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सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल, 2025

Lokesh Pal December 16, 2025 02:53 13 0

संदर्भ 

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल, 2025 को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य अत्यधिक प्रतिबंधित परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलना तथा भारत के परमाणु प्रशासन ढाँचे का पुनर्गठन करना है।

सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल के बारे में

  • एकाधिकार की समाप्ति: परमाणु ऊर्जा अधिनियम निजी संस्थाओं और राज्य सरकारों को परमाणु विद्युत संयंत्रों के संचालन से रोकता है।
    • वर्तमान में परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड सभी 24 वाणिज्यिक रिएक्टरों का संचालन करती है।
    • SHANTI विधेयक सरकारी पर्यवेक्षण में निजी संस्थाओं को परमाणु विद्युत संयंत्र संचालित करने की अनुमति देने का प्रस्ताव करता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा: विधेयक कुछ परमाणु गतिविधियों में 49 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देता है, जिससे प्रौद्योगिकी और पूँजी का प्रवाह संभव होगा।
  • कानूनी और विनियामक परिवर्तन: इस विधेयक में संयंत्र संचालकों को संरक्षण प्रदान करने और उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की देयता को सीमित करने के लिए नागरिक दायित्व कानून में संशोधन का प्रस्ताव है।
  • भारतीय परमाणु बीमा पूल के तहत संचालक बीमा को पुनर्परिभाषित किया गया है: प्रति घटना ₹1,500 करोड़।
  • विवादों के लिए एक विशेष परमाणु न्यायाधिकरण की स्थापना की गई है।
  • हालाँकि मुख्य कार्य (परमाणु सामग्री उत्पादन, भारी जल, अपशिष्ट प्रबंधन) परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के पास ही रहेंगे।

परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र की भागीदारी का महत्त्व

  • संसाधन जुटाना: परमाणु परियोजनाएँ पूँजी-प्रधान होती हैं, निजी निवेश से घरेलू और वैश्विक पूँजी तक पहुँच में वृद्धि होती है, जिससे सरकार पर वित्तीय बोझ कम होता है।
  • प्रौद्योगिकी नवाचार: निजी कंपनियाँ उन्नत रिएक्टर डिजाइन, निर्माण तकनीक और परिचालन दक्षता लाती हैं, जिससे औद्योगिक ‘विकार्बनीकरण’ को समर्थन मिलता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: विविधीकृत परमाणु पारितंत्र आपूर्ति शृंखलाओं और विनिर्माण क्षमता को सुदृढ़ करता है, जिससे दीर्घकालिक निम्न-कार्बन ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

SHANTI विधेयक से जुड़ी चुनौतियाँ

  • सुरक्षा और दायित्व: नागरिक परमाणु क्षति अधिनियम, 2010 के अंतर्गत उच्च दायित्व ने अतीत में निजी और विदेशी निवेश को हतोत्साहित किया है।
  • सुरक्षा जोखिम: संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी और सामग्री के लिए सख्त सुरक्षा उपाय, निगरानी और अनुरेखण आवश्यक हैं।
  • लंबी परियोजना अवधि: परमाणु परियोजनाओं के निर्माण में सामान्यतः 8-10 वर्ष लगते हैं, जिससे जोखिम-साझेदारी या व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण की आवश्यकता अधिक होती है।
  • शासन और विनियामक चुनौतियाँ: राज्य एकाधिकार से निजी भागीदारी की ओर संक्रमण के लिए मजबूत विनियामक ढाँचे, जवाबदेही तंत्र और नागरिक व सुरक्षा एजेंसियों के मध्य समन्वय आवश्यक है।

परमाणु ऊर्जा के बारे में

  • परिभाषा: परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जा है जो परमाणु के नाभिक से मुक्त होती है, जो विखंडन (भारी नाभिक के विखंडन) या संलयन (हल्के नाभिकों का संयोजन) से उत्पन्न होती है।
    • यह स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों के लिए उच्च-घनत्व, निम्न-कार्बन विद्युत स्रोत प्रदान करती है।
  • भारत के लिए परमाणु ऊर्जा का महत्त्व: भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य की ओर संक्रमण के लिए परमाणु ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है।
    • परमाणु ऊर्जा क्षमता में वृद्धि से सरकार के वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
    • यह भारत की वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धता में भी योगदान देता है।
  • भारत में वर्तमान परमाणु क्षमता: भारत में वर्तमान में 25 कार्यरत परमाणु रिएक्टर हैं जिनकी कुल स्थापित क्षमता लगभग 8.88 गीगावाट है।
    • 17 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जिनसे आने वाले वर्षों में देश की परमाणु क्षमता में वृद्धि होगी।
    • वर्तमान में, भारत की परमाणु क्षमता 8 गीगावाट (GWe) से कम है।
  • परमाणु ऊर्जा मिशन और अनुसंधान एवं विकास
    • भारत सरकार ने परमाणु ऊर्जा मिशन प्रारंभ किया है, जिसके अंतर्गत स्माल मॉड्यूलर रिएक्टरों के अनुसंधान एवं विकास हेतु ₹20,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
    • वर्ष 2033 तक पाँच स्वदेशी स्माल मॉड्यूलर रिएक्टर संचालित करने की योजना।
  • वैश्विक परिप्रेक्ष्य में परमाणु क्षमता: विश्व स्तर पर सर्वाधिक परमाणु ऊर्जा क्षमता संयुक्त राज्य अमेरिका के पास है, जो 100 गीगावॉट है।
    • फ्राँस 65 गीगावॉट के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि चीन के पास 58 गीगावॉट की क्षमता है।

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