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UN जाँच: गाजा पर इजरायल का हमला नरसंहार के समान

Lokesh Pal September 20, 2025 03:25 14 0

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र द्वारा गठित जाँच आयोग (COI) की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि गाजा में इजरायल का सैन्य अभियान नरसंहार है और वर्ष 1948 के नरसंहार समझौते के तहत इजरायल के शीर्ष नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

संबंधित तथ्य

  • शामिल व्यक्ति: राष्ट्रपति इसाक हर्जोग, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट।

संयुक्त राष्ट्र जाँच आयोग के निष्कर्ष

  • कानूनी आधार: ‘कन्‍वेंशन ऑन द प्रिवेन्शन ऐंड पनिशमेंट ऑफ द क्राइम ऑफ जेनोसाइड’ (1948) के तहत विश्लेषण।
  • जनसंहार के कृत्य
    • समूह के सदस्यों की हत्या: 60,199 फिलिस्तीनी मारे गए; 83% सामान्य नागरिक थे।
    • गंभीर शारीरिक/मानसिक क्षति पहुँचाना: यातना, यौन हिंसा, गैर-मानवीय व्यवहार और परिवार से अलग होने से होने वाली मनोवैज्ञानिक क्षति।
    • जीवन की खराब परिस्थितियाँ उत्पन्न करना: ‘पूर्ण घेराबंदी’ से भोजन, जल, ईंधन, दवा और विद्युत की आपूर्ति बंद; गाजा के कुछ हिस्सों में अकाल घोषित।
    • जन्म दर को रोकना: क्लिनिक और स्वास्थ्य सुविधाओं का विनाश, जिसे ‘प्रजनन हिंसा’ कहा गया।

जनसंहार के बारे में

  • इस शब्द की उत्पत्ति: यह शब्द वर्ष 1944 में पोलिश वकील राफेल लेमकिन द्वारा ग्रीक शब्द ‘जेनोस’ (जाति/वंश) और लैटिन शब्द ‘साइड’ (हत्या) को मिलाकर प्रस्तुत किया गया था।
    • इसे होलोकॉस्ट और अन्य लक्षित सामूहिक हत्याओं की घटनाओं के संदर्भ में बनाया गया था।
  • अंतरराष्ट्रीय कानून में मान्यता
    • वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराध के रूप में मान्यता दी।
    • वर्ष 1948 में ‘कन्‍वेंशन ऑन द प्रिवेन्शन ऐंड पनिशमेंट ऑफ द क्राइम ऑफ जेनोसाइड’ में इसे शामिल किया गया।
    • 153 देशों ने इसे मंजूरी दी (अप्रैल 2022 तक)।
    • अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने यह पुष्टि की है कि जनसंहार पर प्रतिबंध सभी देशों के लिए अनिवार्य नियम (जस कोजेन्स) है।
  • अपराध के तत्त्व
    • मानसिक तत्त्व: समूह को पूरी तरह से नष्ट करने का विशिष्ट उद्देश्य (डोलस स्पेशियालिस)।
    • भौतिक तत्त्व: पाँच सूचीबद्ध कार्यों में से एक या अधिक कार्य करना।

‘कन्‍वेंशन ऑन द प्रिवेन्शन ऐंड पनिशमेंट ऑफ द क्राइम ऑफ जेनोसाइड’  (1948)

