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रूस-यूक्रेन संघर्ष के दो वर्ष

Lokesh Pal February 26, 2024 05:18 117 0

संदर्भ 

फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष के दो वर्ष बीतने के बाद भी दोनों देशों के बीच तनाव कम होने और युद्धविराम की संभावनाएँ देखने को नहीं मिली हैं।

युद्ध की वर्तमान स्थिति

  • रूस पर बहुआयामी प्रतिबंध
    • वित्तीय क्षेत्र और भुगतान प्रणाली पर प्रतिबंध
      • मीर भुगतान प्रणाली: हालिया प्रतिबंधों का लक्ष्य पूर्व के प्रतिबंधों से बचने और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेनदेन बनाए रखने के रूस के प्रयासों को बाधित करना है।
        • मीर रूस की एक भुगतान प्रणाली है। इसे वर्ष 2017 में शुरू किया गया था।
      • रूसी बैंक और वित्तीय संस्थान: बैंकों, निवेश फर्मों, उद्यम पूँजी कोष और फिनटेक कंपनियों, विशेष रूप से SPB बैंक सहित एक दर्जन से अधिक संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
    • ऊर्जा क्षेत्र और सैन्य औद्योगिक आधार
      • आर्कटिक-2 LNG परियोजना: प्रतिबंधों में आर्कटिक-2 LNG परियोजना के विकास और संचालन में शामिल विशिष्ट संस्थाओं को लक्षित किया गया है।  इसका उद्देश्य भविष्य के ऊर्जा उत्पादन के लिए संसाधनों में कटौती करना है।

      • प्रतिबंध परिहार नेटवर्क: रूस को प्रतिबंधों से बचने और उसके सैन्य बुनियादी ढाँचे का समर्थन करने में मदद करने के लिए चीन, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, कजाकिस्तान और लिकटेंस्टीन में स्थित संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
    • मानवाधिकार उल्लंघन
      • नवलनी की मौत से जुड़े अधिकारी: रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवालनी की मौत से जुड़े रूसी संघीय कारागार सेवा के अधिकारियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
        • एलेक्सी नवलनी एक प्रमुख रूसी विपक्षी नेता, भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थे।
      • यूक्रेनी बच्चों का जबरन स्थानांतरण: इन प्रतिबंधों के द्वारा यूक्रेनी बच्चों को रूस, बेलारूस और क्रीमिया के शिविरों में निर्वासन तथा मतारोपण  में शामिल व्यक्तियों को लक्षित किया गया है।
  • यूक्रेन को सैन्य और वित्तीय सहायता
    • अमेरिकी समर्थन: अमेरिका पहले ही यूक्रेन को $111 अरब के हथियार, उपकरण और मानवीय सहायता भेज चुका है।
    • यूरोपीय संघ का समर्थन: यूरोपीय संघ ने हाल ही में यूक्रेन के लिए €50 बिलियन के नए पैकेज को मंजूरी दी है। पिछले दो वर्षों में यूरोपीय संघ ने यूक्रेन को €144 बिलियन से अधिक की सहायता प्रदान की है।
    • सुरक्षा समझौते: जर्मनी और फ्राँस ने यूक्रेन के साथ अगले 10 वर्षों के लिए सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें वर्ष 2024 में अतिरिक्त सैन्य सहायता की बहुत महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ शामिल हैं।
  • रूस की गुप्त लामबंदी: हाल ही में महीनों तक चली भीषण लड़ाई के बाद रूसी सेना धीरे-धीरे आगे बढ़ी है और अवदीवका  (Avdiivka) शहर पर कब्जा कर लिया है।
    • यूक्रेन ने हाल ही में पूर्वी शहर अवदीवका के आसपास हुई लड़ाई में रूस को भारी नुकसान पहुँचाया है – जिसमें 13,000 लोग हताहत हुए हैं और 220 से अधिक सैन्य वाहन नष्ट हो गए हैं।
  • सैन्य गतिरोध: यह संघर्ष भीषण युद्ध में तब्दील हो गया है और हाल के महीनों में किसी भी पक्ष को महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय लाभ नहीं हुआ है।
    • रूस, यूक्रेन के लगभग 20% क्षेत्र को नियंत्रित करता है, मुख्यतः पूर्व और दक्षिण में।
  • मानवीय संकट: युद्ध ने एक विनाशकारी मानवीय संकट पैदा कर दिया है, जिसमें लाखों लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं और हजारों सैनिक मारे गए हैं।
    • अनुमान के अनुसार, रूसी पक्ष के 3,15,000 सैनिक घायल हुए या मारे गए, जबकि 70,000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए और 1,00,000 से 1,20,000 के बीच घायल हुए हैं।

