वह इकाई है जो अक्सर सौर, पवन या जल विद्युत जैसे नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से विद्युत का उत्पादन करती है।
  • वितरण उपयोगिता (Distribution Utility- DU): यह उपभोक्ताओं को विद्युत वितरित करने के लिए जिम्मेदार इकाई है।
    • PSA उपभोक्ताओं को विद्युत की विश्वसनीय एवं निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
  • PSA की भूमिका: यह विद्युत खरीद के नियमों एवं शर्तों को परिभाषित करता है, जनरेटर तथा वितरक दोनों के हितों की रक्षा करता है।

भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) लिमिटेड के बारे में

  • भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy- RE) क्षमता के विकास एवं विस्तार के लिए समर्पित अग्रणी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPSU) है।
  • स्थापना और संरचना: कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में वर्ष 2011 में स्थापित।
    • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 3 के तहत वर्ष 2015 में एक वाणिज्यिक कंपनी में परिवर्तित किया गया।
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के तहत कार्य करता है और इसे मिनीरत्न श्रेणी- I CPSU का दर्जा दिया गया था।
  • उद्देश्य: भारत के राष्ट्रीय सौर मिशन का समर्थन करना एवं इसके राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions- NDCs) को प्राप्त करना।

SECI की प्रमुख भूमिकाएँ एवं जिम्मेदारियाँ

  • नवीकरणीय ऊर्जा विकास: देश भर में सौर, पवन एवं संकर ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करता है।
    • 65.3 गीगावाट से अधिक प्रदान की गई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (40 गीगावाट सौर, 16.3 गीगावाट पवन, 9 गीगावाट हाइब्रिड) का प्रबंधन करता है।
  • ऊर्जा खरीद और व्यापार: प्रतिस्पर्द्धी बोली के माध्यम से ऊर्जा की खरीद करता है एवं इसे दीर्घकालिक विद्युत खरीद समझौतों (Power Purchase Agreements- PPAs) तथा विद्युत बिक्री समझौतों (Power Sale Agreements- PSAs) के माध्यम से डिस्कॉम्स को बेचता है। इसके पास पॉवर ट्रेडिंग लाइसेंस है एवं यह सक्रिय रूप से नवीकरणीय ऊर्जा का व्यापार करता है।
  • परियोजना कार्यान्वयन: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी विभागों के लिए महत्त्वपूर्ण सौर परियोजनाओं का क्रियान्वयन।
    • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने के लिए नवीन मॉडल विकसित करता है।
  • मिशन पूर्ति: स्वच्छ ऊर्जा बुनियादी ढाँचे का विकास एवं विस्तार करके भारत के राष्ट्रीय सौर मिशन तथा नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करता है।

भारत में ‘सोलर बिडिंग’

  • SECI निविदाएँ अक्सर सौर ऊर्जा उत्पादन को मॉड्यूल निर्माण से जोड़ती हैं, जिसके लिए उच्च इक्विटी निवेश की आवश्यकता होती है।
  • वर्ष 2019 का टेंडर इन गतिविधियों को संयोजित करने वाला पहला टेंडर था, जिससे परिचालन संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न हुईं।

भारत में सोलर बिडिंग से संबंधित मुद्दे

  • टैरिफ में गिरावट और PPA चुनौतियाँ: नई बोलियों में सौर ऊर्जा की दरें अक्सर कम हो जाती हैं, जिसके कारण डिस्कॉम्स उच्च दरों पर पहले किए गए PPA को स्वीकार करने में हिचकिचाती हैं।
    • उदाहरण के लिए, ₹2.5/यूनिट पर हस्ताक्षरित PPA तब कम आकर्षक होता है, जब नए टैरिफ घटकर ₹2/यूनिट हो जाते हैं।
  • डिस्कॉम की अनिच्छा: कई डिस्कॉम पहले से ही नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्वों को पूरा कर रहे हैं तथा टैरिफ में और कटौती की प्रतीक्षा करने के लिए पीपीए पर हस्ताक्षर करने में देरी कर रहे हैं या इससे बचते हैं।
  • विनिर्माण से जुड़ी निविदाओं की उच्च लागत: परस्पर विरोधी वित्तीय आवश्यकताओं के कारण डेवलपर्स को विनिर्माण और उत्पादन को एक साथ प्रबंधित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • SECI की चुनौतियाँ: खोजे गए टैरिफ के लिए खरीदारों को सुरक्षित करने और राज्य डिस्कॉम को संघीय नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के साथ संरेखित करने में कठिनाई होती है।
  • भ्रष्टाचार एवं जवाबदेही: PSA अनुमोदन के लिए रिश्वतखोरी के आरोप बोली और समझौता प्रक्रियाओं के भीतर शासन तथा नियामक चिंताओं को उजागर करते हैं।

आगे की राह 

  • शासन को मजबूत करना: स्वतंत्र लेखापरीक्षा, मजबूत निरीक्षण तंत्र तथा निविदा और अनुमोदन के लिए सख्त भ्रष्टाचार विरोधी ढाँचे के माध्यम से पारदर्शिता एवं जवाबदेही को बढ़ाना।
  • टैरिफ युक्तीकरण: पुराने और नए टैरिफ के बीच के अंतर को पाटने के लिए गतिशील मूल्य निर्धारण मॉडल विकसित करना, डिस्कॉम को पीपीए का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा डेवलपर्स के हितों की रक्षा करना।
  • क्रेता विश्वास को बढ़ावा देना: नवीकरणीय ऊर्जा खरीद को प्राथमिकता देने के लिए डिस्कॉम्स के लिए प्रोत्साहन प्रस्तुत करना, जिसमें टैरिफ अंतर के लिए वित्तीय सहायता या सब्सिडी शामिल हो।
  • कार्यों का पृथक्करण: डेवलपर्स पर परिचालन और वित्तीय बोझ को कम करने के लिए निविदाओं में विनिर्माण तथा उत्पादन घटकों को अलग-अलग करना, जिससे बेहतर भागीदारी एवं निष्पादन सुनिश्चित हो सके।

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