  • स्वीकृति: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 दिसंबर, 1948 को इसे अपनाया; यह 12 जनवरी, 1951 को लागू हुआ।
  • जनसंहार की परिभाषा (अनुच्छेद-II): निम्नलिखित में से कोई भी कार्य, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय, नृजातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करना हो:
    • समूह के सदस्यों की हत्या करना।
    • गंभीर शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुँचाना।
    • जानबूझकर ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करना, जिससे विनाश हो।
    • जन्म नियंत्रण के लिए उपाय लागू करना।
    • समूह के बच्चों को जबरन दूसरे समूह में भेजना।
  • राज्यों के कर्तव्य: राज्यों को जनसंहार अपराध करने से बचना चाहिए और इसे रोकने तथा इसके लिए सजा देने के लिए कदम उठाने चाहिए, जिसमें घरेलू कानून बनाना और अपराधियों पर मुकदमा चलाना शामिल है।
  • अधिकार क्षेत्र: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) इस कन्वेंशन की व्याख्या और कार्यान्वयन से संबंधित विवादों के लिए एक मंच है।
  • सदस्यता: 153 देशों ने इस कन्वेंशन को मंजूरी दी है।
  • भारत की स्थिति: भारत ने वर्ष 1949 में इस पर हस्ताक्षर किए और वर्ष 1959 में इसका अनुमोदन किया।
    • अनुमोदन के बावजूद, भारत ने जनसंहार पर कोई विशिष्ट कानून नहीं बनाया है।

संयुक्त राष्ट्र जाँच आयोग (COI)

  • स्वरूप: ये स्वतंत्र तथ्य-जाँच संस्थाएँ हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UN Human Rights Council [UNHRC]) या महासभा द्वारा स्थापित किया गया है।
    • इनमें कानूनी, मानवाधिकार और मानवीय मामलों के विशेषज्ञ (संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं) शामिल होते हैं।
  • उद्देश्य
    • संघर्ष या संकट की स्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law- IHL) और मानवाधिकार कानून के गंभीर उल्लंघनों की जाँच करना।
    • साक्ष्य एकत्रित करना, तथ्यों को स्थापित करना और कानूनी विश्लेषण प्रदान करना।
  • रिपोर्टिंग अथॉरिटी: रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र निकायों को भेजी जाती हैं, लेकिन वे बाध्यकारी निर्णय नहीं होतीं।
    • उदाहरण: दारफुर (2004), सीरिया (2011-), म्याँमार (2017-), यूक्रेन (2022-), और गाजा (2023-25)।
  • सीमाएँ
    • यह संयुक्त राष्ट्र का आधिकारिक दृष्टिकोण नहीं है।
    • यह निर्णय लागू नहीं कर सकता; कार्रवाई के लिए यह संयुक्त राष्ट्र निकायों (जैसे सुरक्षा परिषद, ICC, ICJ) और सदस्य देशों पर निर्भर है।
  • महत्त्व
    • अत्याचारों का प्रामाणिक दस्तावेजीकरण करना।
    • अंतरराष्ट्रीय सलाह, प्रतिबंध और कानूनी कार्यवाही पर प्रभाव डालना।
    • अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून के तहत जवाबदेही को मजबूत करना।

विशेषता

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC)

स्थापना वर्ष 1945, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत वर्ष 2002, रोम चार्टर के अनुसार
मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स हेग, नीदरलैंड्स
प्रकृति संयुक्त राष्ट्र का मुख्य न्यायिक अंग स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल, संयुक्त राष्ट्र का अंग नहीं (हालाँकि संयुक्त राष्ट्र से इसका संबंध है)।
क्षेत्राधिकार राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करता है; संयुक्त राष्ट्र के अंगों/एजेंसियों को सलाह देता है। लोगों को अपराधों (जनसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध, आक्रामकता) के लिए दंडित करता है।
संबंधित पक्ष केवल राज्य ही ICJ के समक्ष पक्षकार बन सकते हैं। व्यक्ति (राज्य नहीं) पर ICC के समक्ष मुकदमा चलाया जा सकता है।
अनिवार्य अधिकार क्षेत्र? यह स्वचालित नहीं है – यह राज्य की सहमति पर निर्भर करता है (संधियों, घोषणाओं या विशिष्ट मामलों पर समझौतों के माध्यम से)। सदस्य देशों के लोगों के लिए यह स्वतः लागू होगा या जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा इसकी सिफारिश की जाएगी।
मामलों के प्रकार संप्रभुता, सीमा और समुद्री विवाद, व्यापार, प्राकृतिक संसाधन, मानव अधिकार, संधि की व्याख्या और उल्लंघन। जनसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध, आक्रामकता के अपराध।
भारत की अनुमोदन स्थिति हाँ नहीं।

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