दो वर्षों में युद्ध का वैश्विक प्रभाव

  • मानवीय संकट
    • जनहानि: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस संघर्ष में 10,000 से अधिक नागरिक मारे गए हैं और लगभग 20,000 घायल हुए हैं। फरवरी 2022 से अब तक कार्रवाई में लगभग 45,000 रूसी नागरिक मारे गए हैं।
    • विस्थापन: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UN High Commissioner for Refugees-UNHCR) का अनुमान है कि 8 मिलियन से अधिक यूक्रेनी शरणार्थी देश छोड़कर विस्थापित हो गए हैं, जबकि 13 मिलियन से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं।
  • आर्थिक प्रभाव
    • वैश्विक खाद्य और ऊर्जा बाजारों में मुद्रास्फीति: युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित कर दिया है, विशेष रूप से गेहूँ, तेल और गैस के लिए, जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति एवं आपूर्ति शृंखला चुनौतियों में वृद्धि हुई है।
    • प्रतिबंध और आर्थिक व्यवधान: रूस के खिलाफ प्रतिबंधों तथा यूक्रेन के बुनियादी ढाँचे को नुकसान ने वैश्विक आर्थिक स्थिरता को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है।
    • यूक्रेन को नुकसान:  संघर्ष के पहले वर्ष में  यूक्रेन को  सकल घरेलू उत्पाद का 30-35% नुकसान हुआ, जिससे यूक्रेन में सबसे बड़ी मंदी आई।
      • वर्ष 2023 में इसकी GDP में केवल 0.5% की वृद्धि होने का अनुमान है।
      • विश्व बैंक के अनुसार, यूक्रेन में गरीबी वर्ष 2022 में जनसंख्या के 5.5% से बढ़कर 24.2% हो गई है, जिससे 7.1 मिलियन से अधिक लोग गरीबी में चले गए हैं।
    • खाद्य सुरक्षा: यूक्रेन और रूस विश्व स्तर पर कृषि एवं खाद्य सामग्री के सबसे बड़े उत्पादक माने जाते हैं। इन देशों के बीच युद्ध ने विश्व स्तर पर खाद्य सुरक्षा की चुनौती  को बढ़ा दिया है।
    • रूस को नुकसान: रूस की अर्थव्यवस्था में पिछले वर्ष 1.2% की गिरावट आई और रूसी सेंट्रल बैंक के €300 बिलियन के भंडार यूरोपीय संघ, और अन्य G-7 देशों में अवरुद्ध हैं।
      • 1,500 से अधिक प्रतिबंधित व्यक्तियों और संस्थाओं की लगभग €20 बिलियन की संपत्ति भी पश्चिमी देशों द्वारा जब्त कर ली गई है।
  • भू-राजनीतिक प्रभाव
    • नाटो को मजबूती: रूस के कार्यों से उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) को मजबूती मिली है। फिनलैंड और स्वीडन जैसे नए देश नाटो में शामिल हो गए हैं तथा नाटो के साथ रूसी सीमा की लंबाई बढ़ गई है।
    • वैश्विक विश्वास की कमी: रूस और पश्चिम के बीच विश्वास की कमी अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। छोटे देशों ने सैन्य रूप से शक्तिशाली देशों के साथ सैन्य साझेदारी के विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है।
    • संयुक्त राष्ट्र की विफलता: वैश्विक नियम आधारित व्यवस्था के पतन और स्थायी सदस्यों द्वारा वीटो के कारण युद्धविराम लागू करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विफलता ने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
    • रूस-चीन धुरी: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा रूस और चीन पर आर्थिक प्रतिबंध ने दोनों देशों को राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से करीब ला दिया है।
    • राष्ट्रीय हित पर ध्यान: इजरायल-गाजा युद्ध के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध ने राजनयिक संबंधों के व्यावहारिक पहलू को सामने ला दिया है, जहाँ राष्ट्रीय हित के मुद्दे  कूटनीतिक स्थिति पर हावी हो जाते हैं।

भारत पर प्रभाव

  • भारत के संतुलित संबंध: भारतीय नीति निर्माताओं ने पश्चिम और रूस के साथ संबंधों को संतुलित करने में कूटनीतिक सूझबूझ का प्रयोग किया है। वह रूस की निंदा के स्वर में शामिल नहीं हुए, जिसने यूक्रेन से विद्यार्थियों को निकालने के दौरान लाभ प्राप्त हुआ।
  • रूसी कच्चे तेल तक पहुँच: भारत की राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने वाली व्यावहारिक स्थिति ने रूसी कच्चे तेल की उपलब्धता सुनिश्चित की और मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने में सहायता की।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती रुचि और क्वाड: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में एक उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसने भारत को “निवल सुरक्षा प्रदाता” बनने की रणनीतिक स्थिति में ला दिया है।
  • चीन-रूस संबंधों का सुदृढ़ीकरण : रूस-चीन के करीबी रिश्ते भारतीय कूटनीति के लिए एक नई चुनौती बन गए हैं।

युद्ध का भविष्य

  • युद्ध का कोई स्पष्ट अंत नहीं: यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के मैदान तथा शांति वार्ता दोनों पर गतिरोध के परिणामस्वरूप युद्ध का कोई स्पष्ट अंत नहीं दिख रहा है।
  • विरोधाभासी शांति योजनाएँ: यूक्रेन की शांति योजनाएँ मूल रूप से वर्ष 1991 के सीमा रेखा निर्धारण को पुनः लागू करने पर आधारित हैं, जो रूस को स्वीकार्य नहीं है।
    • रूस द्वारा यूक्रेन की सैन्य तटस्थता के अलावा, उन क्षेत्रों को सौंपने की संभावना नहीं है, जिन्हें उसने पहले ही संवैधानिक रूप से अपने क्षेत्राधिकार में शामिल कर लिया है जैसे – क्रीमिया (2014 में), और हाल ही में, डोनेट्स्क, खेरसन, लुहान्स्क और जापोरिजिया ।

निष्कर्ष

  • इस संघर्ष के समाप्ति के लिये सभी पक्षों के लिए बातचीत को प्राथमिकता देना और वार्ता के प्रयासों को पुनः शुरू करना आवश्यक है। शत्रुता एवं हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है और यह केवल पीड़ा एवं  अस्थिरता को बढ़ाता है।
  • इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों और कानूनों को कायम रखना सर्वोपरि है, विशेषकर संघर्षों के दौरान नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के संबंध में। इसमें शामिल पक्षों को इन मानकों का पालन करना चाहिए जिससे धन-जन की हानि को कम-से-कम किया जा सके और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की रक्षा की जा सके।

समाचार स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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